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माओवादी दिवस समारोह में उमड़ी लोगों की भीड़ - आंध्र-ओडिशा सीमा

आंध्र-ओडिशा सीमा पर पुलिस एक शीर्ष माओवादी नेता बालकृष्ण उर्फ जंबरी की तलाशी कर रही है.पुलिस के मुताबिक बालकृष्ण इस महीने दो बार गोलीबारी में बच गया. इस बीच आंध्र-ओडिशा सीमा पर माओवादी दिवस का आयोजन किया गया

माओवादी दिवस समारोह में उमड़ी लोगों की भीड़
माओवादी दिवस समारोह में उमड़ी लोगों की भीड़
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Published : Sep 23, 2021, 11:19 PM IST

अमरावती : आंध्र-ओडिशा सीमा पर पुलिस एक शीर्ष माओवादी नेता बालकृष्ण उर्फ जंबरी की तलाशी कर रही है.पुलिस के मुताबिक बालकृष्ण इस महीने दो बार गोलीबारी में बच गया. आंध्र-ओडिशा सीमा पर मलकानगिरी जिले के तुलसीपाडु वन क्षेत्र में उसकी तलाशी की जा रही है.

वहीं मलकानगिरी के एसपी ने माओवादियों से हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया.

इससे पहले माओवादी समर्थक वाली आंध्र-ओडिशा सीमा पर माओवादी दिवस का आयोजन किया गया. इस जुलूस में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने भाग लिया.सबसे पहले माओवादी स्तूप पर शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई.

इसके बाद माओवादियों का झंडा फहराया गया. रैली का आयोजन तेलुगु और उड़िया भाषाओं में लिखे बैनरों के साथ किया गया था.

इसके बाद माओवादियों ने जननाट्य मंडली के तत्वावधान में जल जंगल, आदिवासियों की भूमि को तबाह किया जैसे गीत गाए.

उसके बाद माओवादियों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें आदिवासियों के वास्तविक अधिकारों के लिए लड़ रहे माओवादियों को निशाना बना रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस तलाशी के नाम पर आदिवासी महिलाओं को परेशान कर रही है और माओवादियों को पकड़ने के लिए गांवों में युवकों पर हमला कर रही है.

पढ़ें - असम में अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसा, दो की मौत, कई घायल

उन्होंने कहा कि सवाल यह उठता है कि दूर-दराज के गांवों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में और कितने साल तक ठगी चलती रहेगी?

एक माओवादी ने कहा कि 21 सितंबर को माओवादी पार्टी की स्थापना हुई थी. इसलिए हम गर्व से उस दिन को माओवादी दिवस के रूप में मनाते हैं. हम आदिवासी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते हैं.

हम अपनी जमीन, जल संसाधन के लिए लड़ते हैं. अगर पुलिस हम पर हमला करती है, तो हम उन पर हमला करते हैं.

अमरावती : आंध्र-ओडिशा सीमा पर पुलिस एक शीर्ष माओवादी नेता बालकृष्ण उर्फ जंबरी की तलाशी कर रही है.पुलिस के मुताबिक बालकृष्ण इस महीने दो बार गोलीबारी में बच गया. आंध्र-ओडिशा सीमा पर मलकानगिरी जिले के तुलसीपाडु वन क्षेत्र में उसकी तलाशी की जा रही है.

वहीं मलकानगिरी के एसपी ने माओवादियों से हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया.

इससे पहले माओवादी समर्थक वाली आंध्र-ओडिशा सीमा पर माओवादी दिवस का आयोजन किया गया. इस जुलूस में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने भाग लिया.सबसे पहले माओवादी स्तूप पर शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई.

इसके बाद माओवादियों का झंडा फहराया गया. रैली का आयोजन तेलुगु और उड़िया भाषाओं में लिखे बैनरों के साथ किया गया था.

इसके बाद माओवादियों ने जननाट्य मंडली के तत्वावधान में जल जंगल, आदिवासियों की भूमि को तबाह किया जैसे गीत गाए.

उसके बाद माओवादियों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें आदिवासियों के वास्तविक अधिकारों के लिए लड़ रहे माओवादियों को निशाना बना रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस तलाशी के नाम पर आदिवासी महिलाओं को परेशान कर रही है और माओवादियों को पकड़ने के लिए गांवों में युवकों पर हमला कर रही है.

पढ़ें - असम में अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसा, दो की मौत, कई घायल

उन्होंने कहा कि सवाल यह उठता है कि दूर-दराज के गांवों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में और कितने साल तक ठगी चलती रहेगी?

एक माओवादी ने कहा कि 21 सितंबर को माओवादी पार्टी की स्थापना हुई थी. इसलिए हम गर्व से उस दिन को माओवादी दिवस के रूप में मनाते हैं. हम आदिवासी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते हैं.

हम अपनी जमीन, जल संसाधन के लिए लड़ते हैं. अगर पुलिस हम पर हमला करती है, तो हम उन पर हमला करते हैं.

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