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वायु प्रदुषण के समाधान से मिलेगा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा और जीवनदान

वायु प्रदूषण का समाधान भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकता है और मानव जीवन बचा सकता है. वायु प्रदूषण से फेफड़ों, अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ, जैसी बीमारियां हो सकती है. वहीं दूसरी तरफ जो लोग शहर में रहते हैं, उन्हें यह बीमारियां तेजी से होती हैं. ऐसे में डालबर्ग एडवाइजर्स ने एक रिपोर्ट तैयार किया, जिसमें बताया गया कैसे हम इसे कम कर अपने लक्ष्य को पा सकते हैं. पढ़ें विस्तार से...

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Published : Jun 18, 2021, 7:57 AM IST

वायु प्रदुषण
वायु प्रदुषण

हैदराबाद : भारत में वायु प्रदुषण एक प्रमुख समस्या है. वायु प्रदुषण को कम करके न हम अपने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते है, बल्कि आसामायिक मौतें भी रोक सकते है. साथ ही बीमार होने वालों की संख्या में भी कमी हो सकती है. एक शोध के अनुसार 2019 में वायु प्रदूषण से संबंधित सिक लीव को कम करके भारत को 1.4 बिलियन कार्य दिवस प्राप्त हो सकते थे, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार किया जा सकता है.

  • भारत की वायु गुणवत्ता में सुधार केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रति वर्ष 95 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है.
  • डालबर्ग एडवाइजर्स की एक नई डेटा रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे वायु प्रदूषण कम करके आर्थिक विकास को बढ़ाया जा सकता है.
  • पॉलिसी निर्माताओं और व्यवसायों को स्वस्थ समाज और अर्थव्यवस्था के लिए स्वच्छ तकनीक में निवेश करने की आवश्यकता है.
  • भारत अपनी वायु गुणवत्ता में सुधार की प्रक्रिया में है. यह बहुत ही जरुरी है क्योंकि दुनिया के सबसे खराब वायु प्रदूषण वाले 30 शहरों में से 21 भारत में हैं. विश्वभर में सबसे खराब वायु गुणवत्ता की बात की जाए तो नई दिल्ली इसमें शामिल है.

डालबर्ग एडवाइजर्स की एक नई डेटा-आधारित रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • रिपोर्ट में पाया गया कि अगर भारत ने 2019 में सुरक्षित वायु गुणवत्ता स्तर हासिल कर लिया होता, तो इसकी जीडीपी में 95 बिलियन डॉलर या 3% की वृद्धि होती. इससे भारतीय व्यवसायों को कम लागत और अधिक मुनाफा मिलता.
  • भारत में हवा स्वच्छ होने से अर्थव्यवस्था और व्यवसायों को कर्मचारियों की अनुपस्थिति कम होने से लाभ अधिक होगा, नौकरी अधिक बढ़ेगी, समय से पहले मृत्यु दर को रोका जा सकता है.
  • विश्लेषण से यह पता चलता है कि भारत 2019 में वायु प्रदूषण से संबंधित सिक लीव को कम करके 1.4 बिलियन कार्य दिवस प्राप्त कर सकता था, जो व्यवसायों के लिए 6 बिलियन डॉलर का उच्च राजस्व प्रदान करने में भूमिका निभा सकता है.
  • कर्मचारियों के प्रदर्शन को स्वच्छ हवा से बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीय व्यापार राजस्व में प्रति वर्ष 24 बिलियन डॉलर का इजाफा होगा.
  • भारतीय आईटी क्षेत्र, सेवा क्षेत्र के विकास को चलाने वाला एक प्रमुख घटक है, जो जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 9 फीसद है. स्वच्छ हवा के कारण कम अनुपस्थिति और उच्च उत्पादकता से इस क्षेत्र को 1.3 बिलियन डॉलर, या अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% लाभ होता.
  • अकेले भारत की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण कम होने के परिणामस्वरूप एक आईटी कंपनी फिलीपींस में एक कंपनी पर अपने प्रतिस्पर्धात्मक लाभ में 33% की वृद्धि करेगी.
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2019 में एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, वायु की गुणवत्ता को सुरक्षित स्तर पर लाने से 1.7 मिलियन अकाल मृत्यु कम हो सकती है, जिससे भारत के भीतर होने वाली सभी मौतों में से 18% को रोका जा सकेगा.
  • आने वाले वर्षों में इस महामारी से निपटने के लिए मूल्य सृजित करने की आवश्यकता है. प्रदूषण के प्रति भारतीय आबादी की संवेदनशीलता बढ़ती रहेगी, जिससे वायु प्रदूषण का मुकाबला करने से अधिक संभावित लाभ प्राप्त होगा.

