नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसदों ने असम-मेघालय सीमा समझौते को रद्द करने की मांग को लेकर मंगलवार को यहां विजय चौक पर विरोध प्रदर्शन किया. दोनों राज्यों ने मार्च में 884.9 किलोमीटर सीमा पर 12 विवादित स्थानों में से छह में अपने पांच दशक पुराने सीमा विवाद को समाप्त करने का फैसला किया था. सीमा विवाद को लेकर प्राय: उनके बीच तनाव होता था.
टीएमसी नेता मुकुल संगमा ने कहा, 'हम राज्य के लोगों की भावनाओं का संज्ञान लेने और असम-मेघालय सीमा समझौते को रद्द करने के लिए भारत सरकार का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं.' असम की मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और पश्चिम बंगाल के साथ 2,743 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. उसका नगालैंड, मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के साथ सीमा विवाद है.
पार्टी ने एक ट्वीट में कहा, 'असम-मेघालय सीमा का मुद्दा, जो लंबे समय से लंबित है, वर्तमान सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. वर्तमान समझौता मेघालय के लोगों की भावनाओं के अनुरूप नहीं है और इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए.' बाद में, एक संवाददाता सम्मेलन में संगमा ने कहा कि कोई भी प्रस्ताव जिस पर फैसला हो वह लोगों को स्वीकार्य होना चाहिए. उन्होंने कहा, 'मेघालय, जो पहले असम का हिस्सा था, को राज्य का दर्जा मिला क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इसे आवश्यक समझा. वर्तमान में, दोनों राज्यों के बीच मतभेद के 12 चिह्नित क्षेत्र हैं. विवाद समाधान प्रक्रिया सभी हितधारकों को स्वीकार्य होनी चाहिए.'
आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग : संगमा ने कहा कि मेघालय के संदर्भ में, हितधारक वे लोग हैं जिनसे भूमि संबंधित है. उन्होंने दावा किया कि मेघालय में स्थानीय संस्थाओं का भूमि पर स्वामित्व है, इसलिए लोगों का प्रतिरोध शुरू हो गया है. उन्होंने कहा, 'आज की सरकार ऐसा फैसला थोपने के मूड में है जो लोकतंत्र की भावना के अनुरूप नहीं है.' सरकार से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए, पार्टी ने मेघालय-असम सीमा विवाद समझौते को रद्द करने की मांग के साथ ही गारो और खासी भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की भी मांग की.
संगमा ने कहा, 'भाषा हमारी पहचान का एक अनिवार्य हिस्सा है. गारो और खासी भाषा को शामिल करने से राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. रोजगार चाहने वाले सभी युवाओं को समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए.' प्रदर्शन करने वाले टीएमसी सांसद तख्तियां लिए हुए थे और उन्होंने समझौते को रद्द करने की मांग को लेकर नारे लगाए.
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