चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) ने तमिलनाडु के त्रिची जिले में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के फैक्ट्री में एक स्वदेशी म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट कॉम्बस्टर पायलट प्लांट विकसित किया है. यह दहन संयंत्र ठोस कचरे का कुशलतापूर्वक निस्तारण करने के लिए अपनी तरह की पहली 'रोटरी फर्नेस प्रौद्योगिकी' पर आधारित है.
स्वदेशी विकसित यह संयंत्र प्रति दिन एक टन शहर के कचरे का निपटान करने में सक्षम है और इसके बदले स्वच्छ गैस, राख के साथ मुख्य उत्पादन के रूप में भाप उत्पन्न करता है. यह पहल बीएचईएल (BHEL), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित उच्चतर आविष्कार योजना (UAY) का हिस्सा है. इसे राष्ट्रीय दहन अनुसंधान और विकास केंद्र (एनसीसीआरडी) में आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया. यह संयंत्र 'स्वच्छ भारत मिशन' में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
इस इकाई का उद्घाटन 27 मई 2022 को भेल त्रिची में आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटी ने किया. संस्थान के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आर. वीनू ने परियोजना का नेतृत्व किया. इसे स्थापित करने से लेकर चालू करने का काम छह महीने के भीतर पूरा कर लिया गया. यह संयंत्र भेल त्रिची के संयुक्त साइकिल प्रदर्शन संयंत्र परिसर में स्थापित किया गया है.
संयंत्र के उद्घाटन के दौरान बोलते हुए कामकोटी ने कहा, 'अपशिष्ट प्रबंधन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनता जा रहा है जिसके लिए ऐसे समाधानों की आवश्यकता है जो बड़े पैमाने पर हो और त्वरित और सुरक्षित निपटान में भी मदद कर सकें. IIT मद्रास द्वारा विकसित अपनी तरह का पहला सॉलिड वेस्ट कॉम्बस्टर न केवल पैमाने और सुरक्षित निपटान के मुद्दों को संबोधित करता है, बल्कि हर तरह से लाभदायक है.'
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भारत में उत्पन्न नगरपालिका का ठोस कूड़ा (MSW) लगभग 133 मिलियन टन प्रति वर्ष है. इस कचरे का 85 प्रतिशत से अधिक लैंडफिल में निपटान हो जाता है. तमिलनाडु में कुल ठोस कचरा उत्पादन 14,600 टन प्रति दिन है जिसमें चेन्नई में लगभग 5,400 टन प्रति दिन उत्पन्न होता है. लगभग 0.5-1 किग्रा प्रति दिन की वर्तमान प्रति व्यक्ति उत्पादन के साथ नगरपालिका का ठोस कूड़ा उत्पादन प्रति वर्ष 1.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है.