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बाबई का नाम माखन नगर, होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम, केंद्र ने भी दी मंजूरी - शिवपुरी को कुंडेश्वर धाम

मध्य प्रदेश का होशंगाबाद अब नर्मदापुरम और शिवपुरी को कुंडेश्वर धाम के नाम से जाना जाएगा. साथ ही प्रख्यात पत्रकार और कवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली बाबई का नाम बदलकर माखन नगर कर दिया गया है.

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Published : Feb 4, 2022, 12:54 PM IST

भोपाल। देश और राज्य की सरकारें इस दौर में जगहों के नाम बदल कर ये कहने से गुरेज़ नहीं कर रही हैं कि "भारत बदल रहा है". ये बात और है कि नाम बदलने से वो स्थान या जगह कितनी बदल जाती हैं, वो रिसर्च का विषय है. इसी कड़ी में अब मध्य प्रदेश के तीन और स्थानों के नाम बदलने को लेकर केंद्र सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है. धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व वाले होशंगाबाद, बाबई और शिवपुरी के नये नामों पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. मध्य प्रदेश सरकार ने यह तीनों नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था जो लंबे समय से रुका हुआ था.

अब इन नामों से जाने जाएंगे ये स्थान
अब मध्य प्रदेश का होशंगाबाद जिला नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा. इसी तरह कवि और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी की नगरी बाबई का नाम अब माखन नगर हो जायेगा. कुंडेश्वर मंदिर से जुड़े शिवपुरी का नाम अब कुंडेश्वर धाम हो जायेगा. इन तीनों स्थानों के नाम बदलने को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था जो लंबे समय से रुका हुआ था. अब केंद्र सरकार ने इस पर अपनी अंतिम मुहर लगा दी है. इसके बाद अब प्रदेश सरकार नाम बदलने की प्रक्रिया की आगे की कार्रवाई करेगी. पूर्व में भोपाल संभाग से तीन जिलों को अलग कर बनाए गए संभाग को नर्मदा पुरम संभाग नाम दिया गया था. संभाग में होशंगाबाद, हरदा और बैतूल जिले शामिल हैं. संभाग का औपचारिक विभाजन 27 अगस्त 2008 को किया गया था हालांकि उसके पहले से होशंगाबाद जिले का नाम बदलने को लेकर कोशिश चल रही थी.

  • होशंगाबाद को 'नर्मदापुरम' और बाबई को 'माखन नगर' करने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को भेजा था, जिसे स्वीकृति मिल गई है।

    जन आकांक्षाओं के अनुरूप इस सुखद निर्णय के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और केंद्र सरकार के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

    — Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 3, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

नाम बदलने के लिए लेनी होती है एनओसी
केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार किसी भी शहर कस्बा या गांव का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी लेनी होती है. इसके बाद केंद्र सरकार अपने तीन प्रमुख विभाग इंटेलिजेंस ब्यूरो, ज्योग्राफिकल सर्वे और अर्थ साइंस से इस बारे में रिपोर्ट मांगती है. यह रिपोर्ट मिलने पर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्ताव पर अपनी अनुमति दी जाती है.

MP में नाम बदलने की सियासत
वैसे देखा जाए तो मध्यप्रदेश में नाम बदलने को लेकर लंबे समय से राजनीति चली आ रही है. हाल ही में भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के रख दिया गया. इसी तरह टोनी विधानसभा का नाम मिंटो हॉल से बदलकर कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर कर दिया गया है. भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित कई बीजेपी नेता भोपाल की ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरु नानक टेकरी रखने और हलाली डैम, इस्लाम नगर, लालघाटी, हलालपुर बस स्टैंड का नाम बदलने को लेकर भी लगातार मांग करते आ रहे हैं.

इतिहास में होशंगाबाद
11वीं शताब्दी में परमार काल राजा उदय वर्मा के भोपाल से मिले ताम्र पात्रों से उल्लेख होता है कि होशंगाबाद नर्मदापुरम के नाम से जाना जाता था. होशंगाबाद के गुनौर ग्राम का उस अभिलेख में उल्लेख मिलता है. 15 वीं शताब्दी में होशंग शाह जो मालवा का सुल्तान था वो विशेष रूप से मांडू का सुल्तान हुआ करता था. उसने अपने साम्राज्य को बढ़ाते हुए भोपाल, मंडीदीप, भोपाल के बड़े तालाब को नुकसान पहुंचाकर होशंगाबाद की सीमाओं में प्रवेश किया अपने नाम की पहचान के लिए इसका नाम होशंगाबाद रखता. इस की पुष्टि उस समय के साहित्य के संदर्भ से होती है. मध्यकालीन इतिहास के पन्नों को जब खोलते हैं तो इसकी पहचान होशंगाबाद से होती है.

