देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड में अवैध धार्मिक निर्माण के खिलाफ इन दिनों लगातार कार्रवाई चल रही है. इस दौरान प्रदेश भर में न केवल मजारें बल्कि मंदिर और गुरुद्वारों पर भी कार्रवाई हुई है. इस बीच चौंकाने वाली खबर यह है कि अवैध रूप से निर्मित मजारों पर इसे बनाने वाले लोग सामने नहीं आ रहे हैं, ना ही मजारों को ध्वस्त करने के दौरान इसके नीचे किसी भी तरह का इंसानी अवशेष मिल रहे हैं.
मजार खोदने पर नहीं मिल रहे इंसानी अवशेष: उत्तराखंड में अब तक करीब 550 मजारों को ध्वस्तीकरण के लिए नोटिस जारी किए जा चुके हैं. उधर 250 से ज्यादा मजारें ऐसी हैं जिन को ध्वस्त किया जा चुका है. इतना ही नहीं 31 मंदिरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. वहीं दो गुरुद्वारे भी अवैध निर्माण के चलते कार्रवाई की जद में हैं. इसी बीच बड़ी खबर यह है कि कार्रवाई कर रही टीम को जंगलों में बनी अवैध मजारों पर इसे निर्माण करने वाले लोग नहीं मिल रहे हैं. इतना ही नहीं कई मजारों में नोटिस चस्पा करने के बाद भी कोई भी व्यक्ति हकदार के रूप में सामने नहीं आ रहा है. दूसरी खास बात यह है कि अवैध मजारों को ध्वस्त करने के बाद इसके नीचे से कोई भी इंसानी अवशेष नहीं मिल रहे हैं, जो कि अपने आप में बेहद चौंकाने वाला मामला है.
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निर्माण को लेकर उठ रहे कई सवाल: अवैध निर्माण को लेकर अभियान चला रही टीम के सामने यह बात सामने आ रही है कि इन धार्मिक निर्माण को केवल कब्जा करने के इरादे से बनाया जा रहा था. इसकी आड़ में लोग व्यवसायिक कार्य भी कर रहे थे और इसके साथ भवन स्ट्रक्चर तैयार करके इसका आर्थिक लाभ ले रहे थे. इन सभी स्थितियों के बीच एक सवाल यह भी उठ रहा है कि अवैध धार्मिक निर्माण के बहाने बनाए जा रहे इन निर्माण को किन के द्वारा करवाया जा रहा था. इस मामले पर अभियान चला रही टीम ने साफ किया है कि ऐसी स्थिति में इन क्षेत्रों में कई तरह के खतरे भी पैदा हो गए थे.
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दावा करने वाले लोग नहीं आ रहे सामने: साथ ही सवाल यह भी है कि इसके पीछे आर्थिक रूप से ऐसे लोगों को कहां से मदद मिल रही थी. इस मामले में अवैध निर्माण को लेकर नोडल अफसर डॉ. पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि विभिन्न टीमों की तरफ से लगातार अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इस दौरान ना तो इंसानी अवशेष मजारों के ध्वस्तीकरण के दौरान मिल रहे हैं और ना ही कोई भी ऐसे निर्माण को लेकर खुद का दावा पेश करने पहुंच रहा है.