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खाड़ी युद्ध के दौरान विदेश मंत्री के रूख के कारण भारत को झेलनी पड़ी शर्मिदंगी : पूर्व राजदूत सीआर घरखान

तत्कालीन विदेश मंत्री आईके गुजराल ने सोचा था कि सद्दाम अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ खाड़ी युद्ध जीत जाएगा और यह देश के लिए शर्मनाक था. पूर्व भारतीय राजदूत चिन्मय घरखान ने अपनी किताब 'सेंटर ऑफ पावर : माई इयर्स इन द प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस एंड सिक्योरिटी काउंसिल' के लॉन्च के मौके पर किये कई खुलासे... पढ़ें पूरी खबर

IK Gujral thought Saddam was India's friend, says ex envoy CR Gharekhan
पूर्व राजदूत सीआर घरखान की किताब के विमोचन के मौके पर उपस्थित अतिथि.
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Published : May 20, 2023, 3:52 PM IST

नई दिल्ली: पूर्व राजदूत और लेखक सी आर घरखान की एक और किताब मंजर-ए-आम पर आ गई है. इस किताब का शीर्षक है- 'सेंटर्स ऑफ पावर: माई ईयर्स इन द प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस एंड सिक्योरिटी काउंसिल'. यह किताब शुक्रवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में लॉन्च हुई. इस किताब के लॉन्च पर किताब से लेखक और पूर्व राजदूत ने कई सनसनीखेज खुलासे किये.

इस मौके पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन, पूर्व राजदूत और विदेश मंत्री के नटवर सिंह और पूर्व विदेश सचिव एम के रसगोत्रा (जिनकी उम्र 99 वर्ष है) मंच पर उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि खाड़ी युद्ध के दौरान यानी साल 1990 अगस्त से लेकर 1991 के बीच भारत को अपने विदेश मंत्री के कारण शर्मनाक स्थितियों का सामना करना पड़ा. बता दें कि तब कांग्रेस के वरीष्ठ नेता और बाद में भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले आईके गुजराल भारत के विदेश मंत्री थे.

IK Gujral thought Saddam was India's friend, says ex envoy CR Gharekhan
पूर्व राजदूत सीआर घरखान की नई किताब का कवर.

खाड़ी युद्ध और भारत : अपने बुक लॉन्च कार्यक्रम में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र में पूर्व भारतीय राजदूत चिन्मय घरेखान ने कहा कि खाड़ी युद्ध के दौरान भारत का रुख शर्मनाक था. उन्होंने कहा कि तत्कालीन विदेश मंत्री आईके गुजराल का मानना था कि इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन भारत का मित्र है. 1981-1986 ने खाड़ी युद्ध पर नई दिल्ली के रुख के बारे में बात करते हुए कहा कि विदेश मंत्री को लगता था कि सद्दाम हुसैन अमेरिका और सहयोगी देशों को हरा देगा. भारत की इस पोजिशन के कारण दुनिया भर में भारत को एक शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा था.

पढ़ें : PM Modi Interview In Japan : भारत संप्रभुता के सम्मान, अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के लिए हमेशा खड़ा रहता है : प्रधानमंत्री मोदी

यहां बता दें कि अगस्त 1990 को इराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला कर दिया था. जिसके बाद अमेरिका और उसके सहयोगी राष्ट्रों के साथ इराक का युद्ध शुरू हो गया था. इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में अपने किताब के लॉन्च के मौके पर सीआर घरखान कहा कि घरेलू कारण अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. घरखान पूर्व राजनयिक है. उन्होंने विदेश मामलों पर पीएम के सलाहकार के रूप में भी काम किया था.

कैसी थी इंदिरा गांधी सख्त या दयालु : प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) में अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्हें पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और उनके बेटे राजीव गांधी दोनों के सलाहकार के रूप में काम करने का अवसर मिला. घरखान ने कहा कि जैसा कि आमतौर से दिखाया जाता है काम करने के लिहाज से इंदिरा गांधी कतई एक मुश्किल व्यक्ति नहीं थीं. वह दयालु और सख्त दोनों थी. उन्होंने हमेशा अधिकारियों की राय का सम्मान किया.

