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इस तरह होते हैं अफसरों के ट्रांसफर व पोस्टिंग, कभी रुटीन तो कभी शिकायत पर गिरती है गाज

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Published : Jul 16, 2023, 10:39 PM IST

आईएएस-आईपीएस, पीसीएस व पीपीएस अफसरों के तबादले (IAS and IPS transfer process ) की नीति रही है लेकिन कई बार इससे इतर भी फैसले होते रहे हैं. कई बार शिकायतों के आधार पर भी तबादले किए जाते हैं.

शिकायत के आधार पर भी होते रहते हैं तबादले.
शिकायत के आधार पर भी होते रहते हैं तबादले.

लखनऊ : पिछले कुछ समय से शासन स्तर से लेकर जिलों और कमिश्नरी स्तर पर तमाम आईएएस-आईपीएस, पीसीएस अफसरों के ट्रांसफर व पोस्टिंग होते रहे हैं. स्थानांतरण नीति के तहत तो विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के ट्रांसफर होने की परंपरा रही है. इसी के अंतर्गत 30 जून तक अधिकारियों के ट्रांसफर हुए, लेकिन इसके अलावा आईएएस-आईपीएस, पीसीएस-पीपीएस जैसे अफसरों के स्थानांतरण रूटीन प्रक्रिया के साथ-साथ शिकायत आदि के आधार पर भी होते रहते हैं.

मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले निर्देश पर तैयार होते हैं प्रस्ताव : उत्तर प्रदेश में आईएएस अधिकारियों के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के स्थानांतरण शासन स्तर पर आने वाली शिकायतों के आधार पर भी होते हैं. इसके अलावा 2 वर्ष या 3 वर्ष की अवधि पूरी करने पर भी वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के स्थानांतरण होने की परंपरा रही है लेकिन शासन स्तर पर कामकाज देख रहे आईएएस अधिकारियों के स्थानांतरण में रूटीन ट्रांसफर बहुत ही कम होते हैं. उत्तर प्रदेश के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के स्तर पर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों के ट्रांसफर के प्रस्ताव तैयार होते हैं और फिर संबंधित प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता के अनुसार सहमति मिलने पर ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी की जाती है.

शिकायत के आधार पर भी होते रहते हैं तबादले.
शिकायत के आधार पर भी होते रहते हैं तबादले.

एक अधिकारी के पास कई दायित्व : मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर पर जिन अधिकारियों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, उन अधिकारियों को भी शंटिंग वाली पोस्ट दी जाती है. कई बार अधिकारियों को वेटिंग में भी डाल दिया जाता है. इसके अलावा भ्रष्टाचार जैसी गंभीर शिकायत की पुष्टि होने पर निलंबन जैसी कार्रवाई की जाती है. पिछले दिनों करीब 12 से अधिक जिलों में जिलाधिकारियों के पदों पर ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी की गई. इसके अलावा शासन स्तर पर प्रमुख सचिव अपर मुख्य सचिव के भी कई पदों पर ट्रांसफर हुए. शासन में कई ऐसे पद भी हैं जिनमें एक-एक अधिकारी के पास कई दायित्व भी हैं. ऐसे में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में समन्वय बनाने में भी शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है, लेकिन तमाम ऐसे अधिकारी भी हैं जो सेटिंग के आधार पर अपनी मलाईदार पोस्टिंग पा रहे हैं.

चहेतों की शिकायतें भी कर दी जाती हैं दरकिनार : सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर जिन अधिकारियों को संरक्षण प्राप्त होता है, उन अधिकारियों को अच्छी पोस्टिंग दी जाती है. तमाम बार अच्छी पोस्टिंग वाले अधिकारियों की शिकायत भी होती है लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के चहेते होने के चलते शिकायतों को दरकिनार भी कर दिया जाता है. ऐसे में तमाम ऐसे अधिकारी जो शासन में विशेष सचिव स्तर पर तैनात हैं. उन अधिकारियों को जिलों की पोस्टिंग नहीं मिल पाती हैं. इससे उन तमाम अधिकारियों को निराशा का भी सामना करना पड़ता है. शासन स्तर पर तैनात होने वाले विशेष सचिव स्तर के अधिकारी जिलों में जिला अधिकारी बनने के लिए परेशान रहते हैं. सत्तारूढ़ पार्टी से लेकर अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क समन्वय बनाते हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग का जुगाड़ करते हैं लेकिन जब तक बड़े स्तर पर सेटिंग नहीं हो पाती तब तक अधिकारियों को अच्छी पोस्टिंग नहीं मिल पाती है.

यह भी पढ़ें : यूपी में पीसीएस अधिकारियों के तबादले, जानिए किसको कहां मिली पोस्टिंग

उदाहरण के लिए लखनऊ नगर निगम में तैनात 2 पीसीएस अधिकारी जो अपर नगर आयुक्त के पद पर तैनात थे, इनकी शिकायत नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह की तरफ से उच्च स्तर पर की गई. इसके बाद इन दोनों अपर नगर आयुक्त अभय पांडे व पंकज सिंह को प्रतीक्षारत कर दिया गया. इस तरह तमाम अधिकारियों की जिनकी शिकायतें मिलती हैं, शिकायत गंभीर होती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें प्रतीक्षारत या निलंबन जैसी कार्रवाई भी की जाती है.

कामकाज के आधार पर भी होता है निर्णय : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन कहते हैं कि अधिकारियों के स्थानांतरण रूटीन प्रक्रिया के अंतर्गत किए जाते हैं. तमाम बार शिकायतों के आधार पर अधिकारियों को हटाया जाता है. नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर अधिकारियों के स्थानांतरण का काम किया जाता है. अधिकारियों के कामकाज के आधार पर अच्छी पोस्टिंग भी दिए जाने की परंपरा रही है जबकि गलत काम करने वाले जिन अधिकारियों की शिकायत आती है उन अधिकारियों को कम महत्वपूर्ण और शंटिंग वाली पोस्ट पर भेजा जाता है.

