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IIT Madras Autonomous Surface Boat: आईआईटी मद्रास के छात्रों नॉर्वे में वैश्विक प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया

आईआईटी मद्रास के छात्रों की एक विशेष टीम अरित्रा ने नॉर्वे में एक वैश्विक प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन किया. इस दौरान छात्रों ने खुद से चलने वाली नौका तैयार की.

Etv BIIT Madras Students Autonomous Surface Boat Finishes in the top three in the Global Njord Challenge 2023 in Norwayharat
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2023, 10:52 AM IST

चेन्नई: आईआईटी मद्रास के छात्रों की टीम अरित्रा ने नॉर्वे में नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा बोट बनाने को लेकर आयोजित एक वैश्विक प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया. बोट का उपयोग तट पर निगरानी के लिए, जलवायु परिवर्तन अध्ययन के लिए और समुद्र-वायुमंडल डेटा एकत्र करने के लिए किया जा सकता है. यह एक अनोखी प्रतियोगिता थी. इसमें प्रतिभागियों को एक खुद से चलने वाली नाव को डिजाइन करने और बनाने का काम सौंपा गया. इसका नाम नजॉर्ड - ऑटोनॉमस शिप चैलेंज रखा गया.

खुद से चलने वाली नौका
खुद से चलने वाली नौका

यह प्रतियोगिता समुद्री क्षेत्र के लिए नवाचार और स्मार्ट स्वायत्तता समाधानों को प्रेरित करने के लक्ष्य के साथ छात्रों के लिए आयोजित की जाती है. प्रतियोगिता छात्रों को व्यावसायिक विकास और नेटवर्किंग का अवसर भी प्रदान करती है. प्रतियोगिता में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), यूएसए सहित सात शीर्ष अंतरराष्ट्रीय टीम ने भाग लिया.

टीम अरित्रा में महासागर इंजीनियरिंग विभाग के समुद्री स्वायत्त पोत (एमएवी) प्रयोगशाला के चार छात्र शामिल हैं - मोहम्मद इब्राहिम एम, अमरनाथ सिंह, आकाश विजयकुमार और रक्षिन रमेश. उन्हें आईआईटी मद्रास के संकाय डॉ. अभिलाष शर्मा सोमयाजुला और प्रोफेसर एमए आत्मानंद ने उनका मार्गदर्शन किया. आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा, 'भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत भारतीय उद्योग और स्टार्टअप के लिए इसे व्यावसायिक आधार पर अपनाने का अवसर मौजूद है. उन्होंने टीम अरित्रा के छात्रों को खुद एक स्टार्टअप बनाने के बारे में सोचने के लिए भी प्रोत्साहित किया.

ये भी पढ़ें- Researchers Innovation : IIT मद्रास और संयुक्त अरब अमीरात विश्वविद्यालय ने मिनी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बनाई डिवाइस

अपने प्रदर्शन के बारे में बोलते हुए छात्र इब्राहिम ने कहा, 'हमने अन्य वैश्विक टीमों की तरह ही अच्छा प्रदर्शन किया. छात्रों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए, आईआईटी मद्रास के महासागर इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर, डॉ. अभिलाष शर्मा सोमयाजुला ने कहा, 'टीम अरित्रा की सफलता से पता चलता है कि हमारे छात्र वैश्विक विश्वविद्यालयों के छात्रों के बराबर हैं. ऐसी वैश्विक प्रतियोगिताओं में भाग लेने से छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने, अपने जुनून की खोज करने और अपने व्यक्तित्व का विकास करने का मौका मिलता है.

चेन्नई: आईआईटी मद्रास के छात्रों की टीम अरित्रा ने नॉर्वे में नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा बोट बनाने को लेकर आयोजित एक वैश्विक प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया. बोट का उपयोग तट पर निगरानी के लिए, जलवायु परिवर्तन अध्ययन के लिए और समुद्र-वायुमंडल डेटा एकत्र करने के लिए किया जा सकता है. यह एक अनोखी प्रतियोगिता थी. इसमें प्रतिभागियों को एक खुद से चलने वाली नाव को डिजाइन करने और बनाने का काम सौंपा गया. इसका नाम नजॉर्ड - ऑटोनॉमस शिप चैलेंज रखा गया.

खुद से चलने वाली नौका
खुद से चलने वाली नौका

यह प्रतियोगिता समुद्री क्षेत्र के लिए नवाचार और स्मार्ट स्वायत्तता समाधानों को प्रेरित करने के लक्ष्य के साथ छात्रों के लिए आयोजित की जाती है. प्रतियोगिता छात्रों को व्यावसायिक विकास और नेटवर्किंग का अवसर भी प्रदान करती है. प्रतियोगिता में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), यूएसए सहित सात शीर्ष अंतरराष्ट्रीय टीम ने भाग लिया.

टीम अरित्रा में महासागर इंजीनियरिंग विभाग के समुद्री स्वायत्त पोत (एमएवी) प्रयोगशाला के चार छात्र शामिल हैं - मोहम्मद इब्राहिम एम, अमरनाथ सिंह, आकाश विजयकुमार और रक्षिन रमेश. उन्हें आईआईटी मद्रास के संकाय डॉ. अभिलाष शर्मा सोमयाजुला और प्रोफेसर एमए आत्मानंद ने उनका मार्गदर्शन किया. आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा, 'भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत भारतीय उद्योग और स्टार्टअप के लिए इसे व्यावसायिक आधार पर अपनाने का अवसर मौजूद है. उन्होंने टीम अरित्रा के छात्रों को खुद एक स्टार्टअप बनाने के बारे में सोचने के लिए भी प्रोत्साहित किया.

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अपने प्रदर्शन के बारे में बोलते हुए छात्र इब्राहिम ने कहा, 'हमने अन्य वैश्विक टीमों की तरह ही अच्छा प्रदर्शन किया. छात्रों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए, आईआईटी मद्रास के महासागर इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर, डॉ. अभिलाष शर्मा सोमयाजुला ने कहा, 'टीम अरित्रा की सफलता से पता चलता है कि हमारे छात्र वैश्विक विश्वविद्यालयों के छात्रों के बराबर हैं. ऐसी वैश्विक प्रतियोगिताओं में भाग लेने से छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने, अपने जुनून की खोज करने और अपने व्यक्तित्व का विकास करने का मौका मिलता है.

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