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आईआईटी मद्रास ने सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए विकसित किया रोबोट - HOMOSEP robot septic tank

आईआईटी मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए एक रोबोट विकसित किया है. टैंक के अंदर अब किसी भी व्यक्ति को जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. होमोएसईपी रोबोट कस्टम-विकसित रोटरी ब्लेड तंत्र के माध्यम से सेप्टिक टैंकों में हार्ड कीचड़ को समरूप बनाता है और एक एकीकृत सक्शन तंत्र का उपयोग करके टैंक के घोल को पंप कर सकता है.

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Published : Jun 9, 2022, 9:07 PM IST

चेन्नई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने मानव हस्तक्षेप के बिना सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए एक रोबोट विकसित किया है. अधिकारियों ने कहा कि “होमोएसईपी” नाम की दस इकाइयों को पूरे तमिलनाडु में तैनात करने की योजना है और अनुसंधानकर्ता स्थानों की पहचान करने के लिए स्वच्छता कर्मियों के संपर्क में हैं.

उन्होंने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में अगले चरण में रोबोट की तैनाती के लिए विचार किया जा रहा है. वर्तमान में, गैर सरकारी संगठन सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) की मदद से पहली दो होमोएसईपी इकाइयों को नागम्मा और रूथ मैरी के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूहों को वितरित किया गया है, जिनके पतियों की सफाई कार्य के दौरान दुखद मृत्यु हो गई थी.

आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल ने कहा, "सेप्टिक टैंक में एक जहरीला वातावरण होता है, जो अर्ध-ठोस और अर्ध-तरल मानव मल सामग्री से भरा होता है." उन्होंने कहा, "प्रतिबंधों और निषेधाज्ञा के बावजूद सेप्टिक टैंकों में मनुष्यों के सफाई करने के कारण पूरे भारत में हर साल सैकड़ों मौत होती हैं." राजगोपाल ने कहा कि होमोसेप इकाई से इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी जिसका इस्तेमाल सफाई कर्मचारी उचित प्रशिक्षण के बाद खुद कर सकते हैं.

प्रो. राजगोपाल ने कहा, 'होमोएसईपी परियोजना के लिए विश्वविद्यालय (हमारी टीम), एनजीओ, उद्योग सीएसआर और स्टार्ट-अप सहित प्रमुख हितधारक एक साथ आए हैं. इन सबों ने समस्या की गंभीरता को समझा. उनका साथ आना बड़ी उपलब्धि है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि समस्या बड़ी और जटिल है, और हम आशा करते हैं कि हमारा प्रयास दूसरों के लिए प्रेरणा के रूप में कार्य करेगा.'

होमोएसईपी का देखें वीडियो

उन्होंने कहा कि हम आभारी हैं कि पिछले कुछ वर्षों में दीवांशु और भावेश नारायणी (आईआईटी मद्रास एमएस के पूर्व छात्र) सहित कई छात्रों को इस परियोजना पर काम करने के लिए प्रेरित किया गया है, और आज हमारे पास एक गतिशील टीम है, जो सोलिनास के साथ काम कर रहे हैं. यह स्टार्ट अप पानी और स्वच्छता पर केंद्रित है. सीएसआर चैनलों से निरंतर समर्थन हमारी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण रहा है, और हमारे काम को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. हम अगले वर्ष से पूरे देश में बड़े पैमाने पर अपने समाधान का बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण करने के लिए सरकारी चैनलों के समर्थन का लाभ उठाने की भी उम्मीद करते हैं.

प्रमुख बिंदुओं में समझें

सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए विकसित किया रोबोट

आईआईटी मद्रास के रिसर्चर्स की पहल

इसका नाम होमोएसईपी रखा गया है

रोबोट सेप्टिक टैंकों में हार्ड कीचड़ को समरूप बनाता है

यूनिफाइड सक्शन तंत्र का उपयोग कर घोल को खींच लेता है

पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया है

होमोएसईपी को पहली बार प्रो. राजगोपाल के मार्गदर्शन में दिवांशु कुमार द्वारा अंतिम वर्ष के मास्टर्स प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया गया था और आईआईटी मद्रास की सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजनाओं की पहल से समर्थन प्राप्त करने के बाद, आईआईटी मद्रास कार्बन जेरप चैलेंज 2019 में प्रदर्शित किया गया था. अगले कुछ वर्षों में महामारी से संबंधित कठिनाइयों के बावजूद, आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने होमोएसईपी को और विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप सोलिनास इंटीग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड के साथ सहयोग किया.

होमोएसईपी रोबोट कस्टम-विकसित रोटरी ब्लेड तंत्र के माध्यम से सेप्टिक टैंकों में हार्ड कीचड़ को समरूप बना सकता है और एक एकीकृत सक्शन तंत्र का उपयोग करके टैंक के घोल को पंप कर सकता है. आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ प्रासंगिक प्रशिक्षण और उचित मार्गदर्शन प्रदान किए जाने के बाद, स्वच्छता कार्यकर्ता अपने दम पर होमोएसईपी को संचालित करने में सक्षम होंगे, जिस पर टीम अभी काम कर रही है. इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसकी शुरुआत होमोएसईपी के डिजाइन से ही होती है.

