नई दिल्ली : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन के अनुसार यदि भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके कोवैक्सीन की एक खुराक किसी ऐसे व्यक्ति को देता है जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ था. दो खुराक जितनी ही एंटीबॉडी प्राप्त कर लेता है.
यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुया और कहा गया है व्यापक आबादी के बीच किए गए अध्ययनों में हमारे प्रारंभिक निष्कर्षों की पुष्टि यदि की जाती है तो पहले से सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित व्यक्तियों को बीबीवी152 टीके की एक खुराक की सिफारिश की जा सकती है ताकि, अधिक लोग सीमित टीका आपूर्ति का लाभ उठा सकें.
भारत का पहला पहली स्वदेशी कोविड-19 रोधी टीका कोवैक्सीन, जिसका कूटनाम बीबीवी 152 है, को जनवरी में आपातकालीन उपयोग के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था. इसकी दो खुराक चार से छह सप्ताह के अंतराल के साथ दी जाती हैं. सार्स-सीओवी-2 विशिष्ट एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को जांचने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ अग्रिम पंक्ति के कर्मियों में यह अध्ययन किया गया. इसमें एंटीबॉडी प्रतिक्रिया की तुलना उन व्यक्तियों के साथ की गई जिनमें संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी.
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अध्ययन में फरवरी से मई 2021 तक चेन्नई में टीकाकरण केंद्रों पर कोवैक्सीन प्राप्त करने वाले 114 स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं से रक्त के नमूने एकत्र किए गए थे.
अध्ययन में कहा गया है कुल मिलाकर सार्स-सीओवी-2 से पहले संक्रमित हुए उन लोगों में एंटीबॉडी की अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिली है. जिन्होंने बीबीवी152 की पहली खुराक ली थी और वह उन लोगों में मिली एंटीबॉडी के बराबर ही थी. जिन्होंने दोनों खुराक ली थी और वे पहले इस वायरस से संक्रमित नहीं हुए थे.
(पीटीआई-भाषा)