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सराहनीय पहल: लेडी गोशेन अस्पताल में खुलेगा मानव दूध बैंक

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Published : Dec 28, 2021, 5:52 PM IST

Updated : Dec 28, 2021, 6:55 PM IST

कर्नाटक के मंगलुरु में स्थित लेडी गोशेन अस्पताल इन दिनों काफी चर्चा में है. दरअसल अस्पताल एक मानव दूध बैंक खोलने जा रहा है. 'इसका उद्देश्य प्री मैच्युर अर्थात समय से पहले जन्मे बच्चे या जिन शिशुओं की माताएं पर्याप्त दूध देने में असमर्थ हैं और कई कारणों से माताओं से अलग हुए बच्चों को बैंक से स्तन का दूध प्रदान करना है, जिन्हें किसी भी प्रकार के संक्रमण के परीक्षण के बाद ही स्वीकार किया जाएगा. यह संक्रमण के जोखिम को कम करने और उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करेगा.'

Lady Goschen Hospital
लेडी गोशेन अस्पताल खोलेगा

मंगलुरु/ कर्नाटक: देश भर में हर साल कई नवजात शिशु की मौत मां के दूध की कमी से हो जाती है. जिसको देखते हुए कर्नाटक में स्थित लेडी गोशेन अस्पताल ने एक सराहनीय पहल शुरू किया है. जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है.

दरअसल, मां के दूध की कमी के कारण नवजात बच्चों की मौत न हो. इसके लिए मेंगलुरु के लेडी गोशेन अस्पताल ने एक मानव दूध बैंक (Human Milk Bank) खोलने का फैसला लिया है. बता दें कि लेडी गोशेन अस्पताल एक चर्चित सरकारी महिला अस्पताल है. इसमें आस-पास के सात जिलों से प्रसव के लिए महिलाएं आती है. इस अस्पताल में हर महीने तकरीबन 700 से 750 नवजात शिशु पैदा होते है.

यह दूध उन बच्चों के लिए काफी लाभदायक होगा. जो समय से पहले पैदा होते है, साथ ही जन्म के समय वजन कम होने वाले बच्चे और प्रसव के दौरान मां को खोने वाले बच्चों के लिए काफी मददगार होगा. ऐसे बच्चों को मां का दूध पिलाने से अधिक मदद मिलेगा. उन बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता और बच्चों में संक्रमण से लड़ने में सहायता करेगा.

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ दुर्गाप्रसाद एमआर ने टीओआई को बताया कि 45 लाख रुपये की लागत से वैश्विक अनुदान परियोजना के माध्यम से रोटरी क्लब मंगलुरु के सहयोग से मानव दूध बैंक बनाया जा रहा है. 'इसका उद्देश्य कम वजन के समय से पहले जन्म के बच्चे, जिन शिशुओं की माताएं पर्याप्त दूध देने में असमर्थ हैं और कई कारणों से माताओं से अलग हुए बच्चों को बैंक से स्तन के दूध के साथ प्रदान करना है, जिन्हें किसी भी प्रकार के संक्रमण के परीक्षण के बाद ही स्वीकार किया जाएगा. यह संक्रमण के जोखिम को कम करने और उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करेगा.'

ये भी पढ़ें: लाइलाज नहीं है ब्रैस्ट कैंसर : स्तन कैंसर जागरूकता माह 2021

एक मानव दूध बैंक या स्तन दूध बैंक एक ऐसी सेवा है जो माताओं द्वारा दान किए गए मानव दूध को एकत्रित, स्क्रीन, प्रक्रिया और वितरण करती है, जो प्राप्तकर्ता शिशु से जैविक रूप से संबंधित नहीं हैं. पंप किए गए ब्रेस्टमिल्क (breast milk) की बोतलों को बैग में पैक कर फ्रीज में रखा जाएगा.

ये भी पढ़ें: हाथों की लकीरें केवल भाग्य ही नहीं कैंसर की भी करेंगी पहचान, शोध में हुआ बड़ा खुलासा

मंगलुरु/ कर्नाटक: देश भर में हर साल कई नवजात शिशु की मौत मां के दूध की कमी से हो जाती है. जिसको देखते हुए कर्नाटक में स्थित लेडी गोशेन अस्पताल ने एक सराहनीय पहल शुरू किया है. जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है.

दरअसल, मां के दूध की कमी के कारण नवजात बच्चों की मौत न हो. इसके लिए मेंगलुरु के लेडी गोशेन अस्पताल ने एक मानव दूध बैंक (Human Milk Bank) खोलने का फैसला लिया है. बता दें कि लेडी गोशेन अस्पताल एक चर्चित सरकारी महिला अस्पताल है. इसमें आस-पास के सात जिलों से प्रसव के लिए महिलाएं आती है. इस अस्पताल में हर महीने तकरीबन 700 से 750 नवजात शिशु पैदा होते है.

यह दूध उन बच्चों के लिए काफी लाभदायक होगा. जो समय से पहले पैदा होते है, साथ ही जन्म के समय वजन कम होने वाले बच्चे और प्रसव के दौरान मां को खोने वाले बच्चों के लिए काफी मददगार होगा. ऐसे बच्चों को मां का दूध पिलाने से अधिक मदद मिलेगा. उन बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता और बच्चों में संक्रमण से लड़ने में सहायता करेगा.

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ दुर्गाप्रसाद एमआर ने टीओआई को बताया कि 45 लाख रुपये की लागत से वैश्विक अनुदान परियोजना के माध्यम से रोटरी क्लब मंगलुरु के सहयोग से मानव दूध बैंक बनाया जा रहा है. 'इसका उद्देश्य कम वजन के समय से पहले जन्म के बच्चे, जिन शिशुओं की माताएं पर्याप्त दूध देने में असमर्थ हैं और कई कारणों से माताओं से अलग हुए बच्चों को बैंक से स्तन के दूध के साथ प्रदान करना है, जिन्हें किसी भी प्रकार के संक्रमण के परीक्षण के बाद ही स्वीकार किया जाएगा. यह संक्रमण के जोखिम को कम करने और उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करेगा.'

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एक मानव दूध बैंक या स्तन दूध बैंक एक ऐसी सेवा है जो माताओं द्वारा दान किए गए मानव दूध को एकत्रित, स्क्रीन, प्रक्रिया और वितरण करती है, जो प्राप्तकर्ता शिशु से जैविक रूप से संबंधित नहीं हैं. पंप किए गए ब्रेस्टमिल्क (breast milk) की बोतलों को बैग में पैक कर फ्रीज में रखा जाएगा.

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Last Updated : Dec 28, 2021, 6:55 PM IST
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