हैदराबाद: तेलंगाना पुलिस ने मुंबई, लखनऊ, गुजरात और हैदराबाद से 10 साइबर अपराधियों को बीती 22 जुलाी को गिरफ्तार किया था. इनके पास से लैपटॉप, मोबाइल समेत कई दस्तावेज भी बरामद हुए थे. पुलिस ने बताया कि आरोपी देश में अब तक 712 करोड़ रुपये के लेनदेन में शामिल रहे हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि साइबर बदमाशों द्वारा कमाए गए पैसे का एक बड़ा हिस्सा आतंकवादियों के पास जा रहा है.
शहर की साइबर क्राइम पुलिस ने शनिवार को 10 लोगों को गिरफ्तार किया. हालांकि सूत्रों की माने तो धोखेबाजों की संख्या बढ़ भी सकती है, जो दुबई के केंद्र में चीनियों के साथ मिलकर यह रैकेट चला रहे थे. पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है. पुलिस मुख्य आरोपी प्रकाश प्रजापति के क्रिप्टो वॉलेट के जरिए दुबई, चीन और हिजबुल संगठन में हुए वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है.
चूंकि हैदराबाद की साइबर अपराध पुलिस के पास इस जाल को तोड़ने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं हैं, इसलिए वे केंद्रीय जांच एजेंसियों की मदद लेंगी. सिटी सीपी सीवी आनंद पहले ही एनआईए को साइबर धोखाधड़ी में आतंकी स्रोतों के बारे में जानकारी दे चुके हैं. जांच में मिले साक्ष्य सौंपे गए. चीन में बैठे मास्टरमाइंड्स ने मुंबई के नईम और शहर के मुनवर मोहम्मद की मदद ली.
इनके साथ मिलकर उन्होंने राधिका मर्चेंट्स के नाम से एक फर्जी कंपनी बनाई और शहर में एक बैंक खाता खोला. बाद में, मुनवर मोहम्मद को उसके दोस्तों अरुलदास, समीर खान और एस सुमेर के साथ लखनऊ ले जाया गया और तीन महीने तक रखा गया और 33 फर्जी कंपनियों के निदेशक होने का दावा करते हुए 65 बैंक खाते खोले और लेनदेन किया.
पुलिस जांच में पता चला कि वे प्रत्येक बैंक खाते पर 2 लाख रुपये का कमीशन देने की पेशकश कर रहे थे और अब तक इसे टालते रहे हैं. अहमदाबाद के रहने वाले प्रकाश प्रजापति द्वारा क्रिप्टो वॉलेट के जरिए भारतीय मुद्रा को फर्जी कंपनियों से हवाला के जरिए विदेशों में ट्रांसफर करने के कई मामले सामने आए हैं. शहर की साइबर क्राइम पुलिस ने उनके खिलाफ 2021 और 2022 में दो बार मामला दर्ज किया.
तीसरी बार चीन से संबंध सामने आने पर पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया है. पुलिस की जांच में पता चला कि प्रकाश प्रजापति ने 3 फीसदी कमीशन लेकर टास्क के नाम पर जालसाजों के 712 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांसफर कर चीन की कंपनियों को भेजे थे. इस राशि में से 3,000 डॉलर (क्रिप्टो) जनवरी, मार्च और जुलाई में हिजबुल संगठन के साथ वित्तीय लेनदेन के सबूत के रूप में एकत्र किए गए थे. यह पैसा किस खाते में गया? केंद्रीय जांच एजेंसियों को गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की पहचान करनी होगी.