कानपुर : मानसून के आने पर झमाझम बारिश जरूर होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में शहर व आसपास के अन्य शहरों में बारिश का रिकार्ड देखें तो बहुत अच्छे परिणाम सामने नहीं आए. बुंदेलखंड के शहरों में तो सूखे से हर साल ही कई किसान दम तोड़ने को मजबूर होते हैं. फसलों की पैदावार न हो, ये तो और बात है. हालांकि, इन सबके बीच अब आईआईटी कानपुर से एक शानदार जानकारी सामने आई है. इस सीजन से आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ कृत्रिम बारिश करा सकेंगे. बुधवार को कैम्पस में इसका सफल परीक्षण हुआ. अब, विशेषज्ञों का दावा है कि जुलाई-अगस्त और सितंबर में अगर कई दिनों तक बारिश न हुई तो आईआईटी कानपुर की ओर से कृत्रिम बारिश कराकर लोगों व किसानों को राहत दी जाएगी.
बादलों का होना जरूरी : इस पूरे मामले पर आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर व पद्मश्री से सम्मानित मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि 'हमने करीब छह साल पहले आईआईटी कानपुर में कृत्रिम बारिश का परीक्षण किया था. हालांकि, उसके बाद अचानक से कोरोना का दौर आया और सारी तैयारियों पर पानी फिर गया. कई उपकरण ऐसे थे, जिन्हें अमेरिका से लाया जाना था और उनमें सबसे अहम उपकरण सेसना एयरक्राफ्ट था, जो पांच हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. यही नहीं, डीजीसीए की अनुमति मिलने में भी समय लगा. हालांकि, अब पूरा सेटअप बन चुका है. हम इसके परीक्षण लगातार करते रहेंगे और बारिश के लिए बादलों का होना जरूरी होगा. इसलिए, अगर बदली छाई रहेगी और बारिश की जरूरत होगी तो हम कृत्रिम बारिश कराकर लोगों को भिगो देंगे.'
सरकार ने आईआईटी के प्रयासों को सराहा : इस मामले की जानकारी मिलने के बाद सरकार की ओर से आईआईटी की इस कवायद को जमकर सराहना मिली है. सरकार के जिम्मेदारों ने कहा, कि इस मामले में वह आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की हरसंभव मदद करेंगे.