रायपुर: बागेश्वर धाम महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने संस्कृति मंत्री से रामचरितमानस को छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की मांग की है. उनके मांग का भाजपा ने स्वागत किया है. लेकिन भाजपा ने सरकार पर संशय जाहिर करते हुए कहा है कि "जिस तरह धीरेंद्र शास्त्री का छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने अपमान किया है, उसे देखकर लगता नहीं कि रामचरितमानस को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. राज्य सरकार इसको प्रतिष्ठा और अपनी राजनीति का प्रयोग मानते हुए हिला हवाली ना करें."
"सरकार पाठ्यक्रम में शामिल करेगी, तो उसका स्वागत करेंगे": भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि "यदि राज्य सरकार रामचरित मानस को पाठ्यक्रम में शामिल करती है, तो उसका स्वागत करेंगे. जिस प्रकार से रामचरितमानस को लेकर पूरे देश के लोगों की आस्था है. आने वाली पीढ़ी को यह निश्चित तौर पर प्रेरणा देगी. यदि पाठ्यक्रम में शामिल होता है, तो हमारे सनातन संस्कार को और बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी."
"समाज में समरसता की भावना बढ़ेगी": शिवसेना प्रदेश प्रमुख आनंद सिंह मल्होत्रा ने कहा कि "हम चाहते हैं कि आने वाले शिक्षा सत्र के दौरान ही इसे पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाए. हम इस पहल का स्वागत करते हैं. इसके माध्यम से भगवान राम के संदर्भ में जनता भी जानेगी. उसे पाठ्यक्रम में शामिल करने से समाज में समरसता की भावना बढ़ेगी. साथ ही जो भगवान राम के किए हुए अच्छे कार्य हैं, उनको भी बच्चे और स्टूडेंट जानेंगे. जिससे कि आने वाले समय उनका विकास होगा.
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भाजपा पर राम के नाम पर राजनीति के लगाए आरोप: सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "शायद बागेश्वर धाम वालों को मालूम नहीं है कि रामचरितमानस का अरण्यकांड का एक हिस्सा बहुत दिनों से हम लोग पढ़ते थे. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से यह यह पाठ्यक्रम में शामिल है." वहीं भाजपा द्वारा रामचरितमानस को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की मांग का समर्थन किए जाने पर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि "वह (भाजपा) सिर्फ राम के नाम पर राजनीति कर रही है. कांग्रेस पार्टी भगवान राम के नाम पर काम कर रही है. भूपेश बघेल ने भगवान राम के वन गमन पथ को संरक्षित और संवर्धित करने का काम किया है."
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने रखी थी मांग: बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम में रामचरितमानस को जोड़ने की मांग की है. राजधानी रायपुर में चल रहे सात दिवसीय रामकथा में अंतिम दिन संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत पहुंचे, जिनके सामने यह मांग रखी गई. हालांकि संस्कृति मंत्री ने पाठ्यक्रम में रामचरितमानस को शामिल करने को लेकर मंच से कोई बयान नहीं दिया.