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IAS अधिकारी ने जम्म-कश्मीर में उपराज्यपाल प्रशासन पर लगाया जल जीवन मिशन में हजारों करोड़ के घोटाले का आरोप

जम्मू-कश्मीर में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन पर हजारों करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है. यह घोटाला जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में किया गया है.

Scam in Jal Jeevan Mission
जल जीवन मिशन में घोटाला
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2023, 9:33 PM IST

जल जीवन मिशन में घोटाला

श्रीनगर: एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन पर 'जल जीवन मिशन' के कार्यान्वयन में हजारों करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाया है, जिसकी जांच की मांग उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से की है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक कुमार परमार ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने रुपये खर्च किए हैं.

आईएएस अधिकारी ने केंद्रीय गृह सचिव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय को लिखित शिकायत भेजी है, जिसमें उन्होंने आरोपों का खुलासा किया है. गौरतलब है कि देश के हर घर में नल का पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में जल जीवन मिशन योजना शुरू की थी और इस मिशन को 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

अशोक कुमार परमार ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को 17 पेज की शिकायत लिखकर जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव डॉ अरुण कुमार मेहता के खिलाफ अनियमितताओं, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया है. लिखित शिकायत में जल जीवन मिशन योजना के क्रियान्वयन के दौरान मिशन के नियमों में संशोधन कर 3,000 करोड़ रुपये की पाइप खरीद का खुलासा हुआ है.

आईएएस अधिकारी ने मुख्य सचिव पर वित्तीय उपकरणों की खरीद पर सरकारी नियमों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए जलजॉन मिशन के सिविल कार्यों का आदेश देने का आरोप लगाया है. इन खुलासों और आरोपों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी समेत जम्मू-कश्मीर के विपक्षी राजनीतिक दलों ने समय पर जांच की मांग की है. एनसी के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने ईटीवी भारत से कहा कि आईएएस अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोप इतने गंभीर हैं कि उन्हें ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता.

उन्होंने इन आरोपों की एक निश्चित अवधि में जांच की भी मांग की है. इस बीच, पीडीपी के प्रवक्ता जनरल सोहेल बुखारी ने ईटीवी भारत से कहा कि अगर ये आरोप किसी राजनीतिक दल ने लगाए होते तो प्रशासन ने इसे राजनीतिक रंग देकर खारिज कर दिया होता, लेकिन अब इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

गौरतलब है कि कल परमार ने मुख्य सचिव और उपराज्यपाल पर पूर्ण सरकारी बैठकों के दौरान दलित जाति के आधार पर प्रताड़ित करने और बैठक से बाहर निकालने का भी आरोप लगाया था. उन्होंने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है.

जल जीवन मिशन में घोटाला

श्रीनगर: एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन पर 'जल जीवन मिशन' के कार्यान्वयन में हजारों करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाया है, जिसकी जांच की मांग उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से की है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक कुमार परमार ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने रुपये खर्च किए हैं.

आईएएस अधिकारी ने केंद्रीय गृह सचिव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय को लिखित शिकायत भेजी है, जिसमें उन्होंने आरोपों का खुलासा किया है. गौरतलब है कि देश के हर घर में नल का पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में जल जीवन मिशन योजना शुरू की थी और इस मिशन को 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

अशोक कुमार परमार ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को 17 पेज की शिकायत लिखकर जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव डॉ अरुण कुमार मेहता के खिलाफ अनियमितताओं, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया है. लिखित शिकायत में जल जीवन मिशन योजना के क्रियान्वयन के दौरान मिशन के नियमों में संशोधन कर 3,000 करोड़ रुपये की पाइप खरीद का खुलासा हुआ है.

आईएएस अधिकारी ने मुख्य सचिव पर वित्तीय उपकरणों की खरीद पर सरकारी नियमों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए जलजॉन मिशन के सिविल कार्यों का आदेश देने का आरोप लगाया है. इन खुलासों और आरोपों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी समेत जम्मू-कश्मीर के विपक्षी राजनीतिक दलों ने समय पर जांच की मांग की है. एनसी के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने ईटीवी भारत से कहा कि आईएएस अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोप इतने गंभीर हैं कि उन्हें ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता.

उन्होंने इन आरोपों की एक निश्चित अवधि में जांच की भी मांग की है. इस बीच, पीडीपी के प्रवक्ता जनरल सोहेल बुखारी ने ईटीवी भारत से कहा कि अगर ये आरोप किसी राजनीतिक दल ने लगाए होते तो प्रशासन ने इसे राजनीतिक रंग देकर खारिज कर दिया होता, लेकिन अब इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

गौरतलब है कि कल परमार ने मुख्य सचिव और उपराज्यपाल पर पूर्ण सरकारी बैठकों के दौरान दलित जाति के आधार पर प्रताड़ित करने और बैठक से बाहर निकालने का भी आरोप लगाया था. उन्होंने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है.

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