पढ़ें : K'taka swearing-in ceremony : कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह से पहले बेंगलुरु में गांधी परिवार, सिद्धारमैया और शिवकुमार के पोस्टर लगे

कैसे अलग थे राजीव और इंदिरा, गुजराल से रहते थे नाखुश : घरखान ने कहा कि राजीव गांधी अलग थे. उनकी काम करने की शैली इंदिरा के मुकाबले बहुत अलग थी. राजीव गांधी कई बार कई मुद्दों पर आईके गुजराल के रुख से बहुत खुश नहीं रहते थे. उन्हें अच्छा नहीं लगता था जब कोई उनसे कहता था कि यह हमारी लाइन है जो उनकी मां इंदिरा गांधी ने तय की है. उन्हें विशेष रूप से 'तुम्हारी मां' शब्द पसंद नहीं आता था.

आईके गुजराल पर बोलते हुए, घारेखान ने कहा कि जब खाड़ी युद्ध हुआ और सद्दाम ने कुवैत पर आक्रमण किया. आईके गुजराल मास्को, ईरान का दौरा कर रहे थे और उन्होंने सोचा कि सद्दाम भारत का मित्र है. उन्होंने सोचा कि सद्दाम अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ लड़ सकता है. वह अमेरिका से जीत सकता है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण और हमारे लिए शर्मनाक मौका था. विदेश मंत्रालय के कई अधिकारियों ने फिर उन्हें (आईके गुजराल) को समझाने की कोशिश भी की थी.

पढ़ें : PM Modi In Japan : प्रधानमंत्री मोदी ने हिरोशिमा में बोधि पौधे का लगाने के लिए जापानी पीएम का जताया आभार

जानें क्या हुआ था इंदिरा की हत्या के बाद : घरखान ने इंदिरा गांधी की हत्या के बारे में बात करते हुए कहा कि जब पूर्व पीएम पर गोलियां चलाई गई थी. उनकी सुरक्षा में कोई एंबुलेंस नहीं थी. उन्हें एक निजी वाहन से अस्पताल ले जाया गया था. अस्पताल में, उन्हें देखने के लिए कोई वरिष्ठ डॉक्टर नहीं था. केवल जूनियर डॉक्टरों ने ही उसका इलाज किया. यह बेहद भयानक था. ऐसा नहीं होना चाहिए था.

किसकी शादी में शामिल होना चाहती थी इंदिरा : पुस्तक के विमोचन के दौरान बोलते हुए, हामिद अंसारी ने कहा कि पीएम इंदिरा गांधी की मुख्य चिंता चीन थी. वह चाहती थीं कि भारत को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में चीन पर निर्भर नहीं करना चाहिए. किताब की कुछ पंक्तियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का सोवियत संघ के साथ वैसा समीकरण नहीं था जैसा उनके पिता नेहरू का था. वह ब्रिटेन को खुश करने की कोशिश कर रही थीं और प्रिंस चार्ल्स की शादी में शामिल होने के लिए बहुत उत्सुक थीं. जब वह इसमें शामिल नहीं हो पाईं तो निराश हुई थी.

पढ़ें : जेल में शशिकला को विशेष सुविधाएं देने के आरोपी जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने लगाई रोक

नई दिल्ली: पूर्व राजदूत और लेखक सी आर घरखान की एक और किताब मंजर-ए-आम पर आ गई है. इस किताब का शीर्षक है- 'सेंटर्स ऑफ पावर: माई ईयर्स इन द प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस एंड सिक्योरिटी काउंसिल'. यह किताब शुक्रवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में लॉन्च हुई. इस किताब के लॉन्च पर किताब से लेखक और पूर्व राजदूत ने कई सनसनीखेज खुलासे किये.

इस मौके पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन, पूर्व राजदूत और विदेश मंत्री के नटवर सिंह और पूर्व विदेश सचिव एम के रसगोत्रा (जिनकी उम्र 99 वर्ष है) मंच पर उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि खाड़ी युद्ध के दौरान यानी साल 1990 अगस्त से लेकर 1991 के बीच भारत को अपने विदेश मंत्री के कारण शर्मनाक स्थितियों का सामना करना पड़ा. बता दें कि तब कांग्रेस के वरीष्ठ नेता और बाद में भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले आईके गुजराल भारत के विदेश मंत्री थे.

IK Gujral thought Saddam was India's friend, says ex envoy CR Gharekhan
पूर्व राजदूत सीआर घरखान की नई किताब का कवर.