यह भी पढ़ें : यूपी में आठ सीटर कारों के रजिस्ट्रेशन पर संकट, तय नहीं हो पा रही कैटेगरी

लखनऊ : पिछले कुछ समय से शासन स्तर से लेकर जिलों और कमिश्नरी स्तर पर तमाम आईएएस-आईपीएस, पीसीएस अफसरों के ट्रांसफर व पोस्टिंग होते रहे हैं. स्थानांतरण नीति के तहत तो विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के ट्रांसफर होने की परंपरा रही है. इसी के अंतर्गत 30 जून तक अधिकारियों के ट्रांसफर हुए, लेकिन इसके अलावा आईएएस-आईपीएस, पीसीएस-पीपीएस जैसे अफसरों के स्थानांतरण रूटीन प्रक्रिया के साथ-साथ शिकायत आदि के आधार पर भी होते रहते हैं.

मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले निर्देश पर तैयार होते हैं प्रस्ताव : उत्तर प्रदेश में आईएएस अधिकारियों के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के स्थानांतरण शासन स्तर पर आने वाली शिकायतों के आधार पर भी होते हैं. इसके अलावा 2 वर्ष या 3 वर्ष की अवधि पूरी करने पर भी वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के स्थानांतरण होने की परंपरा रही है लेकिन शासन स्तर पर कामकाज देख रहे आईएएस अधिकारियों के स्थानांतरण में रूटीन ट्रांसफर बहुत ही कम होते हैं. उत्तर प्रदेश के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के स्तर पर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों के ट्रांसफर के प्रस्ताव तैयार होते हैं और फिर संबंधित प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता के अनुसार सहमति मिलने पर ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी की जाती है.

शिकायत के आधार पर भी होते रहते हैं तबादले.
शिकायत के आधार पर भी होते रहते हैं तबादले.

एक अधिकारी के पास कई दायित्व : मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर पर जिन अधिकारियों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, उन अधिकारियों को भी शंटिंग वाली पोस्ट दी जाती है. कई बार अधिकारियों को वेटिंग में भी डाल दिया जाता है. इसके अलावा भ्रष्टाचार जैसी गंभीर शिकायत की पुष्टि होने पर निलंबन जैसी कार्रवाई की जाती है. पिछले दिनों करीब 12 से अधिक जिलों में जिलाधिकारियों के पदों पर ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी की गई. इसके अलावा शासन स्तर पर प्रमुख सचिव अपर मुख्य सचिव के भी कई पदों पर ट्रांसफर हुए. शासन में कई ऐसे पद भी हैं जिनमें एक-एक अधिकारी के पास कई दायित्व भी हैं. ऐसे में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में समन्वय बनाने में भी शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है, लेकिन तमाम ऐसे अधिकारी भी हैं जो सेटिंग के आधार पर अपनी मलाईदार पोस्टिंग पा रहे हैं.

चहेतों की शिकायतें भी कर दी जाती हैं दरकिनार : सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर जिन अधिकारियों को संरक्षण प्राप्त होता है, उन अधिकारियों को अच्छी पोस्टिंग दी जाती है. तमाम बार अच्छी पोस्टिंग वाले अधिकारियों की शिकायत भी होती है लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के चहेते होने के चलते शिकायतों को दरकिनार भी कर दिया जाता है. ऐसे में तमाम ऐसे अधिकारी जो शासन में विशेष सचिव स्तर पर तैनात हैं. उन अधिकारियों को जिलों की पोस्टिंग नहीं मिल पाती हैं. इससे उन तमाम अधिकारियों को निराशा का भी सामना करना पड़ता है. शासन स्तर पर तैनात होने वाले विशेष सचिव स्तर के अधिकारी जिलों में जिला अधिकारी बनने के लिए परेशान रहते हैं. सत्तारूढ़ पार्टी से लेकर अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क समन्वय बनाते हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग का जुगाड़ करते हैं लेकिन जब तक बड़े स्तर पर सेटिंग नहीं हो पाती तब तक अधिकारियों को अच्छी पोस्टिंग नहीं मिल पाती है.

यह भी पढ़ें : यूपी में पीसीएस अधिकारियों के तबादले, जानिए किसको कहां मिली पोस्टिंग

उदाहरण के लिए लखनऊ नगर निगम में तैनात 2 पीसीएस अधिकारी जो अपर नगर आयुक्त के पद पर तैनात थे, इनकी शिकायत नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह की तरफ से उच्च स्तर पर की गई. इसके बाद इन दोनों अपर नगर आयुक्त अभय पांडे व पंकज सिंह को प्रतीक्षारत कर दिया गया. इस तरह तमाम अधिकारियों की जिनकी शिकायतें मिलती हैं, शिकायत गंभीर होती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें प्रतीक्षारत या निलंबन जैसी कार्रवाई भी की जाती है.

कामकाज के आधार पर भी होता है निर्णय : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन कहते हैं कि अधिकारियों के स्थानांतरण रूटीन प्रक्रिया के अंतर्गत किए जाते हैं. तमाम बार शिकायतों के आधार पर अधिकारियों को हटाया जाता है. नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर अधिकारियों के स्थानांतरण का काम किया जाता है. अधिकारियों के कामकाज के आधार पर अच्छी पोस्टिंग भी दिए जाने की परंपरा रही है जबकि गलत काम करने वाले जिन अधिकारियों की शिकायत आती है उन अधिकारियों को कम महत्वपूर्ण और शंटिंग वाली पोस्ट पर भेजा जाता है.

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