सूरजकुंड (हरियाणा) : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सूरजकुंड में दो दिवसीय 'चिंतन शिविर' (Chintan Shivir) का उद्घाटन करते हुए कहा 'वामपंथी उग्रवाद से आतंक से प्रभावित क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्व, जो कभी हिंसा और अशांति के केंद्र थे, अब विकास के हॉट स्पॉट बन रहे हैं.' (Hot sopt of violence turned into hotspot of development)
उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में उत्तर पूर्व में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. 2014 के बाद से आतंकी हमलों में 74, सुरक्षा बलों के हताहतों में 60 और नागरिक हताहतों में लगभग 90 प्रतिशत की कमी आई है. शाह ने कहा कि एनएलएफटी, बोडो, कार्बी आंगलांग जैसे उग्रवादी गुटों के साथ दीर्घावधि समझौतों से 9000 उग्रवादियों का आत्मसपर्पण कराया गया ताकि पूर्वोत्तर में शांति स्थापित हो सके. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में शांति बहाली के साथ ही 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों से अफस्पा (AFSPA) वापस ले लिया गया है.
वामपंथी हिंसा में कमी का जिक्र करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में नक्सली हिंसा में 77 फीसदी कमी आई है, जबकि नक्सली हिंसा में मौत के मामलों में 85 फीसदी कमी आई है. उन्होंने यह भी कहा कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, शांति और प्रगति के एक नए युग की शुरुआत हुई है. शाह ने कहा, '5 अगस्त 2019 से पहले के 37 महीनों की तुलना में 5 अगस्त 2019 के बाद 37 महीनों में आतंकवादी घटनाओं में 34 प्रतिशत और सुरक्षा बलों में मौतों में 54 प्रतिशत की कमी आई है.'
दो दिवसीय चिंतन शिविर में राज्य के गृह मंत्री, गृह विभाग वाले मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक, डीजीपी और गृह आयुक्त शामिल हो रहे हैं. शाह ने कहा कि नशीले पदार्थों के खिलाफ भारत सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. पिछले 8 वर्षों में 3,000 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के ड्रग्स जब्त किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि अपराध की प्रकृति बदल रही है और अपराध सीमाविहीन होता जा रहा है. यही वजह है कि राज्यों को इससे लड़ने के लिए साझा रणनीति तैयार करनी चाहिए. शाह ने कहा, ' इस सामान्य रणनीति को तैयार करने और लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सहकारी संघवाद का लक्ष्य हासिल करने के लिए 3C को बढ़ावा दे रही है अर्थात सहयोग, समन्वय और तालमेल पर जोर दे रही है.
साइबर अपराध को आज देश और दुनिया के सामने एक बड़ा खतरा मानते हुए शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय इससे लड़ने के लिए तैयार है. शाह ने कहा, 'गृह मंत्रालय सीआरपीसी, आईपीसी और एफसीआरए में सुधारों पर लगातार काम कर रहा है और जल्द ही उनका संशोधित खाका संसद में पेश किया जाएगा.' उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि दर बढ़ाने के लिए राज्यों को फॉरेंसिक साइंस का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए और केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) का गठन कर हर संभव सहायता प्रदान की है.
गृह मंत्री ने कहा, 'सीमावर्ती राज्यों को सीमा सुरक्षा और तटीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों और सुरक्षा बलों के साथ अधिक समन्वित प्रयास करने होंगे.'
शाह ने बताया कि केंद्र सरकार 'एक डेटा, एक प्रविष्टि' के सिद्धांत पर काम कर रही है. एनआईए के तहत आतंकवादी मामलों से संबंधित एक राष्ट्रीय डेटाबेस दिया गया है. एनसीबी के पास नशीले पदार्थों के मामलों से संबंधित एक राष्ट्रीय डेटाबेस है. ईडी के पास आर्थिक अपराधों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस है और एनसीआरबी को एक फिंगरप्रिंट डेटाबेस-एनएएफआईएस और नेशनल डेटाबेस ऑफ सेक्स ऑफेंडर (एनडीएसओ) बनाने की जिम्मेदारी दी गई है.
गुरुवार को गृह मंत्रालय में समन्वय सचिव विवेक जोशी ने आग, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड, पुलिस आधुनिकीकरण, शत्रु संपत्ति, मानव संसाधन विकास के मुद्दों, नागरिक पंजीकरण प्रणाली, भारत में विदेशियों और अव्ययित शेष पर एक अवलोकन दिया. होम पोर्टफोलियो (Home Portfolio) वाले कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी अपने राज्यों की कानून व्यवस्था की स्थिति और कई अन्य मुद्दों पर प्रकाश डाला.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, गोवा के सीएम डॉ. प्रमोद सावंत, केरल के पिनाराई विजयवाड़ा, मणिपुर के एन बीरेन सिंह, पंजाब के भगवंत मान, सिक्किम के प्रेम सिंह तमांग, त्रिपुरा के माणिक साहा, उत्तराखंड के डॉ. पुष्कर सिंह धामी, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्य नाथ के साथ-साथ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, नागालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई पैटन, जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा, छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, ओडिशा के तुषार कांति बेहरा और मेघालय के लखमेन रिम्पुई ने भी संबोधित किया.
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