खाड़ी युद्ध और भारत : अपने बुक लॉन्च कार्यक्रम में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र में पूर्व भारतीय राजदूत चिन्मय घरेखान ने कहा कि खाड़ी युद्ध के दौरान भारत का रुख शर्मनाक था. उन्होंने कहा कि तत्कालीन विदेश मंत्री आईके गुजराल का मानना था कि इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन भारत का मित्र है. 1981-1986 ने खाड़ी युद्ध पर नई दिल्ली के रुख के बारे में बात करते हुए कहा कि विदेश मंत्री को लगता था कि सद्दाम हुसैन अमेरिका और सहयोगी देशों को हरा देगा. भारत की इस पोजिशन के कारण दुनिया भर में भारत को एक शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा था.

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यहां बता दें कि अगस्त 1990 को इराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला कर दिया था. जिसके बाद अमेरिका और उसके सहयोगी राष्ट्रों के साथ इराक का युद्ध शुरू हो गया था. इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में अपने किताब के लॉन्च के मौके पर सीआर घरखान कहा कि घरेलू कारण अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. घरखान पूर्व राजनयिक है. उन्होंने विदेश मामलों पर पीएम के सलाहकार के रूप में भी काम किया था.

कैसी थी इंदिरा गांधी सख्त या दयालु : प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) में अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्हें पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और उनके बेटे राजीव गांधी दोनों के सलाहकार के रूप में काम करने का अवसर मिला. घरखान ने कहा कि जैसा कि आमतौर से दिखाया जाता है काम करने के लिहाज से इंदिरा गांधी कतई एक मुश्किल व्यक्ति नहीं थीं. वह दयालु और सख्त दोनों थी. उन्होंने हमेशा अधिकारियों की राय का सम्मान किया.

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कैसे अलग थे राजीव और इंदिरा, गुजराल से रहते थे नाखुश : घरखान ने कहा कि राजीव गांधी अलग थे. उनकी काम करने की शैली इंदिरा के मुकाबले बहुत अलग थी. राजीव गांधी कई बार कई मुद्दों पर आईके गुजराल के रुख से बहुत खुश नहीं रहते थे. उन्हें अच्छा नहीं लगता था जब कोई उनसे कहता था कि यह हमारी लाइन है जो उनकी मां इंदिरा गांधी ने तय की है. उन्हें विशेष रूप से 'तुम्हारी मां' शब्द पसंद नहीं आता था.

आईके गुजराल पर बोलते हुए, घारेखान ने कहा कि जब खाड़ी युद्ध हुआ और सद्दाम ने कुवैत पर आक्रमण किया. आईके गुजराल मास्को, ईरान का दौरा कर रहे थे और उन्होंने सोचा कि सद्दाम भारत का मित्र है. उन्होंने सोचा कि सद्दाम अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ लड़ सकता है. वह अमेरिका से जीत सकता है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण और हमारे लिए शर्मनाक मौका था. विदेश मंत्रालय के कई अधिकारियों ने फिर उन्हें (आईके गुजराल) को समझाने की कोशिश भी की थी.

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जानें क्या हुआ था इंदिरा की हत्या के बाद : घरखान ने इंदिरा गांधी की हत्या के बारे में बात करते हुए कहा कि जब पूर्व पीएम पर गोलियां चलाई गई थी. उनकी सुरक्षा में कोई एंबुलेंस नहीं थी. उन्हें एक निजी वाहन से अस्पताल ले जाया गया था. अस्पताल में, उन्हें देखने के लिए कोई वरिष्ठ डॉक्टर नहीं था. केवल जूनियर डॉक्टरों ने ही उसका इलाज किया. यह बेहद भयानक था. ऐसा नहीं होना चाहिए था.

किसकी शादी में शामिल होना चाहती थी इंदिरा : पुस्तक के विमोचन के दौरान बोलते हुए, हामिद अंसारी ने कहा कि पीएम इंदिरा गांधी की मुख्य चिंता चीन थी. वह चाहती थीं कि भारत को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में चीन पर निर्भर नहीं करना चाहिए. किताब की कुछ पंक्तियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का सोवियत संघ के साथ वैसा समीकरण नहीं था जैसा उनके पिता नेहरू का था. वह ब्रिटेन को खुश करने की कोशिश कर रही थीं और प्रिंस चार्ल्स की शादी में शामिल होने के लिए बहुत उत्सुक थीं. जब वह इसमें शामिल नहीं हो पाईं तो निराश हुई थी.

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