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Mauni Amavasya 2023: मौनी अमावस्या पर शुभ मुहूर्त पर करें गंगा स्नान, जानें क्या है महत्व - Mauni Amavasya

शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. शनिश्चरी अमावस्या पर स्नान-दान से पुण्य मिलता है. इस दिन आप पितृदोष से मुक्ति के लिए पितरों के नाम पर तर्पण और दान कर सकते हैं.

Mauni Amavasya 2023
मौनी अमावस्या 2023
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Published : Jan 20, 2023, 10:01 PM IST

नई दिल्लीः भारतीय पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या के पर्व के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व 21 जनवरी 2023 यानी शनिवार को आ रही है. ऐसे में शनिवार को आने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya) कहा जाता है, जो बहुत ही शुभ होती है. माघ में अमावस्या का अपना खास महत्व है. इस दिन संगम और गंगा में देवताओं का वास रहता है. इसलिए गंगा स्नान करना अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है. इस वर्ष मौनी अमावस्या का भी विशेष महत्व बताया जा रहा है, क्योंकि मौनी अमावस्या पर ग्रहों का ऐसा संयोग बना है जो इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा रहा है.

मौनी अमावस्या शनिवार 21 जनवरी को सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 22 जनवरी रविवार को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर होगा. वहीं स्नान और दान करने का मुहूर्त सुबह 8 बजकर 34 मिनट से लेकर 9 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. वैदिक शास्त्रों लोक परंपराओं के अनुसार इस दिन समस्त पवित्र नदियों तथा सरोवरों का जल अमृत तुल्य हो जाता है. अतः इस दिन पवित्र सरोवरों व नदियों में स्नान करने का अत्यधिक महत्व बताया गया है. इसके साथ ही यदि किसी व्यक्ति पर शनि की दशा हो या जन्मकुंडली में शनि अशुभ हो तो उसे भी इस दिन उपाय करने चाहिए.

सुबह उठकर करें ये काम
मौनी अमावस्या के के दिन प्रातः काल उठने के बाद सबसे पहले भूमि वंदन और माता-पिता के चरणों का वंदन करें. इसके बाद अमावस्या की प्रातः काल सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में अथवा घर पर स्नान करें. स्नान के समय स्नान के जल में गंगाजल अथवा काले तिल अवश्य मिलाएं. स्नान के बाद पितरों का स्मरण करते हुए सूर्य को लोटे से जल दें. जल में तिल, शक्कर और गंगाजल अवश्य मिलाएं. दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके पितरों को प्रणाम और उनका स्मरण करें. ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

20 साल बाद बना संयोग
जब कोई अमावस्या शनिवार को पड़ती है तो उसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. इस बार शनिवार 21 जनवरी को माघ महीने की पहली शनिश्चरी अमावस्या है. शनिवार को अमावस्या का शुभ संयोग कम ही बनता है. आज से 20 साल पहले, यानी 1 फरवरी 2003 को ऐसा शुभ संयोग बना था. जब माघ महीने की अमावस्या शनिवार को पड़ी थी और इसी दिन मौनी अमावस्या पर्व मना था. अब ऐसा योग चार साल बाद बनेगा. इसके साथ ही चंद्रमा शनि की राशि मकर में संचरण करेंगे. ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या पर शनि की कृपा भक्तों पर खूब बरसेगी.

ये भी पढ़ेंः Mauni Amavasya 2023: जानें कब है मौनी अमावस्या, भूलकर भी न करें ये 5 काम

नई दिल्लीः भारतीय पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या के पर्व के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व 21 जनवरी 2023 यानी शनिवार को आ रही है. ऐसे में शनिवार को आने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya) कहा जाता है, जो बहुत ही शुभ होती है. माघ में अमावस्या का अपना खास महत्व है. इस दिन संगम और गंगा में देवताओं का वास रहता है. इसलिए गंगा स्नान करना अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है. इस वर्ष मौनी अमावस्या का भी विशेष महत्व बताया जा रहा है, क्योंकि मौनी अमावस्या पर ग्रहों का ऐसा संयोग बना है जो इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा रहा है.

मौनी अमावस्या शनिवार 21 जनवरी को सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 22 जनवरी रविवार को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर होगा. वहीं स्नान और दान करने का मुहूर्त सुबह 8 बजकर 34 मिनट से लेकर 9 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. वैदिक शास्त्रों लोक परंपराओं के अनुसार इस दिन समस्त पवित्र नदियों तथा सरोवरों का जल अमृत तुल्य हो जाता है. अतः इस दिन पवित्र सरोवरों व नदियों में स्नान करने का अत्यधिक महत्व बताया गया है. इसके साथ ही यदि किसी व्यक्ति पर शनि की दशा हो या जन्मकुंडली में शनि अशुभ हो तो उसे भी इस दिन उपाय करने चाहिए.

सुबह उठकर करें ये काम
मौनी अमावस्या के के दिन प्रातः काल उठने के बाद सबसे पहले भूमि वंदन और माता-पिता के चरणों का वंदन करें. इसके बाद अमावस्या की प्रातः काल सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में अथवा घर पर स्नान करें. स्नान के समय स्नान के जल में गंगाजल अथवा काले तिल अवश्य मिलाएं. स्नान के बाद पितरों का स्मरण करते हुए सूर्य को लोटे से जल दें. जल में तिल, शक्कर और गंगाजल अवश्य मिलाएं. दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके पितरों को प्रणाम और उनका स्मरण करें. ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

20 साल बाद बना संयोग
जब कोई अमावस्या शनिवार को पड़ती है तो उसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. इस बार शनिवार 21 जनवरी को माघ महीने की पहली शनिश्चरी अमावस्या है. शनिवार को अमावस्या का शुभ संयोग कम ही बनता है. आज से 20 साल पहले, यानी 1 फरवरी 2003 को ऐसा शुभ संयोग बना था. जब माघ महीने की अमावस्या शनिवार को पड़ी थी और इसी दिन मौनी अमावस्या पर्व मना था. अब ऐसा योग चार साल बाद बनेगा. इसके साथ ही चंद्रमा शनि की राशि मकर में संचरण करेंगे. ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या पर शनि की कृपा भक्तों पर खूब बरसेगी.

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