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IIT मद्रास ने जुटाए आंकड़े, बाढ़-चक्रवात के पूर्वानुमान में मिलेगी मदद

आपदा प्रबंधन और शमन विभाग में सचिव के. फनिंद्र रेड्डी ने बताया कि IIT मद्रास द्वारा TNSDMA के साथ जुटाए गए आंकड़े भविष्य में आने वाली बाढ़ को कम करने के लिए रियल-टाइम फ्लड पूर्वानुमान के संचालन और उपचार के लिए बहुत उपयोगी होंगे. पढ़ें विस्तार से...

रिसर्च के दौरान आईआईटी मद्रास की टीम
रिसर्च के दौरान आईआईटी मद्रास की टीम
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Published : Dec 21, 2020, 10:07 PM IST

चेन्नई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं और छात्रों ने चक्रवात निवार के दौरान भारी बारिश और तेज हवाओं के बीच महत्वपूर्ण डेटा जुटाया है, जो चेन्नई में भविष्य की बाढ़ को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

आईआईटी मद्रास के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर बालाजी नरसिम्हन के नेतृत्व में एक टीम और छात्रों ने साइक्लोन के दौरान वास्तविक समय में डेटा एकत्र करने के लिए अडयार नदी के कई महत्वपूर्ण स्थानों पर नदी के निर्वहन को मापा. ध्वनिक करंट प्रोफाइलर से लैस, छात्रों और फैकल्टी की दो टीमों ने नदी की एकीकृत प्रवाह दर प्राप्त करने के लिए नदी की चौड़ाई में नदी की धाराओं और प्रवाह की गहराई को भी मापा.

IIT Madras
रिसर्च के दौरान आईआईटी मद्रास की टीम

2015 की बाढ़ के दौरान संख्यात्मक मॉडल के माध्यम से इस तरह के महत्वपूर्ण आंकड़े और एक जलाशय का पूर्वानुमान प्रणाली प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती थी. चेन्नई के सोमांगलम, मणिमंगलम, अधनूर और गुडुवनचेरी में दिसंबर 2015 के दौरान रिकॉर्ड वर्षा हुई थी.

आईएएस अधिकारी के. फनिंद्र रेड्डी ने इस परियोजना के महत्व के बारे में बताते हुए कहा, 'तमिलनाडु राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (TNSDMA) के साथ समन्वय में IIT मद्रास द्वारा इस क्षेत्र के अभियान के दौरान एकत्र किए गए आंकड़े रियल टाइम फ्लड फोरकास्टिंग (RTFF) और स्थानिक निर्णय समर्थन प्रणाली (SDSS) के संचालन के लिए बहुत उपयोगी होगा.'

IIT Madras
रिसर्च के दौरान आईआईटी मद्रास की टीम

कुछ प्रारंभिक मॉडलों से पता चला है कि अकेले सोमंगलम, मणिमंगलम, अधनूर और गुडुवनचेरी के जलग्रहण क्षेत्रों में 70 से 80 फीसदी तक अडयार नदी की बाढ़ में योगदान हो सकता है. जल स्तर को विनियमित करने के लिए फ्लड गेट बनाए गए. इसके विपरीत 2015 में कैचमेंट के इस हिस्से में टैंक में उपलब्ध नियंत्रण उपाय लगभग शून्य थे. इसे देखते हुए राज्य लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने स्लूस गेट स्थापित करना शुरू कर दिया है. आने वाले बाढ़ से पहले जल स्तर को विनियमित करने के लिए कई छोटे टैंक भी बनाए जा रहे हैं.

