नई दिल्ली : भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए बनाए गए संगठन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को संदेह है कि मानव तस्करी के शिकार लोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं.
मानव तस्करी (human trafficking) के इस घटिया व्यापार में सीमा पार से आए लोगों के शामिल होने के बाद से स्थिति और गंभीर हो गई है. एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'मानव तस्करी हमारे लिए चुनौती है. मानव तस्करी के कई अन्य आयाम हैं जहां पीड़ित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं.'
13 बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए थे
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हाल ही में मानव तस्करी के एक मामले में 13 बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ बेंगलुरु की विशेष एनआईए अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है. अधिकारी ने कहा कि उनको नौकरियों का लालच देकर मानव तस्करी कर यहां लाया गया था. अधिकारी ने कहा, ' ऐसे लोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल न हो जाएं हम इसका विकल्प तलाश रहे हैं.
संसद में एक संशोधन के बाद एनआईए (NIA) को मानव तस्करी, नकली मुद्रा, प्रतिबंधित हथियारों के निर्माण या बिक्री, साइबर आतंकवाद और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 के तहत आने वाले अपराधों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है.
एनआईए को संदेह है कि भारत विरोधी ताकतें देश के विभिन्न हिस्सों में अशांति पैदा करने के लिए मानव तस्करों को भी शामिल कर सकती हैं. अधिकारी ने कहा, 'इसीलिए हम खुफिया एजेंसियों (intelligence agencies) को इस तरह की नापाक गतिविधियों (such nefarious activities) के बारे में सूचित करते रहते हैं.'
मामले को लेकर एनजीओ शक्ति वाहिनी (Shakti vahini) के प्रवक्ता ऋषि कांत ने कहा कि मानव तस्करों का मुख्य उद्देश्य इसके पीड़ितों को फ्लैश व्यापार में शामिल करना है, लेकिन वे उनका उपयोग अन्य गतिविधियों में भी कर सकते हैं.
ऋषि कांत ने कहा, 'यह एक अच्छा कदम है कि एनआईए ने अंतरराष्ट्रीय प्रभाव वाले ऐसे मानव तस्करी के मामलों की जांच शुरू कर दी है ... और मानव तस्करी के पीड़ितों की संलिप्तता जांच का विषय है.'
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केंद्रीय गृह मंत्रालय पहले ही संसद में स्वीकार कर चुका है कि बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने वाले अवैध घुसपैठिए राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं. सीमा पार से मानव तस्करी के मामलों के अलावा भारत के अंदर भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं.
ऋषि कांत ने कहा, हाल ही में हमने पाया है कि ऐसे समय में जब कोविड-19 ने लोगों के जीवन को खासा प्रभावित किया है, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, झारखंड और अन्य के लोग गरीबी के कारण मानव तस्करी का शिकार हो रहे हैं.'
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2011 से 2019 के बीच भारत में मानव तस्करी के 38,503 मामले सामने आए.
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