देहरादून (उत्तराखंड): समय के साथ जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ रहा है. वैसे-वैसे साइबर अपराध भी बढ़ रहा है. अपराधियों ने भी अपराध का तरीका बदल दिया है. डकैती, लूट, हत्या, फिरौती, अपहरण की घटनाओं में कमी आई है. लेकिन साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ गया है. साइबर क्राइम से निपटने के लिए अब हर थाने में आईटी एक्सपर्ट्स तैनात करने को लेकर पुलिस तैयारी कर रही है. खास बात ये है कि अब साइबर ठगों का नया ठिकाना राजस्थान बनता जा रहा है.
साल 2023 में उत्तराखंड में ह्यूमन क्राइम की 15 हजार शिकायतें दर्ज हुईं. जबकि बीते साल ये संख्या 16 हजार से ऊपर थी. यानी कि क्राइम का ग्राफ एक हजार कम हुआ है. लेकिन साइबर अपराध के रिकॉर्ड में बढ़ोतरी दर्ज की है. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) में इस साल 20 हजार शिकायतें (ऑनलाइन जॉब+सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) दर्ज की गई है. इन शिकायतों के मद्देनजर साइबर ठगों ने घर बैठे लोगों से करीब 55 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की. वहीं बीते साल (2022) ये शिकायतें मात्र 13 हजार थी. जबकि इस साल करीब 70 फीसदी शिकायतें ऐसी हैं जिनमें आम जनता का पैसा ठगा गया है. (जैसे दोस्ती के नाम पर ठगी और महंगे गिफ्ट का लालच) जिसमें साइबर पुलिस केवल 5.45 करोड़ रुपये पीड़ितों को वापस करा पाई है. इसका मुख्य कारण ये है कि जब तक पुलिस ने साइबर ठगों का पता लगाया तब तक वह धनराशि को ठिकाने लगा चुके थे.
CBI अधिकारी/रिश्तेदार बनकर भी ठगी: साइबर ठग हर रोज नए तरीके से लोगों को ठगी का शिकार बनाकर उनके खून पसीने की कमाई लूट रहे हैं. शुरुआत में डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के नाम पर सबसे ज्यादा ठगी होती थी. लेकिन अब साइबर ठग ऑनलाइन जॉब, वर्क फॉर्म होम, इंश्योरेंस पॉलिसी रिन्यू करने, टेलीग्राम एप पर टास्क देकर निवेश और शेयर मार्केट के नाम पर ज्यादा ठगी कर रहे हैं. जबकि सीबीआई अधिकारी या रिश्तेदार बनकर ठगी के मामले भी सामने आ रहे हैं. अगर वर्तमान में बात करें तो साइबर ठग सबसे अधिक ऑनलाइन पार्ट टाइम जॉब या फिर टेलीग्राम एप पर टास्क देकर निवेश के नाम पर ठगी कर रहे हैं.
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अपराध का तरीका: साइबर ठग फर्जी वैबसाइट तैयार कर खुद को नामी कंपनी के कर्मचारी और अधिकारी बताते हुए ऑनलाइन जॉब कर लाभ कमाने की बात कहते हैं. इसके लिए टेलीग्राम ग्रुप में जोड़कर अलग-अलग हैंडल के नाम के लिंक भेजकर निवेश कर 30 से 40 प्रतिशत का लाभ कमाने आदि संबंधी टास्क दिया जाता है और फिर धोखाधड़ी की जाती है. धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को अलग-अलग बैंक खातों से प्राप्त कर धनराशि का प्रयोग करते हैं. आरोपियों द्वारा कार्य के लिए फर्जी सिम, आईडी कार्ड का प्रयोग किया जाता है. आरोपी द्वारा अलग-अलग मोबाइल हैंडसेट, सिम कार्ड और फर्जी बैंक खातों का प्रयोग किया जाता है. कुछ पीड़ितों से एक मोबाइल फोन, सिम कार्ड और बैंक खाते का प्रयोग कर धोखाधड़ी करने के बाद इनके द्वारा नए सिम, मोबाइल हैंडसैट और बैंक खातों का प्रयोग किया जाता है.
राजस्थान से गिरोह कर रहा अब ऑपरेट: साइबर ठगों द्वारा पहले झारखंड के जामताड़ा में गिरोह बनाकर लोगों को ठगने का काम किया जाता था. लेकिन अब साइबर ठग राजस्थान के कई जिलों से लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं. उत्तराखंड साइबर एएसपी अंकुश मिश्रा ने बताया कि जिस तरह से जामताड़ा में कई युवा गिरोह बनाकर काम करते थे तो उनकी चेन अब लगातार भारत में फैलती जा रही है. अब गिरोह राजस्थान के कई जनपदों से साइबर ठगी को ऑपरेट कर रहे हैं. हालांकि, एसटीएफ लगातार राजस्थान से गिरफ्तारी कर रही है.
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विदेश से कनेक्शन: साइबर अपराध देश के कुछ राज्यों जिसमें बिहार, झारखंड, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हॉटस्पॉट से किया जा रहा था. लेकिन पिछले कुछ समय से विदेश से कनेक्शन सामने आया है. विदेशों में बैठे अपराधियों पर कार्रवाई करना पुलिस के लिए कहीं न कहीं चुनौतीपूर्ण है.