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प्रमुख स्वास्थ्य निकायों ने ऑक्सीजन सप्लाई के लिए पुराना रोस्टर लागू करने की मांग की

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स-इंडिया (AHPI) ने मान्यता प्राप्त हेल्थकेयर ऑर्गनाइजेशंस (CAHO), आईएमए अस्पताल बोर्ड और दिल्ली नर्सिंग होम फोरम ने दूसरी लहर के कारण पैदा हुई दर्दनाक स्थिति को कम करने के लिए एक कोविड समन्वय समिति का गठन किया है. समिति का उद्देश्य बिना किसी बाधा के ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने और कोविड रोगियों की उचित देखभाल के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल में सुधार करना है.

ऑक्सीजन सप्लाई
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Published : May 4, 2021, 5:21 PM IST

नई दिल्ली : ऑक्सीजन सिलेंडर की चल रही कालाबाजारी से अवगत होने के बाद भारत के प्रमुख स्वास्थ्य निकायों ने मंगलवार को सरकार से अपील की कि वे ऑक्सीजन की आपूर्ति की जगह पुराने रोस्टर सिस्टम को लागू करें, जिसके तहत ऑक्सीजन विक्रेताओं से सीधे अस्पताल पहुंचती है. इससे कालाबाजारी पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स-इंडिया (AHPI) ने मान्यता प्राप्त हेल्थकेयर ऑर्गनाइजेशंस (CAHO), आईएमए अस्पताल बोर्ड और दिल्ली नर्सिंग होम फोरम ने दूसरी लहर के कारण दर्दनाक स्थिति को कम करने के लिए एक कोविड समन्वय समिति का गठन किया है.

एक अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि समिति का उद्देश्य बिना किसी बाधा के ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने और कोविड रोगियों की उचित देखभाल के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल में सुधार करना है.

समिति ने जोर दिया कि दूसरी लहर में वर्तमान कोविड स्ट्रैन से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दवा ऑक्सीजन है और संसाधनों की कमी को देखते हुए, घातक स्थितियों को कम करने के लिए एजेंसियों के बीच तालमेल में सुधार करने की तत्काल आवश्यकता है.

कोविड19 की दूसरी लहर फेफड़ों को बहुत अधिक प्रभावित कर रही है. पिछले वर्ष की पहली लहर के दौरान ऑक्सीजन खपत की तुलना में इस बार ऑक्सीजन की आवश्यकता लगभग 2-3 गुना है. इससे मेडिकल ऑक्सीजन की कमी हो गई है.

उन्होंने कहा कि जब अस्पताल के बेड के लिए मरीज भटक रहे थे, तो अस्पताल और नर्सिंग होम नए मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं, क्योंकि ऑक्सीजन की आपूर्ति की कोई गारंटी नहीं है. विशेष रूप से देश और दिल्ली एनसीआर में लोग कोविड महामारी के कारण अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.

अधिकारी ने बताया कि समिति ने अपनी सिफारिशों में सरकार को बताया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं की पूर्ववर्ती प्रणाली विभिन्न अस्पतालों के लिए विक्रेताओं के पुन: आवंटन से बाधित थी. इससे बड़ी उलझन पैदा हो गई है. विक्रेता अब छोटे अस्पतालों में आपूर्ति नहीं कर रहे हैं और अपनी साइटों से ऑक्सीजन सिलेंडर इकट्ठा करने के लिए कह रहे हैं.

इस तरह के अस्पताल मरीजों की देखभाल के बजाय ऑक्सीजन की खरीद में अपना बहुत समय लगा रहे हैं.

समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा, 'एक नया चलन भी सामने आया है, व्यक्ति विक्रेताओं की तरफ दौड़ रहे हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर घर पर रख रहे हैं.'

इसने आगे कहा कि सरकार से विक्रेताओं के आवंटन की पुरानी व्यवस्था को बहाल करने और विक्रेताओं से व्यक्तियों को ऑक्सीजन की खरीद पर प्रतिबंधित करने का आग्रह किया है.

समिति ने यह भी देखा कि सरकारें विभिन्न सर्कुलर जारी कर रही हैं, जिसमें अस्पताल / नर्सिंग होम को बंद करने की धमकी दी गई है. ऐसे समय में इन सर्कुलर को जारी करना ठीक नहीं है, क्योंकि हमारे पास अस्पताल के बेड की तीव्र कमी है. अधिकारियों से अनुरोध है कि मौजूदा महामारी के दौरान इस तरह के आदेश जारी करने से बचें.

पढ़ें - ऑक्सीजन टैंकर की निगरानी के लिए जीपीएस लगाने का फैसला : परिवहन मंत्रालय

गौरतलब है कि प्रति ऑक्सीजन सिलेंडर की लागत 200-300 रुपये है, लेकिन कुछ विक्रेता अधिक शुल्क ले रहे हैं. संपर्कों के कारण तरल ऑक्सीजन को बड़े अस्पतालों में ले जाया जा रहा है, जबकि छोटे नर्सिंग होम आपस में लड़ रहे हैं और मदद कर रहे हैं.

गरीब मरीज जो बड़े अस्पतालों का रुख नहीं कर सकते हैं, वे छोटे नर्सिंग होम में बिना ऑक्सीजन के भर्ती हो जाते हैं और परेशानी का सामना करते हैं. अस्पतालों का ऑक्सीजन का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए.

