नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय से कहा कि वह श्रीनगर के हैदरपुरा मुठभेड़ में पिछले वर्ष नवम्बर में मारे गये एक युवक का शव कब्र से निकालकर अपने धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करने की अनुमति देने वाली याचिका पर कल या एक सप्ताह के भीतर विचार करे.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय से यह भी आग्रह किया कि वह मोहम्मद लतीफ मागरे को उनके बेटे आमिर मागरे की मौत पर मुआवजा राशि मंजूर करने पर विचार करे. मृतक के पिता लतीफ मागरे की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि अब वह पहली राहत के लिए दबाव देना नहीं चाहते कि शव बाहर निकाला जाए और परिवार को धार्मिक संस्कारों के साथ अपनी कब्र में उसे फिर से दफन किया जाए.
उन्होंने कहा कि अब (मृतक के पिता से) मैंने निर्देश लिया है. एकल पीठ का आदेश था कि परिवार को शव सौंप दिया जाए और मैं उसे अपनी कब्र में ले जाऊंगा. अदालत के आदेश के उस अंश पर मैं जोर नहीं दे रहा हूं. उन्होंने कहा, 'मैं उस कब्र पर जाने और शव को वहां से निकालने तथा धार्मिक संस्कारों के साथ उसे फिर से कब्र में दफन करने को तैयार हूं. मैं वहां केवल धार्मिक रीति-रिवाज करुंगा.'
पीठ ने कहा कि चूंकि यह मामला उच्च न्यायालय के समक्ष कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, इसलिए वह अदालत से अनुरोध करती है कि मोहम्मद लतीफ मागरे की याचिका की सुनवाई या तो मंगलवार (कल) या उसके एक सप्ताह के भीतर की जाए. पीठ ने अपना कोई भी मंतव्य जारी किये बिना अपील का निपटारा कर दिया और उच्च न्यायालय को कहा कि वह अधिवक्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पक्ष रखने दे.
श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित हैदरपुरा में 15 नवम्बर 2021 को हुई मुठभेड़ में चार व्यक्तियों की मौत हो गयी थी. पुलिस ने सभी मृतकों को आतंकवादी बताते हुए उनके शव को उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा में दफन कर दिया था.
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