ETV Bharat / bharat

निचली अदालतों को दिया जा रहा तकनीकी बढ़ावा, ई-कोर्ट के लिए बड़ा बजट : सीजेआई

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालतों को तकनीकी रूप से बढ़ावा देने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के लिए भारी बजट आवंटित किया गया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सुमित सक्सेना की रिपोर्ट.

CJI Chandrachud
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़
author img

By

Published : Aug 17, 2023, 5:53 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने गुरुवार को कहा कि ​​कोविड​​-19 महामारी के दौरान हाईकोर्ट में से एक के पास वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म के लिए आवश्यक लाइसेंस खरीदने के लिए धन नहीं था, हालांकि अब ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के लिए भारी बजट आवंटित किया गया है, जो न्यायपालिका विशेषकर निचली अदालतों को प्रौद्योगिकी से लैस करेगा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी आर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही हैं. अनुच्छेद 370 निरस्त होने से जम्मू और कश्मीर का तत्कालीन विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया गया था.

याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दवे ने आज अदालत के समक्ष बहस शुरू की और तारीफ की कि बेंच तकनीक-प्रेमी बन गई है. दवे ने कहा कि अगर इस तकनीकी बढ़ावा को निचली अदालतों तक पहुंचाया जा सके तो यह एक बड़ा योगदान होगा.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कुछ राज्य सरकारें बहुत सहयोगी हैं. उन्होंने कहा कि 'मुझे याद है कि महामारी के समय, मैं उच्च न्यायालय का नाम नहीं लूंगा, उनके पास वीडियो प्लेटफॉर्म के लाइसेंस के लिए भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे... हमने सुप्रीम कोर्ट से कुछ लाइसेंस वापस ले लिए और उन्हें ट्रांसपर कर दिए... वे बिल्कुल संकट में थे उस समय स्ट्रेट में लॉकडाउन था.'

चीफ जस्टिस ने कहा, 'बिना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के कोर्ट चलाना संभव नहीं था.' मुख्य न्यायाधीश ने कहा, चरण 3 में, हमारे पास एक बड़ा बजट है... हम ऐसा करने (निचली अदालत को प्रौद्योगिकी के अनुकूल बनाने) की प्रक्रिया में हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए अपना स्वयं का क्लाउड सॉफ़्टवेयर स्थापित करना है.

15 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक समारोह में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, 'हम ई-कोर्ट परियोजना के चरण 3 को कार्यान्वित कर रहे हैं, जिसे 7000 करोड़ रुपये की बजटीय मंजूरी मिली है... यह पूरे देश में सभी अदालतों को आपस में जोड़कर, पेपर लेस अदालतों के बुनियादी ढांचे की स्थापना, अदालत के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, उन्नत ई-सेवा केन्द्रों की स्थापना करके क्रांति लाना चाहता है.'

फरवरी में केंद्रीय बजट में 7,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण की शुरुआत की घोषणा की गई थी.

ये भी पढ़ें-

सिविल कोर्ट को जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरह बराबरी का दर्जा देंगे तभी बदलेगी न्याय व्यवस्था: CJI

तकनीक को यूजर्स के मन में भय नहीं करना चाहिए : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने गुरुवार को कहा कि ​​कोविड​​-19 महामारी के दौरान हाईकोर्ट में से एक के पास वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म के लिए आवश्यक लाइसेंस खरीदने के लिए धन नहीं था, हालांकि अब ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के लिए भारी बजट आवंटित किया गया है, जो न्यायपालिका विशेषकर निचली अदालतों को प्रौद्योगिकी से लैस करेगा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी आर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही हैं. अनुच्छेद 370 निरस्त होने से जम्मू और कश्मीर का तत्कालीन विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया गया था.

याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दवे ने आज अदालत के समक्ष बहस शुरू की और तारीफ की कि बेंच तकनीक-प्रेमी बन गई है. दवे ने कहा कि अगर इस तकनीकी बढ़ावा को निचली अदालतों तक पहुंचाया जा सके तो यह एक बड़ा योगदान होगा.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कुछ राज्य सरकारें बहुत सहयोगी हैं. उन्होंने कहा कि 'मुझे याद है कि महामारी के समय, मैं उच्च न्यायालय का नाम नहीं लूंगा, उनके पास वीडियो प्लेटफॉर्म के लाइसेंस के लिए भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे... हमने सुप्रीम कोर्ट से कुछ लाइसेंस वापस ले लिए और उन्हें ट्रांसपर कर दिए... वे बिल्कुल संकट में थे उस समय स्ट्रेट में लॉकडाउन था.'

चीफ जस्टिस ने कहा, 'बिना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के कोर्ट चलाना संभव नहीं था.' मुख्य न्यायाधीश ने कहा, चरण 3 में, हमारे पास एक बड़ा बजट है... हम ऐसा करने (निचली अदालत को प्रौद्योगिकी के अनुकूल बनाने) की प्रक्रिया में हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए अपना स्वयं का क्लाउड सॉफ़्टवेयर स्थापित करना है.

15 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक समारोह में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, 'हम ई-कोर्ट परियोजना के चरण 3 को कार्यान्वित कर रहे हैं, जिसे 7000 करोड़ रुपये की बजटीय मंजूरी मिली है... यह पूरे देश में सभी अदालतों को आपस में जोड़कर, पेपर लेस अदालतों के बुनियादी ढांचे की स्थापना, अदालत के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, उन्नत ई-सेवा केन्द्रों की स्थापना करके क्रांति लाना चाहता है.'

फरवरी में केंद्रीय बजट में 7,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण की शुरुआत की घोषणा की गई थी.

ये भी पढ़ें-

सिविल कोर्ट को जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरह बराबरी का दर्जा देंगे तभी बदलेगी न्याय व्यवस्था: CJI

तकनीक को यूजर्स के मन में भय नहीं करना चाहिए : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.