नई दिल्ली : कागज के बने एक बार इस्तेमाल करने योग्य कप में चाय पीना सेहत के लिए हानिकारक है और यदि कोई व्यक्ति उनमें दिन में तीन बार चाय पीता है, तो उसके शरीर में प्लास्टिक के 75,000 सूक्ष्म कण चले जाते हैं. आईआईटी खड़गपुर के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है.
अनुसंधान का नेतृत्व करने वाली आईआईटी खड़गपुर में एसोसिएट प्रोफेसर सुधा गोयल ने कहा कि एक बार इस्तेमाल करने योग्य कागज के कपों में पेय पदार्थ पीना आम बात हो गई है.
उन्होंने कहा कि हमारे अनुसंधान में इस बात की पुष्टि हुई है कि इन कपों में प्लास्टिक और अन्य हानिकारक तत्वों के कारण गर्म तरल वस्तु संदूषित हो जाती है. इन कपों को बनाने के लिए आमतौर पर हाइड्रोफोबिक फिल्म की एक परत चढ़ाई जाती है, जो मुख्तय: प्लास्टिक की बनी होती है. इसकी मदद से कप में तरल पदार्थ टिका रहता है. यह परत गर्म पानी डालने पर 15 मिनट के भीतर गलने लगती है.
गोयल ने कहा, हमारे अध्ययन के अनुसार एक कप में 15 मिनट के लिए 100 मिली. गर्म तरल रखने से उसमें 25,000 माइक्रोन आकार के प्लास्टिक के सूक्ष्म कण घुलने लगते हैं. यानी रोजाना तीन कप चाय या कॉफी पीने वाले व्यक्ति के शरीर में प्लास्टिक के 75,000 सूक्ष्म कण चले जाते हैं, जो आंखों से दिखाई नहीं देते.
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इसके स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के अनुसंधानकर्ता अनुजा जोसेफ और वेद प्रकाश रंजन ने इस अनुसंधान में गोयल की मदद की.
आईआईटी खड़गपुर के निदेशक वीरेंद्र के तिवारी ने कहा कि यह अध्ययन दर्शाता है कि खतरनाक जैव-उत्पादों और पर्यावरण प्रदूषकों के स्थान पर इनके इस्तेमाल को बढ़ावा देने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करने की आवश्यकता है. हमने प्लास्टिक के कपों एवं गिलासों की जगह एक बार इस्तेमाल योग्य कागज के कपों का इस्तेमाल तेजी से शुरू कर दिया है.