ये भी पढ़ें : भूस्खलन से पहले अलर्ट करेगा Early Warning System, ऐसे करता है काम

चेन्नई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने मानव हस्तक्षेप के बिना सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए एक रोबोट विकसित किया है. अधिकारियों ने कहा कि “होमोएसईपी” नाम की दस इकाइयों को पूरे तमिलनाडु में तैनात करने की योजना है और अनुसंधानकर्ता स्थानों की पहचान करने के लिए स्वच्छता कर्मियों के संपर्क में हैं.

उन्होंने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में अगले चरण में रोबोट की तैनाती के लिए विचार किया जा रहा है. वर्तमान में, गैर सरकारी संगठन सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) की मदद से पहली दो होमोएसईपी इकाइयों को नागम्मा और रूथ मैरी के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूहों को वितरित किया गया है, जिनके पतियों की सफाई कार्य के दौरान दुखद मृत्यु हो गई थी.

आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल ने कहा, "सेप्टिक टैंक में एक जहरीला वातावरण होता है, जो अर्ध-ठोस और अर्ध-तरल मानव मल सामग्री से भरा होता है." उन्होंने कहा, "प्रतिबंधों और निषेधाज्ञा के बावजूद सेप्टिक टैंकों में मनुष्यों के सफाई करने के कारण पूरे भारत में हर साल सैकड़ों मौत होती हैं." राजगोपाल ने कहा कि होमोसेप इकाई से इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी जिसका इस्तेमाल सफाई कर्मचारी उचित प्रशिक्षण के बाद खुद कर सकते हैं.

प्रो. राजगोपाल ने कहा, 'होमोएसईपी परियोजना के लिए विश्वविद्यालय (हमारी टीम), एनजीओ, उद्योग सीएसआर और स्टार्ट-अप सहित प्रमुख हितधारक एक साथ आए हैं. इन सबों ने समस्या की गंभीरता को समझा. उनका साथ आना बड़ी उपलब्धि है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि समस्या बड़ी और जटिल है, और हम आशा करते हैं कि हमारा प्रयास दूसरों के लिए प्रेरणा के रूप में कार्य करेगा.'

होमोएसईपी का देखें वीडियो

उन्होंने कहा कि हम आभारी हैं कि पिछले कुछ वर्षों में दीवांशु और भावेश नारायणी (आईआईटी मद्रास एमएस के पूर्व छात्र) सहित कई छात्रों को इस परियोजना पर काम करने के लिए प्रेरित किया गया है, और आज हमारे पास एक गतिशील टीम है, जो सोलिनास के साथ काम कर रहे हैं. यह स्टार्ट अप पानी और स्वच्छता पर केंद्रित है. सीएसआर चैनलों से निरंतर समर्थन हमारी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण रहा है, और हमारे काम को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. हम अगले वर्ष से पूरे देश में बड़े पैमाने पर अपने समाधान का बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण करने के लिए सरकारी चैनलों के समर्थन का लाभ उठाने की भी उम्मीद करते हैं.

प्रमुख बिंदुओं में समझें

सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए विकसित किया रोबोट

आईआईटी मद्रास के रिसर्चर्स की पहल

इसका नाम होमोएसईपी रखा गया है

रोबोट सेप्टिक टैंकों में हार्ड कीचड़ को समरूप बनाता है

यूनिफाइड सक्शन तंत्र का उपयोग कर घोल को खींच लेता है

पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया है

होमोएसईपी को पहली बार प्रो. राजगोपाल के मार्गदर्शन में दिवांशु कुमार द्वारा अंतिम वर्ष के मास्टर्स प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया गया था और आईआईटी मद्रास की सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजनाओं की पहल से समर्थन प्राप्त करने के बाद, आईआईटी मद्रास कार्बन जेरप चैलेंज 2019 में प्रदर्शित किया गया था. अगले कुछ वर्षों में महामारी से संबंधित कठिनाइयों के बावजूद, आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने होमोएसईपी को और विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप सोलिनास इंटीग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड के साथ सहयोग किया.

होमोएसईपी रोबोट कस्टम-विकसित रोटरी ब्लेड तंत्र के माध्यम से सेप्टिक टैंकों में हार्ड कीचड़ को समरूप बना सकता है और एक एकीकृत सक्शन तंत्र का उपयोग करके टैंक के घोल को पंप कर सकता है. आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ प्रासंगिक प्रशिक्षण और उचित मार्गदर्शन प्रदान किए जाने के बाद, स्वच्छता कार्यकर्ता अपने दम पर होमोएसईपी को संचालित करने में सक्षम होंगे, जिस पर टीम अभी काम कर रही है. इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसकी शुरुआत होमोएसईपी के डिजाइन से ही होती है.

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