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कांग्रेस मजबूत हुई तो क्षेत्रीय पार्टियों का सिमट जाएगा दायरा ?

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के एक भाषण से क्षेत्रीय पार्टियों में खलबली मच गई है. राजद और जेडीएस जैसी पार्टियों ने खुले तौर पर कांग्रेस की आलोचना की है. दरअसल, हाल ही में संपन्न चिंतन शिविर में राहुल ने कहा था कि सिर्फ कांग्रेस ही भाजपा का मुकाबला कर सकती है, न कि क्षेत्रीय पार्टियां. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि हमारी पार्टी के मजबूत होने से क्षेत्रीय पार्टियां कमजोर होंगी, इसलिए उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता सता रही है. वरिष्ठ पत्रकार अमित अग्निहोत्री का एक विश्लेषण.

rahul gandhi in rajasthan
राजस्थान के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी
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Published : May 17, 2022, 8:41 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल गांधी के भाषण से क्षेत्रीय पार्टियों में बेचैनी है. कई पार्टियों ने उनके उस बयान पर नाराजगी जाहिर की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सिर्फ कांग्रेस ही भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर हरा सकती है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि हमारी पार्टी के मजबूत होने से क्षेत्रीय पार्टियां कमजोर होंगी, इसलिए उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता सता रही है.

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'अगर कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर पुनर्जीवित होती है, तो क्षेत्रीय पार्टियां को कमजोर होने का भय सताने लगा है. उन्हें लगता है कि वे अपना वोट बैंक खो देंगी. लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले चाहे जो भी कुछ हो जाए, हमारा सारा ध्यान पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर रिवाइव करने का है.'

पार्टी के अंदरुनी जानकारों ने बताया कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय पार्टियों के गुस्से और उनके जवाब को करीब से देखा और उसे नोट भी किया. खासकर बिहार में राजद और कर्नाटक में जेडीएस की प्रतिक्रिया.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया, 'हमारा कार्यक्रम भारत जोड़ो यात्रा है. इसके लिए हम सहयोगी दलों के साथ मिलकर संयुक्त प्रयास नहीं कर रहे हैं. किसी तरह का कोई संयुक्त कार्यक्रम या सीट समझौते की बात आने वाली परिस्थितियों पर निर्भर करेगी. पहले हमें अपनी पार्टी पर फोकस करना है.'

प्रस्तावित यात्रा से होने वाले फायदों के बारे में बताते हुए अग्रवाल ने कहा कि इसके जरिए हर कार्यकर्ता और नेताओं की भागीदारी सुनिश्चित हो जाएगी. यह बहुत ही स्वाभाविक है कि हम अपने कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करना चाहते हैं, उनमें जोश भरना चाहते हैं.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में राजद भाजपा को साधने की स्थिति में है, लेकिन कर्नाटक में जेडीएस की स्थिति भाजपा को चुनौती देने की नहीं है. इसी तरह से यूपी में सपा भाजपा का मुकाबला कर सकती है, लेकिन वह कांग्रेस के साथ जाने से हिचकती है.

पार्टी के पुराने नेता और जानकार बताते हैं कि जैसे-जैसे कांग्रेस यूपी और बिहार में सिमटती चली गई, वैसे-वैसे बीएसपी-सपा-राजद जैसी पार्टियां कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक- एससी-एसटी-ओबीसी-अल्पसंख्यक- के आधार पर फलती फूलती रहीं.

पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैदल यात्रा ग्रैंड ओल्ड पार्टी को फिर से रिसेट करने का है, ये अलग बात है कि इस क्रम में कुछ क्षेत्रीय पार्टियां नाराज भी होंगी. सोमवार को राजद और जेडीएस ने राहुल के उस बयान पर हैरानी जताई कि विचारधारा के स्तर पर सिर्फ कांग्रेस ही भाजपा को हरा सकती है, न कि क्षेत्रीय पार्टियां.

