नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने इस बात पर चिंता जताई है कि देशभर में पुलिस की छवि नकारात्मक है और पुलिस अक्सर आम लोगों एवं कमजोर वर्गों के प्रति असंवेदनशील नजर आती है. समिति ने पुलिस कर्मियों के दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर दिया है.
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति (mha parliamentary panel police public relations) ने इस बात पर भी चिंता जताई कि कुछ आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज की गई हैं.
समिति ने इस सप्ताह संसद को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा, 'पूरे देश में पुलिस की सार्वजनिक छवि नकारात्मक है.' इसने कहा कि पुलिस आम आदमी और कमजोर वर्गों के प्रति असंवेदनशील दिखती है. समिति ने कहा कि हालांकि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पुलिस की ओर से इस तरह के व्यवहार के लिए विभिन्न कारण जिम्मेदार हैं और इस संबंध में सही प्रशिक्षण के जरिए पुलिसकर्मियों में संबंधित विशेषताएं विकसित की जा सकती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि, समिति इस बात पर जोर देना चाहेगी कि एक लोकतांत्रिक देश में जनप्रतिनिधियों को सरकारी अधिकारियों की तुलना में उच्च पद दिया गया है.' समिति ने सिफारिश की है कि एमएचए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दे सकता है कि वे वरिष्ठ रैंक के सरकारी अधिकारियों को सांसदों और विधायकों के साथ बातचीत करते समय प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने के लिए संवेदनशील बनाएं. समिति ने कहा, 'कुछ सदस्यों ने संसद में भी शिकायत की है. वरिष्ठ स्तर पर भी पुलिस अधिकारियों के अभद्र व्यवहार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए हैं.'
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समिति ने कहा कि पुलिसकर्मियों के रवैये में सकारात्मक बदलाव लाए जाने की आवश्यकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसलिए समिति ने सिफारिश की कि प्रशिक्षण संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिसकर्मियों को सही प्रशिक्षण मिले. समिति ने कुछ आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों को लेकर भी चिंता जताई. जवाब में एमएचए ने कहा कि सरदार बल्लभबाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए) का उद्देश्य इसी को ध्यान में रखकर किया गया है. प्रशिक्षुओं को पेशेवर रूप से सक्षम अधिकारियों में ढालना है.