वहीं इस संबंध में केंद्रीयमंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हमें ऑक्सीजन की जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगानी चाहिए. गोयल ने कहा, 'जीपीएस सिस्टम के साथ हम टैंकरों की आवजाही का पता लगाने में सक्षम होंगे.

दिलचस्प बात यह है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने भी ऑक्सीजन टैंकरों को ले जाने वाले वाहनों की आवजाही का पता लगाने के लिए जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस स्थापित किया है.

नई दिल्ली : ऑक्सीजन सिलेंडर की चल रही कालाबाजारी से अवगत होने के बाद भारत के प्रमुख स्वास्थ्य निकायों ने मंगलवार को सरकार से अपील की कि वे ऑक्सीजन की आपूर्ति की जगह पुराने रोस्टर सिस्टम को लागू करें, जिसके तहत ऑक्सीजन विक्रेताओं से सीधे अस्पताल पहुंचती है. इससे कालाबाजारी पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स-इंडिया (AHPI) ने मान्यता प्राप्त हेल्थकेयर ऑर्गनाइजेशंस (CAHO), आईएमए अस्पताल बोर्ड और दिल्ली नर्सिंग होम फोरम ने दूसरी लहर के कारण दर्दनाक स्थिति को कम करने के लिए एक कोविड समन्वय समिति का गठन किया है.

एक अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि समिति का उद्देश्य बिना किसी बाधा के ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने और कोविड रोगियों की उचित देखभाल के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल में सुधार करना है.

समिति ने जोर दिया कि दूसरी लहर में वर्तमान कोविड स्ट्रैन से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दवा ऑक्सीजन है और संसाधनों की कमी को देखते हुए, घातक स्थितियों को कम करने के लिए एजेंसियों के बीच तालमेल में सुधार करने की तत्काल आवश्यकता है.

कोविड19 की दूसरी लहर फेफड़ों को बहुत अधिक प्रभावित कर रही है. पिछले वर्ष की पहली लहर के दौरान ऑक्सीजन खपत की तुलना में इस बार ऑक्सीजन की आवश्यकता लगभग 2-3 गुना है. इससे मेडिकल ऑक्सीजन की कमी हो गई है.

उन्होंने कहा कि जब अस्पताल के बेड के लिए मरीज भटक रहे थे, तो अस्पताल और नर्सिंग होम नए मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं, क्योंकि ऑक्सीजन की आपूर्ति की कोई गारंटी नहीं है. विशेष रूप से देश और दिल्ली एनसीआर में लोग कोविड महामारी के कारण अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.

अधिकारी ने बताया कि समिति ने अपनी सिफारिशों में सरकार को बताया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं की पूर्ववर्ती प्रणाली विभिन्न अस्पतालों के लिए विक्रेताओं के पुन: आवंटन से बाधित थी. इससे बड़ी उलझन पैदा हो गई है. विक्रेता अब छोटे अस्पतालों में आपूर्ति नहीं कर रहे हैं और अपनी साइटों से ऑक्सीजन सिलेंडर इकट्ठा करने के लिए कह रहे हैं.

इस तरह के अस्पताल मरीजों की देखभाल के बजाय ऑक्सीजन की खरीद में अपना बहुत समय लगा रहे हैं.

समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा, 'एक नया चलन भी सामने आया है, व्यक्ति विक्रेताओं की तरफ दौड़ रहे हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर घर पर रख रहे हैं.'

इसने आगे कहा कि सरकार से विक्रेताओं के आवंटन की पुरानी व्यवस्था को बहाल करने और विक्रेताओं से व्यक्तियों को ऑक्सीजन की खरीद पर प्रतिबंधित करने का आग्रह किया है.

समिति ने यह भी देखा कि सरकारें विभिन्न सर्कुलर जारी कर रही हैं, जिसमें अस्पताल / नर्सिंग होम को बंद करने की धमकी दी गई है. ऐसे समय में इन सर्कुलर को जारी करना ठीक नहीं है, क्योंकि हमारे पास अस्पताल के बेड की तीव्र कमी है. अधिकारियों से अनुरोध है कि मौजूदा महामारी के दौरान इस तरह के आदेश जारी करने से बचें.

पढ़ें - ऑक्सीजन टैंकर की निगरानी के लिए जीपीएस लगाने का फैसला : परिवहन मंत्रालय

गौरतलब है कि प्रति ऑक्सीजन सिलेंडर की लागत 200-300 रुपये है, लेकिन कुछ विक्रेता अधिक शुल्क ले रहे हैं. संपर्कों के कारण तरल ऑक्सीजन को बड़े अस्पतालों में ले जाया जा रहा है, जबकि छोटे नर्सिंग होम आपस में लड़ रहे हैं और मदद कर रहे हैं.

गरीब मरीज जो बड़े अस्पतालों का रुख नहीं कर सकते हैं, वे छोटे नर्सिंग होम में बिना ऑक्सीजन के भर्ती हो जाते हैं और परेशानी का सामना करते हैं. अस्पतालों का ऑक्सीजन का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए.

वहीं इस संबंध में केंद्रीयमंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हमें ऑक्सीजन की जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगानी चाहिए. गोयल ने कहा, 'जीपीएस सिस्टम के साथ हम टैंकरों की आवजाही का पता लगाने में सक्षम होंगे.

दिलचस्प बात यह है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने भी ऑक्सीजन टैंकरों को ले जाने वाले वाहनों की आवजाही का पता लगाने के लिए जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस स्थापित किया है.

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