नई दिल्ली: विद्युत मंत्रालय ने बिजली की बढ़ती मांग और घरेलू कोयले की अपर्याप्त आपूर्ति को स्वीकार किया है. मंत्रालय ने इसे देखते हुए सभी राज्य सरकारों, केंद्रशासित प्रदेशों और बिजली उत्पादकों से समय पर कोयला आयात पर जोर दिया है. राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेशों और सभी बिजली उत्पादन प्राधिकरणों के साथ एक संवाद में बिजली मंत्रालय ने कहा कि सरकार द्वारा बिजली आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की गई है. इसमें यह देखा गया है कि देश में बिजली की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है. घरेलू कोयले की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण देश भर में घरेलू कोयला आधारित (डीसीबी) संयंत्रों में कोयले का भंडार तेजी से कम हो गया है.
ईटीवी भारत के पास मौजूद बिजली मंत्रालय के पत्र में कहा गया है, 'एक सितंबर से 9 अक्टूबर 2023 के दौरान घरेलू कोयले की प्राप्ति और कोयले की खपत के बीच का अंतर 12 मीट्रिक टन था.' मंत्रालय ने बताया कि परिवर्तनशील मानसूनी वर्षा के कारण वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में वित्त वर्ष 23 की इसी अवधि की तुलना में जल विद्युत उत्पादन में लगभग 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
मंत्रालय ने अपने विज्ञप्ति में कहा,'सिक्किम में हाल ही में आई बाढ़ के कारण लगभग 2 गीगावॉट पनबिजली क्षमता समाप्त हो गई है. 9 अक्टूबर 2023 को उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र में जलाशय का स्तर पिछले वर्ष की तुलना में कम है. इसके परिणामस्वरूप जलाशय से ऊर्जा उत्पादन की क्षमता कम हो गई है. यह हाल पूरे भारत में है. इससे कोयला आधारित थर्मल उत्पादन पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है.'
इसलिए देश भर में निर्बाध बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह तय किया गया है कि मार्च 2024 तक 6 प्रतिशत (वजन से) न्यूनतम पर आयातित कोयला का सम्मिश्रण किया जा सकता है. मंत्रालय ने कहा, ' बिजली उत्पादन कंपनियां (जेनको) लगातार अपने स्टॉक की स्थिति की समीक्षा कर सकती हैं और घरेलू कोयले की आपूर्ति में 6 प्रतिशत से अधिक की कमी होने पर आवश्यकताओं के अनुसार मिश्रण का विकल्प चुन सकते हैं.
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' इस बीच ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने सरकार से कोयला आयात करने के अपने निर्देश वापस लेने की मांग की है. फेडरेशन ने कहा है कि कोयला आयात की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को लेनी चाहिए. सरकार के हालिया संचार का उल्लेख करते हुए जहां यह कहा गया था कि कोयला मंत्रालय कोयले की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. रेलवे और बिजली मंत्रालय के साथ निकट समन्वय में है, एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि तीन मंत्रालयों के बीच एक बड़ा संचार अंतर है. सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा कि त्योहारी सीजन के दौरान सामान्य उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए कोयला मंत्रालय रेलवे और बिजली क्षेत्र के साथ निकट समन्वय में काम कर रहा है.