नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना ने फ्रांसीसी फर्म, डसॉल्ट एविएशन से राफेल लड़ाकू विमान में भारत में बने हथियारों को इस्तेमाल करने लायक परिवर्तन करने के लिए कहा है. यह एक ऐसा कदम होगा जो रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' के लिए एक बड़ी सफलता हो सकता है. इससे भारत में बने हथियारों के लिए वैश्विक बाजार भी खोल सकता है. भारतीय वायु सेना ने फ्रांसीसी फर्म से कहा है कि राफेल लड़ाकू विमान में इस तरह के बदलाव किये जायें कि उनमें स्वदेशी 'अस्त्र' मिसाइल का इस्तेमाल किया जा सके. यह स्वदेशी मिसाइल हवा से हवा में मार करती है.
राफेल का उपयोग भारत, फ्रांस, मिस्र, कतर सहित कई देशों द्वारा किया जाता है. इसके अलावा ग्रीस, क्रोएशिया, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया सहित कई अन्य देशों ने भी इन विमानों के लिए ऑर्डर दिए हैं. रक्षा अधिकारियों ने एएनआई को बताया कि आईएएफ ने मूल उपकरण निर्माता डसॉल्ट एविएशन से स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू) और अस्त्र एयर-टू-एयर मिसाइल जैसे भारतीय निर्मित हथियारों को राफेल के साथ एकीकृत करने के लिए कहा है. यह परिवर्तन उन विमानों में भी लागू होगा जो 2020 से आईएएफ के साथ सेवा में हैं.
भविष्य की सोच : उन्होंने कहा कि डीआरडीओ में विकसित इन मिसाइलों और बमों के साथ, निकट भविष्य में वायुसेना की निजी क्षेत्र की कंपनियों की बनाई लंबी दूरी के ग्लाइड बमों सहित कई स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए हथियारों को विमान के साथ एकीकृत करने की भी योजना है. उद्योग सूत्रों ने कहा कि भारतीय हथियार प्रणालियों की क्षमता और कीमत को देखते हुए, राफेल में एकीकृत होने के बाद उनके लिए एक बड़ा बाजार खुल सकता है. भारतीय हथियार प्रणालियां पहले से ही स्वदेशी LCA तेजस और Su-30 MKI लड़ाकू विमान में एकीकृत हैं.
राफेल लड़ाकु विमानों का बड़ा बेड़ा भारत के पास : भारत 36 राफेल लड़ाकू विमानों का संचालन करता है और पहले ही 26 राफेल समुद्री विमान खरीदने का इरादा व्यक्त कर चुका है जिनका उपयोग हमारी नौसेना करेगी. विशेष रूप से संघर्ष के समय में आत्मनिर्भर होने के लिए और अपनी युद्ध-लड़ाई आवश्यकताओं के लिए भारतीय वायु सेना के शीर्ष अधिकारी स्वदेशी समाधानों पर जोर दे रहे हैं.
क्या है हमारे 'अस्त्र' की खूबी : अस्त्र हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जो 100 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम हैं. बहुत ही जल्द अस्त्र मार्क 2 भी तैयार होने वाला है जो 160 किलोमीटर तक वार करने में सक्षम होगा. इसके आगे डीआरडीओ इसकी क्षमता को 300 किलोमीटर की मारक क्षमता तक बढ़ाने की तैयारी कर रहा है.
SAAW 100 किमी से अधिक दूरी तक भी लक्ष्य को भेद सकता है. इसके उन्नत संस्करण भी विकसित किए जा रहे हैं. अधिकारियों ने कहा, "निजी क्षेत्र की कंपनियों ने ऐसी मिसाइलें और बम भी विकसित किए हैं जो लंबी दूरी से लक्ष्य पर वार कर सकते हैं और राफेल पर लगाए जा सकते हैं.