हैदराबाद : भारत में वायु प्रदुषण एक प्रमुख समस्या है. वायु प्रदुषण को कम करके न हम अपने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते है, बल्कि आसामायिक मौतें भी रोक सकते है. साथ ही बीमार होने वालों की संख्या में भी कमी हो सकती है. एक शोध के अनुसार 2019 में वायु प्रदूषण से संबंधित सिक लीव को कम करके भारत को 1.4 बिलियन कार्य दिवस प्राप्त हो सकते थे, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार किया जा सकता है.

  • भारत की वायु गुणवत्ता में सुधार केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रति वर्ष 95 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है.
  • डालबर्ग एडवाइजर्स की एक नई डेटा रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे वायु प्रदूषण कम करके आर्थिक विकास को बढ़ाया जा सकता है.
  • पॉलिसी निर्माताओं और व्यवसायों को स्वस्थ समाज और अर्थव्यवस्था के लिए स्वच्छ तकनीक में निवेश करने की आवश्यकता है.
  • भारत अपनी वायु गुणवत्ता में सुधार की प्रक्रिया में है. यह बहुत ही जरुरी है क्योंकि दुनिया के सबसे खराब वायु प्रदूषण वाले 30 शहरों में से 21 भारत में हैं. विश्वभर में सबसे खराब वायु गुणवत्ता की बात की जाए तो नई दिल्ली इसमें शामिल है.

डालबर्ग एडवाइजर्स की एक नई डेटा-आधारित रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • रिपोर्ट में पाया गया कि अगर भारत ने 2019 में सुरक्षित वायु गुणवत्ता स्तर हासिल कर लिया होता, तो इसकी जीडीपी में 95 बिलियन डॉलर या 3% की वृद्धि होती. इससे भारतीय व्यवसायों को कम लागत और अधिक मुनाफा मिलता.
  • भारत में हवा स्वच्छ होने से अर्थव्यवस्था और व्यवसायों को कर्मचारियों की अनुपस्थिति कम होने से लाभ अधिक होगा, नौकरी अधिक बढ़ेगी, समय से पहले मृत्यु दर को रोका जा सकता है.
  • विश्लेषण से यह पता चलता है कि भारत 2019 में वायु प्रदूषण से संबंधित सिक लीव को कम करके 1.4 बिलियन कार्य दिवस प्राप्त कर सकता था, जो व्यवसायों के लिए 6 बिलियन डॉलर का उच्च राजस्व प्रदान करने में भूमिका निभा सकता है.
  • कर्मचारियों के प्रदर्शन को स्वच्छ हवा से बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीय व्यापार राजस्व में प्रति वर्ष 24 बिलियन डॉलर का इजाफा होगा.
  • भारतीय आईटी क्षेत्र, सेवा क्षेत्र के विकास को चलाने वाला एक प्रमुख घटक है, जो जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 9 फीसद है. स्वच्छ हवा के कारण कम अनुपस्थिति और उच्च उत्पादकता से इस क्षेत्र को 1.3 बिलियन डॉलर, या अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% लाभ होता.
  • अकेले भारत की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण कम होने के परिणामस्वरूप एक आईटी कंपनी फिलीपींस में एक कंपनी पर अपने प्रतिस्पर्धात्मक लाभ में 33% की वृद्धि करेगी.
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2019 में एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, वायु की गुणवत्ता को सुरक्षित स्तर पर लाने से 1.7 मिलियन अकाल मृत्यु कम हो सकती है, जिससे भारत के भीतर होने वाली सभी मौतों में से 18% को रोका जा सकेगा.
  • आने वाले वर्षों में इस महामारी से निपटने के लिए मूल्य सृजित करने की आवश्यकता है. प्रदूषण के प्रति भारतीय आबादी की संवेदनशीलता बढ़ती रहेगी, जिससे वायु प्रदूषण का मुकाबला करने से अधिक संभावित लाभ प्राप्त होगा.
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