पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने गुरुवार को मिशन 2024 को लेकर बड़ा बयान दिया. नीतीश कुमार ने कहा कि केन्द्र में सत्ता में आने पर सभी पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा (Give special status to backward states) दिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने एकबार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की वकालत (Cm Nitish on Special Status For Bihar) की है. इसी के साथ नीतीश ने केन्द्र पर भी निशाना साधा और कहा कि केंद्र की सरकार काम के नाम पर केवल प्रचार करती है.
ये भी पढ़ें: ...तो इस वजह से बिहार को नहीं दिया जा सकता विशेष राज्य का दर्जा
केन्द्र में सरकार बनी तो पिछड़े राज्यों को देंगे विशेष दर्जा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को मुख्यमंत्री सचिवालय के संवाद कक्ष में ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के उद्घाटन के मौके पर कहा कि ‘अगर हमें केंद्र में अगली सरकार बनाने का मौका मिलता है तो सभी पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा. ऐसी कोई वजह नहीं है कि यह नहीं किया जा सकता.’
''2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यदि हम लोगों को सरकार बनाने का मौका मिला तो बिहार ही नहीं देश के सभी पिछड़े रिपीट पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा. बिहार के लिए हम शुरू से ही विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं, इस मांग को हमने कभी छोड़ा नहीं है और इसकी निरंतर मांग करते रहे हैं. इसके लिए अभियान तक चलाया है और सरकार के स्तर से भी मांग की गई है.'' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
इन राज्यों को मिला है विशेष राज्य का दर्जा: अभी जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है उसमें असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं. इनमें से कई राज्यों की स्थिति विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद बेहतर हुई है. उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ. विशेष राज्य का दर्जा भौगोलिक और सामाजिक स्थिति व आर्थिक संसाधनों के हिसाब से दिया जाता रहा है. नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल ने पहाड़, दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या, आदिवासी इलाका, अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर, प्रति व्यक्ति आय और कम राजस्व का आधार बनाया था. पांचवें वित्त आयोग ने सबसे पहले 3 राज्यों को 1969 में विशेष राज्य का दर्जा दिया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल था. अभी देश के 28 राज्यों में से 10 को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है.
दशक पुरानी... विशेष राज्य के दर्जे की मांग: बता दें कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग एक दशक से भी ज्यादा पुरानी है. समय और परिस्थिति के मुताबिक ये मुद्दा बिहार की राजनीति में सुर्खियां बटोरता रहा है. इस दौरान कई मौके ऐसे आए हैं, जब केंद्र सरकार की ओर से विशेष राज्य के दर्जे के सवाल को खारिज कर दिया गया है. अब आइये आपको बतातें कि आखिर क्यों बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए.
इन शर्तों पर मिलता है विशेष राज्य का दर्जा: ऐसे राज्य जहां प्रति व्यक्ति आय कम कम हो. जो राज्य बुनियादी ढ़ांचे में पिछड़े हों और आर्थिक तंगी से जूझ रहा हो. ऐसे राज्य जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े हों. वैसे राज्य जहां पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र हों. साथ ही, ऐसे राज्य जिनका जनसंख्या घनत्व कम हो या फिर वहां जनजाति आबादी की संख्या ज्यादा हो.
नीतीश का तर्क, बिहार को क्यों मिले विशेष का दर्जा? : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले इसके लिए विशेषज्ञों का तर्क रहा है कि बिहार से सबसे अधिक पलायन होता है. गरीबी सबसे ज्यादा है. बेरोजगारी भी सबसे अधिक है. बिहार आपदा ग्रस्त राज्य है. 38 जिले में से 15 जिले बाढ़ ग्रस्त इलाके में आते हैं. हर साल बाढ़ से करोड़ों की संपत्ति, जान-माल और आधारभूत संरचना के साथ फसलों को भी नुकसान होता है. नीतीश कुमार का भी यह तर्क रहा है कि दूसरे विकसित राज्यों की श्रेणी में आने के लिए बिहार को बिना विशेष राज्य का दर्जा मिले तेजी से विकास संभव नहीं है. बिहार में सड़क, बिजली और कानून-व्यवस्था को लेकर काफी सुधार हुआ है. डबल डिजिट में लगातार ग्रोथ रहने के बावजूद निवेश नहीं हुआ है. झारखंड के अलग होने के बाद बिहार से खनिज संपदा चला गया. उद्योग धंधे भी झारखंड में ही रह गए.
ये भी पढ़ें: विशेष राज्य के दर्जे पर BJP के तेवर सख्त, कहा- जरूरी नहीं स्पेशल स्टेटस से ही विकास हो