नई दिल्ली : उत्तर-पश्चिम दिल्ली के शकूर बस्ती में रहने वाले विजय कुमार ने 30 जून को अपने बैंक खाते से एक लाख रुपये निकाले और करीब 55 किलो राशन खरीदने के बाद उत्तर प्रदेश के खुर्जा स्थित अपने गृह नगर जाने के लिए शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पहुंचा. लेकिन दुर्भाग्यवश बरेली-नई दिल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस में राशन के दो बैग रखने के दौरान वह स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर एक लाख रुपये से भरा हुआ बैग बेंच पर ही भूल गया.
इसी बीच नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर तैनात पुलिस का सिपाही नरेन्द्र कुमार शिवाजी ब्रिज स्टेशन पर ड्यूटी पर था और ट्रेन के जाने के बाद गश्त लगा रहा था कि तभी उसने एक लावारिस बैग देखा. नरेन्द्र ने कुछ यात्रियों से बैग के बारे में पूछा लेकिन उसके मालिक के बारे में पता नहीं चला. दिल्ली पुलिस के सिपाही नरेन्द्र ने कहा कि मैंने बैग को अपने पास ही रखने का फैसला किया.
बैग की तलाशी लेने पर मैंने देखा कि उसमें नकदी के दो बंडल करीब एक लाख रुपये हैं. इसके अलावा उसमें कुछ रोटियां, पानी की बोतल, एक चेक बुक, बैंक की पासबुक, एक आधार कार्ड और राशन कार्ड भी था. मैंने तुरंत इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी.
हमने विजय कुमार से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन जब संपर्क नहीं हो सका तो हमने इंतजार करने का फैसला किया. इसके कुछ घंटों के बाद शाम साढ़े छह बजे विजय शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन लौटा और उसने अपने बैग के बारे में पूछताछ की. पुलिस ने कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बैग और एक लाख रुपये विजय को लौटा दिए. पुलिस उपायुक्त (रेलवे) हरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विजय कुमार स्टेशन पर ही अपना बैग भूल गया था. हमारे सिपाही नरेन्द्र ने बैग को सुरक्षित रखा और एक लाख रुपये समेत बैग विजय को लौटा दिया.
उस दिन को याद करते हुए विजय ने कहा कि वह प्लेटफॉर्म पर एक बेंच पर बैठे हुए थे और ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. ट्रेन के पहुंचने पर उन्होंने जल्दबाजी में राशन के दो बैग ट्रेन में रखे और बेंच पर अपना थैला छोड़कर ट्रेन में बैठ गए. विजय ने कहा कि आनंद विहार स्टेशन पर प्यास लगने पर जब मैं पानी पीने के लिए उतरा तब मुझे एहसास हुआ कि मैं अपना थैला जिसमें एक लाख रुपये थे कहीं भूल गया हूं. यह रुपये मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं.
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मैं अपने बच्चों के लिए छोटा सा घर बनाने के लिए इन रुपयों को लंबे समय से एकत्र कर रहा था. विजय ने कहा कि मैं एक गरीब आदमी हूं और मेरे लिए एक लाख रुपये बहुत बड़ी रकम है. मैं अपनी सारी उम्मीदें खो चुका था लेकिन नरेन्द्र बाबू मेरे लिए मसीहा बनकर आए.
(पीटीआई-भाषा)