राहुल के इस बयान पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उनके कहने का मतलब सिर्फ इतना था कि क्षेत्रीय दलों के मुकाबले कांग्रेस के पास राष्ट्रीय दृष्टि है. उन्होंने कहा कि राजद, सपा, बसपा और जेडीएस जैसी क्षेत्रीय पार्टियां भी कांग्रेस की विचारधारा को ही साझा करती हैं, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व अलग-अलग क्षेत्रीय कैरेक्टर है.

ये भी पढे़ं : हार्दिक पटेल के रवैए से कांग्रेस नेतृत्व असहज, कर सकती है कार्रवाई

नई दिल्ली : कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल गांधी के भाषण से क्षेत्रीय पार्टियों में बेचैनी है. कई पार्टियों ने उनके उस बयान पर नाराजगी जाहिर की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सिर्फ कांग्रेस ही भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर हरा सकती है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि हमारी पार्टी के मजबूत होने से क्षेत्रीय पार्टियां कमजोर होंगी, इसलिए उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता सता रही है.

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'अगर कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर पुनर्जीवित होती है, तो क्षेत्रीय पार्टियां को कमजोर होने का भय सताने लगा है. उन्हें लगता है कि वे अपना वोट बैंक खो देंगी. लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले चाहे जो भी कुछ हो जाए, हमारा सारा ध्यान पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर रिवाइव करने का है.'

पार्टी के अंदरुनी जानकारों ने बताया कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय पार्टियों के गुस्से और उनके जवाब को करीब से देखा और उसे नोट भी किया. खासकर बिहार में राजद और कर्नाटक में जेडीएस की प्रतिक्रिया.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया, 'हमारा कार्यक्रम भारत जोड़ो यात्रा है. इसके लिए हम सहयोगी दलों के साथ मिलकर संयुक्त प्रयास नहीं कर रहे हैं. किसी तरह का कोई संयुक्त कार्यक्रम या सीट समझौते की बात आने वाली परिस्थितियों पर निर्भर करेगी. पहले हमें अपनी पार्टी पर फोकस करना है.'

प्रस्तावित यात्रा से होने वाले फायदों के बारे में बताते हुए अग्रवाल ने कहा कि इसके जरिए हर कार्यकर्ता और नेताओं की भागीदारी सुनिश्चित हो जाएगी. यह बहुत ही स्वाभाविक है कि हम अपने कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करना चाहते हैं, उनमें जोश भरना चाहते हैं.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में राजद भाजपा को साधने की स्थिति में है, लेकिन कर्नाटक में जेडीएस की स्थिति भाजपा को चुनौती देने की नहीं है. इसी तरह से यूपी में सपा भाजपा का मुकाबला कर सकती है, लेकिन वह कांग्रेस के साथ जाने से हिचकती है.

पार्टी के पुराने नेता और जानकार बताते हैं कि जैसे-जैसे कांग्रेस यूपी और बिहार में सिमटती चली गई, वैसे-वैसे बीएसपी-सपा-राजद जैसी पार्टियां कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक- एससी-एसटी-ओबीसी-अल्पसंख्यक- के आधार पर फलती फूलती रहीं.

पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैदल यात्रा ग्रैंड ओल्ड पार्टी को फिर से रिसेट करने का है, ये अलग बात है कि इस क्रम में कुछ क्षेत्रीय पार्टियां नाराज भी होंगी. सोमवार को राजद और जेडीएस ने राहुल के उस बयान पर हैरानी जताई कि विचारधारा के स्तर पर सिर्फ कांग्रेस ही भाजपा को हरा सकती है, न कि क्षेत्रीय पार्टियां.

राहुल के इस बयान पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उनके कहने का मतलब सिर्फ इतना था कि क्षेत्रीय दलों के मुकाबले कांग्रेस के पास राष्ट्रीय दृष्टि है. उन्होंने कहा कि राजद, सपा, बसपा और जेडीएस जैसी क्षेत्रीय पार्टियां भी कांग्रेस की विचारधारा को ही साझा करती हैं, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व अलग-अलग क्षेत्रीय कैरेक्टर है.

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