IIT Madras
रिसर्च के दौरान आईआईटी मद्रास की टीम

यह भी पढ़ें-आईआईटी-मद्रास बना कोविड हॉटस्पॉट, मिले 79 नए संक्रमित

हालांकि चेन्नई ने चक्रवात निवार के दौरान बड़े पैमाने पर बाढ़ का सामना नहीं किया, लेकिन शहर के कुछ इलाकों में बाढ़ और जलभराव हुआ। फ़ील्ड अभियान के दौरान एकत्र किए गए डेटा, जो 11 दिसंबर 2020 तक के हैं. इस जलग्रहण के जल विज्ञान संबंधी व्यवहार में अंतर्दृष्टि दे सकते हैं और भविष्य की बाढ़ को कम करने के उपाय खोज सकते हैं.

चेन्नई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं और छात्रों ने चक्रवात निवार के दौरान भारी बारिश और तेज हवाओं के बीच महत्वपूर्ण डेटा जुटाया है, जो चेन्नई में भविष्य की बाढ़ को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

आईआईटी मद्रास के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर बालाजी नरसिम्हन के नेतृत्व में एक टीम और छात्रों ने साइक्लोन के दौरान वास्तविक समय में डेटा एकत्र करने के लिए अडयार नदी के कई महत्वपूर्ण स्थानों पर नदी के निर्वहन को मापा. ध्वनिक करंट प्रोफाइलर से लैस, छात्रों और फैकल्टी की दो टीमों ने नदी की एकीकृत प्रवाह दर प्राप्त करने के लिए नदी की चौड़ाई में नदी की धाराओं और प्रवाह की गहराई को भी मापा.

IIT Madras
रिसर्च के दौरान आईआईटी मद्रास की टीम

2015 की बाढ़ के दौरान संख्यात्मक मॉडल के माध्यम से इस तरह के महत्वपूर्ण आंकड़े और एक जलाशय का पूर्वानुमान प्रणाली प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती थी. चेन्नई के सोमांगलम, मणिमंगलम, अधनूर और गुडुवनचेरी में दिसंबर 2015 के दौरान रिकॉर्ड वर्षा हुई थी.

आईएएस अधिकारी के. फनिंद्र रेड्डी ने इस परियोजना के महत्व के बारे में बताते हुए कहा, 'तमिलनाडु राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (TNSDMA) के साथ समन्वय में IIT मद्रास द्वारा इस क्षेत्र के अभियान के दौरान एकत्र किए गए आंकड़े रियल टाइम फ्लड फोरकास्टिंग (RTFF) और स्थानिक निर्णय समर्थन प्रणाली (SDSS) के संचालन के लिए बहुत उपयोगी होगा.'

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रिसर्च के दौरान आईआईटी मद्रास की टीम

कुछ प्रारंभिक मॉडलों से पता चला है कि अकेले सोमंगलम, मणिमंगलम, अधनूर और गुडुवनचेरी के जलग्रहण क्षेत्रों में 70 से 80 फीसदी तक अडयार नदी की बाढ़ में योगदान हो सकता है. जल स्तर को विनियमित करने के लिए फ्लड गेट बनाए गए. इसके विपरीत 2015 में कैचमेंट के इस हिस्से में टैंक में उपलब्ध नियंत्रण उपाय लगभग शून्य थे. इसे देखते हुए राज्य लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने स्लूस गेट स्थापित करना शुरू कर दिया है. आने वाले बाढ़ से पहले जल स्तर को विनियमित करने के लिए कई छोटे टैंक भी बनाए जा रहे हैं.

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रिसर्च के दौरान आईआईटी मद्रास की टीम

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हालांकि चेन्नई ने चक्रवात निवार के दौरान बड़े पैमाने पर बाढ़ का सामना नहीं किया, लेकिन शहर के कुछ इलाकों में बाढ़ और जलभराव हुआ। फ़ील्ड अभियान के दौरान एकत्र किए गए डेटा, जो 11 दिसंबर 2020 तक के हैं. इस जलग्रहण के जल विज्ञान संबंधी व्यवहार में अंतर्दृष्टि दे सकते हैं और भविष्य की बाढ़ को कम करने के उपाय खोज सकते हैं.

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