नई दिल्ली : पहली बार कोई भी आम आदमी एक जून से शुरू होने वाले ओपन हाउस सेशन के दौरान बिना समय लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress president Mallikarjun Kharge) से मिल सकेगा. खड़गे ने अक्टूबर 2022 में पार्टी प्रमुख बनने के तुरंत बाद ओपन हाउस सत्रों की मेजबानी शुरू कर दी थी, लेकिन ऐसी बैठकों में केवल पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को ही अनुमति दी गई थी. इस संबंध में एआईसीसी के पदाधिकारी गुरदीप सिंह सप्पल (AICC functionary Gurdeep Singh Sappal) ने कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष अब तक ऐसे चार पांच ओपन हाउस का आयोजन कर चुके हैं. आमतौर पर पार्टी के कार्यकर्ता और नेता उनके पास आकर मुद्दों पर चर्चा करते थे या अपनी समस्याएं उनसे साझा करते थे. लेकिन अब, यहां तक कि पार्टी प्रमुख से मिलने का इच्छुक एक आम व्यक्ति भी बिना किसी समय के आ सकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेता और आम आदमी के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि सप्पल खड़गे के कार्यालय का हिस्सा हैं.
सप्पल ने कहा कि खड़गे 24 अकबर रोड नई दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय में होने वाले ओपन हाउस के लिए दो घंटे का समय देंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष एक जून को सुबह 11.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक अपने कक्ष में उपलब्ध रहेंगे. इस दौरान कोई भी कांग्रेस कार्यकर्ता या कोई इच्छुक व्यक्ति दोपहर 12 बजे से बिना समय लिए उनसे मिल सकता है. वहीं एआईसीसी सचिव व राजस्थान कांग्रेस सह प्रभारी अमृता धवन ने कहा कि काम करने का यह एक शानदार तरीका है. इसी क्रम में दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता गुरसिमर बिंद्रा ने कहा कि मैं इस कदम का स्वागत करती हूं. यह महीने में कम से कम कुछ दिन नियमित होना चाहिए. कांग्रेस वफादार जमीनी कार्यकर्ताओं का समुद्र है और पार्टी को अपनी सबसे बड़ी संपत्ति को हल्के में नहीं लेना चाहिए. इसी तरह पश्चिम बंगाल इकाई में पार्टी के सोशल मीडिया विभाग से जुड़े प्रज्जल सिन्हा ने कहा कि यह शानदार पहल है. इससे पार्टी का मनोबल बढ़ेगा और जमीन से अधिक जानकारी मिलेगी.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जब पार्टी की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी या राहुल गांधी सत्ता में थे, तब उनके आसपास बहुत सख्त सुरक्षा होने के कारण ऐसा खुलापन संभव नहीं था. हालांकि, खड़गे के मामले में इसे संभालना बहुत आसान है. उन्होंने कहा कि अपनी ओर से खड़गे ने पार्टी प्रमुख चुने जाने के बाद अपने भाषण के दौरान अपनी विनम्र शुरुआत, अपने संघर्षों और पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने आने वाली समस्याओं के अपने अनुभव पर प्रकाश डाला था. हालांकि पिछले वर्षों में विभिन्न आंतरिक आकलनों ने दिखाया था कि पार्टी नेतृत्व को उन निष्क्रिय कार्यकर्ताओं को चार्ज करने और पुनर्जीवित करने की आवश्यकता थी, जिनका मनोबल राज्यों और केंद्र दोनों में पिछले चुनावी नुकसान के परिणामस्वरूप गिर गया था.
एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने कहा कि हालांकि, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में हाल की दो जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर दिया है, जो अब सोचते हैं कि वे भाजपा के रथ का मुकाबला कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक खड़गे का सवाल है, उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया है और जनसभाओं के दौरान अपने भीड़ से अनुभवी नेताओं को भी चौंका सकते हैं. खड़गेजी अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़ और मराठी जानते हैं और इसलिए देश भर के श्रमिकों के साथ एक-से-एक आधार पर बातचीत कर सकते हैं. साथ ही, उनकी वरिष्ठता और उनकी तटस्थ छवि की सभी राज्यों के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा सराहना की जाती है.
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