नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona virus) के खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने गर्भवती महिलाओं के लिए भी कोरोना का टीके को हरी झंडी दे दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR की ओर से साफ किया गया है कि गर्भवती महिलाएं भी कोविड-19 से बचाव के लिए टीका लगवा सकती हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गाइडलाइन भी जारी की गई हैं. हालांकि, बावजूद इसके अभी भी गर्भवती महिलाओं के मन में कोरोना के टीका (Corona Vaccine) लगाने को लेकर कई सवाल बने हुए हैं.
टीके के साइड इफेक्ट होने की आशंका
आठ महीने की गर्भवती महिला खुशबू ने कहा कि उन्होंने कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवाई है. उनके परिवार में सभी लोगों ने वायरस से बचाव के लिए टीका लगवा लिया है, लेकिन वह वैक्सीन लगवाने से डर रही हैं. उनका कहना है कि मन में कई सवाल हैं कि कहीं वैक्सीन लगवाने के बाद उन्हें या उनके बच्चे को कोई खतरा ना हो जाए. डिलीवरी के दौरान परेशानियां ना बढ़ जाए, इस को ध्यान में रखते हुए वह अभी वैक्सीन नहीं लगवा रही हैं.
वहीं, ममता ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके परिवार में 4 सदस्य हैं जिसमें से 3 सदस्यों ने वैक्सीन लगवा ली है. लेकिन उन्होंने अभी तक अपनी बहू को वैक्सीन नहीं लगावाई है, क्योंकि वह गर्भवती है. उन्हें डर है कि टीका लगवाने के बाद जो बुखार आदि आता है, उसके चलते उन्हें या उसके बच्चे को कोई परेशानी ना हो. ममता का कहना है कि सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए टीके को लेकर जारी की गई गाइडलाइन से पहले कोई भी ट्रायल नहीं कराया है और ना ही कोई स्टडी जारी की गई है.
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इसके साथ ही 3 बच्चों की मां अंकुश ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीन की मंजूरी दे दी गई है, लेकिन सरकार ने इन महिलाओं को लेकर कोई भी ट्रायल नहीं किया है. जिस प्रकार से जब देश में कोरोना की वैक्सीन लाई गई तो इसे कई लोगों पर ट्रायल किया गया और वहीं अब बच्चों के लिए वैक्सीन (Corona Vaccine) को लेकर भी ट्रायल किए जा रहे हैं. लेकिन गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) के लिए वैक्सीन लगाए जाने की बात की जा रही है लेकिन इसको लेकर कोई भी ट्रायल नहीं किए गए हैं. ऐसे में मां को डर रहता है कि वह अपने बच्चे की जिंदगी क्यों खतरे में डालें.
कोविशील्ड और कोवैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित
एससीआई आईवीएफ अस्पताल की डायरेक्टर डॉ. शिवानी सचदेव गौड़ ने सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) के लिए जारी की गई गाइडलाइंस को लेकर कहा कि बेहद ही सराहनीय कदम है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान किसी भी महिला के लिए कोरोना वायरस बेहद खतरनाक हो सकता है. उन्होंने बताया कि कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जिसमें की मां के संक्रमित होने पर बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई.
वहीं, गर्भवती महिलाओं पर वैक्सीन के ट्रायल को लेकर उन्होंने जवाब दिया कि कोविशिल्ड और कोवैक्सिन दोनों ऐसी वैक्सीन है जो डेड वायरस पर बनी है और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को पहले से ही डेड वायरस की कई वैक्सीन दी जाती हैं. ऐसे में यदि कोरोना की वैक्सीन गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) को लगाई जाती है तो उन पर इसका कोई भी गलत या बुरा प्रभाव नहीं होगा.
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डॉ. शिवानी ने बताया कि अमेरिका में 90,000 गर्भवती महिलाओं पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया है. वहीं यूके में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन गर्भवती महिलाओं को लगाई जा रही है, हालांकि भारत में अभी यह वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. लेकिन कोविशिल्ड और कोवैक्सीन दोनों डेड वायरस से बनी वैक्सीन हैं इसीलिए गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) पर यह पूरी तरीके से सुरक्षित है.
डॉ शिवानी ने बताया कि जब गर्भवती महिलाएं उनसे वैक्सीन लगाने को लेकर सवाल करती हैं, तो कई महिलाओं के मन में यह डर होता है कि वैक्सीन लगाने के बाद बच्चे के जन्म के बाद कोई परेशानी ना हो. उन्होंने कहा कि इसको लेकर कोई भी स्टडी अभी सामने नहीं आई है, वहीं सरकार की ओर से भी जो गाइडलाइन जारी की गई है, उसमें यह साफ कहा गया है कि 5 लाख गर्भवती महिलाओं में किसी एक महिला में बुखार मिर्गी जैसे लक्षण हो सकते हैं.
डिलीवरी के बाद ही वैक्सीन लगवानी चाहिए
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि वैक्सीन का पहला डोज लगवाने के बाद महिला गर्भवती होती है, तो वह गर्भावस्था के दौरान भी दूसरा डोज लगवा सकती है.हालांकि यदि गर्भावस्था के दौरान महिला संक्रमित हो जाती है और फिर ठीक होने के बाद उसे वैक्सीन लगवानी चाहिए या नहीं इसको लेकर डॉ. शिवानी ने कहा कि महिला को डिलीवरी का इंतजार करना चाहिए और बच्चे के जन्म के बाद ही वैक्सीन लगवानी चाहिए.