नई दिल्ली : संसद ने मंगलवार को राष्ट्रीय दंत आयोग विधेयक 2023 एवं 'राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक, 2023' को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. लोकसभा ने 28 जुलाई को हंगामे के बीच इन विधेयकों को मंजूरी दी थी. राष्ट्रीय दंत आयोग विधेयक का उद्देश्य देश में दंत चिकित्सा व्यवसाय को विनियमित करना तथा गुणवत्तापूर्ण और किफायती दंत चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराना है. वहीं राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक में परिचर्या और प्रसूति विद्या पेशेवरों (नर्सिंग एवं मिडवाइफ) संबंधी शिक्षा एवं सेवा मानकों के विनियमन, संस्थाओं के मूल्यांकन तथा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय रजिस्टर के रखरखाव का उपबंध किया गया है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में दोनों विधेयक पेश किए. बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा और ममता मोहंता, भाजपा के सिकंदर कुमार और भुवनेश्वर कालिता, वाईएसआर कांग्रेस के एस निरंजन रेड्डी और वी विजय साई रेड्डी, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम के एम थंबीदुरई, तमिल मनीला कांग्रेस (एम) के जी के वासन, तेलुगु देशम पार्टी के कनकमेदला रवींद्र कुमार ने चर्चा में हिस्सा लिया और विधेयकों का समर्थन किया.
इस दौरान विपक्ष के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे. विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर के मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया था. दोनों विधेयकों पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए मांडविया ने कहा कि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग और डेंटल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में ये विधेयक बहुत ही कारगर साबित होंगे और आने वाले समय में चिकित्सा क्षेत्र की मांग को पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में वर्तमान और भविष्य की घरेलू और वैश्विक आवश्यकताओं को पूरा करना है. मांडविया ने कहा कि ये विधेयक नर्सिंग और दंत चिकित्सा सहित स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार के प्रयास का हिस्सा हैं. मंत्री ने यह भी घोषणा की कि सरकार जल्द ही एक फार्मेसी आयोग लेकर आएगी.
उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र के समग्र विकास के लिए पिछले नौ वर्षों में नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में एमबीबीएस सीटों की संख्या 54,000 से बढ़कर 1.07 लाख हो गई है। उन्होंने कहा कि एमबीबीएस कॉलेजों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है. मंत्री ने कहा कि इस साल निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में 54 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है. उन्होंने बताया कि सरकार ने प्रत्येक मेडिकल कॉलेज के साथ एक नर्सिंग कॉलेज स्थापित करने का निर्णय लिया है. मांडविया ने कहा कि इसके लिए सरकार 10 करोड़ रुपये मुहैया कराएगी.
विदेशों में भारतीय नर्सों की बढ़ती मांग को देखते हुए उन्होंने कहा कि नर्सिंग छात्रों को दूसरी भाषा के रूप में एक विदेशी भाषा भी सिखाई जाएगी ताकि उनकी रोजगार की संभावनाओं को बलवती किया जा सके. उन्होंने कहा कि आज देश में पारदर्शिता के साथ अच्छी एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा दी जा रही है. उन्होंने कहा कि सदन में काफी पहले यह चर्चा की गई कि दंत चिकित्सा और नर्सिंग की शिक्षा को लेकर भी व्यवस्था में सुधार हो। संसद की स्थायी समिति से इस संबंध में सुझाव आए.
संसद ने 'भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक' को मंजूरी दी
संसद ने मंगलवार को 'भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक, 2023' को मंजूरी दी जिसमें मुंबई स्थित राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान (नीति) को भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) का दर्जा दिया जा रहा है. राज्यसभा ने विपक्षी सदस्यों की गैर-मौजूदगी में संक्षिप्त चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. विधेयक पर चर्चा होने से पहले ही विपक्ष ने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन कर दिया.
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से मुंबई स्थित राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान (नीति) को भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) का दर्जा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान प्रतिष्ठित संस्थान है जो तकनीकी-प्रबंधन पाठ्यक्रम में विशेषज्ञता रखता है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधान से मुंबई में भी एक आईआईएम होगा. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि राष्टपति ही संस्थान की कुलाध्यक्ष (विजिटर) होंगी.
प्रधान ने कहा कि ऐसे संस्थान अपने पाठ्यक्रम व शिक्षकों के बारे में खुद ही फैसला करेंगे और इस बारे में सरकार कुछ तय नहीं करेगी लेकिन उनसे संवैधानिक जरूरतों को पूरा करने की अपेक्षा है. विभिन्न केंद्रीय संस्थानों में आरक्षण मुहैया कराने की मौजूदा सरकार की नीति का जिक्र करते हुए प्रधान ने कहा कि संस्थानों में जवाबदेही भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि शिक्षण उत्कृष्टता के लिए स्वायत्ता दी गई है लेकिन कुछ हद तक जवाबदेही होनी चाहिए, तभी सामाजिक न्याय का सिद्धांत भी पूरा हो सकेगा. प्रधान ने कहा कि केंद्रीय उच्चतर शिक्षण संस्थानों में 2019 तक आरक्षण तक नहीं था और उनमें सामाजिक न्याय की व्यवस्था नहीं थी और इस विधेयक के जरिए शिक्षण संस्थान सवालों के जवाब देने के लिए बाध्य होंगे.
दुनिया भर में आईआईएम की विश्वसनीयता का जिक्र करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि आईआईएम संस्थान अपना पाठ्यक्रम बनाएं, अपना राजस्व अर्जित करे और सरकार समय समय पर उनकी मदद करती रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आईआईएम संस्थानों की स्थापना पर 6,000 करोड़ रूपये खर्च किए हैं. इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में भारतीय जनता पार्टी के अनिल अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान को आईआईएम का दर्जा दिया जा रहा है और अब वह अपनी डिग्री दे सकेगा. उन्होंने कहा कि अच्छे प्रबंध संस्थान देश की जरूरत हैं.
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(पीटीआई-भाषा)