कौन थे माखनलाल चतुर्वेदी ?
भारत के प्रमुख कवि, लेखक एवं पत्रकार के रूप में अपनी छवि बनाने वाले कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की तहसील बाबई में हुआ. उनके पिताजी का नाम नंदलाल चतुर्वेदी और माता का नाम सुंदरीबाई था. इनके पिताजी अपने ग्राम सभा में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे. चतुर्वेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा बाबई में हुई तथा प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, गुजराती अथवा अंग्रेजी जैसी कई भाषाओं का ज्ञान घर पर ही प्राप्त किया था. माखनलाल चतुर्वेदी जब 16 वर्ष के थे तब ही स्कूल में अध्यापक बन गए थे. उन्होंने 1906 से 1910 तक एक विद्यालय में अध्यापन का कार्य किया. कुछ दिनों तक अध्यापन करने के बाद चतुर्वेदी जी राष्ट्रीय पत्रिकाओं में सम्पादक का काम देखने लगे थे. इन्होंने 1913 ई. में प्रभा और कर्मवीर नामक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका का संपादन करना शुरु किया. कानपुर से गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से ये राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लेने लगे थे. इसी बीच इनको कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी.

यात्रीगण कृप्या ध्यान दें! Rani Kamlapati Station पर एंट्री करते ही आयेगा एयरपोर्ट जैसा फील, सुविधाएं जानकर रहे जाएंगे हैरान

हबीबगंज से रानी कमलापति में तब्दील होने के बाद कितना बदल गया देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन, देखिए Exclusive photos

वीडियो में देखें World Class Railway Station रानी कमलापति की खासियत, एयरपोर्ट जैसी सारी सुविधाएं हैं उपलब्ध

(Hoshangabad will now be known as Narmadapuram ) (Shivpuri as Kundeshwar) ( Babai as Makhanpur)

भोपाल। देश और राज्य की सरकारें इस दौर में जगहों के नाम बदल कर ये कहने से गुरेज़ नहीं कर रही हैं कि "भारत बदल रहा है". ये बात और है कि नाम बदलने से वो स्थान या जगह कितनी बदल जाती हैं, वो रिसर्च का विषय है. इसी कड़ी में अब मध्य प्रदेश के तीन और स्थानों के नाम बदलने को लेकर केंद्र सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है. धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व वाले होशंगाबाद, बाबई और शिवपुरी के नये नामों पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. मध्य प्रदेश सरकार ने यह तीनों नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था जो लंबे समय से रुका हुआ था.

अब इन नामों से जाने जाएंगे ये स्थान
अब मध्य प्रदेश का होशंगाबाद जिला नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा. इसी तरह कवि और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी की नगरी बाबई का नाम अब माखन नगर हो जायेगा. कुंडेश्वर मंदिर से जुड़े शिवपुरी का नाम अब कुंडेश्वर धाम हो जायेगा. इन तीनों स्थानों के नाम बदलने को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था जो लंबे समय से रुका हुआ था. अब केंद्र सरकार ने इस पर अपनी अंतिम मुहर लगा दी है. इसके बाद अब प्रदेश सरकार नाम बदलने की प्रक्रिया की आगे की कार्रवाई करेगी. पूर्व में भोपाल संभाग से तीन जिलों को अलग कर बनाए गए संभाग को नर्मदा पुरम संभाग नाम दिया गया था. संभाग में होशंगाबाद, हरदा और बैतूल जिले शामिल हैं. संभाग का औपचारिक विभाजन 27 अगस्त 2008 को किया गया था हालांकि उसके पहले से होशंगाबाद जिले का नाम बदलने को लेकर कोशिश चल रही थी.

  • होशंगाबाद को 'नर्मदापुरम' और बाबई को 'माखन नगर' करने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को भेजा था, जिसे स्वीकृति मिल गई है।

    जन आकांक्षाओं के अनुरूप इस सुखद निर्णय के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और केंद्र सरकार के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

    — Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 3, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

नाम बदलने के लिए लेनी होती है एनओसी
केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार किसी भी शहर कस्बा या गांव का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी लेनी होती है. इसके बाद केंद्र सरकार अपने तीन प्रमुख विभाग इंटेलिजेंस ब्यूरो, ज्योग्राफिकल सर्वे और अर्थ साइंस से इस बारे में रिपोर्ट मांगती है. यह रिपोर्ट मिलने पर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्ताव पर अपनी अनुमति दी जाती है.

MP में नाम बदलने की सियासत
वैसे देखा जाए तो मध्यप्रदेश में नाम बदलने को लेकर लंबे समय से राजनीति चली आ रही है. हाल ही में भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के रख दिया गया. इसी तरह टोनी विधानसभा का नाम मिंटो हॉल से बदलकर कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर कर दिया गया है. भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित कई बीजेपी नेता भोपाल की ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरु नानक टेकरी रखने और हलाली डैम, इस्लाम नगर, लालघाटी, हलालपुर बस स्टैंड का नाम बदलने को लेकर भी लगातार मांग करते आ रहे हैं.

इतिहास में होशंगाबाद
11वीं शताब्दी में परमार काल राजा उदय वर्मा के भोपाल से मिले ताम्र पात्रों से उल्लेख होता है कि होशंगाबाद नर्मदापुरम के नाम से जाना जाता था. होशंगाबाद के गुनौर ग्राम का उस अभिलेख में उल्लेख मिलता है. 15 वीं शताब्दी में होशंग शाह जो मालवा का सुल्तान था वो विशेष रूप से मांडू का सुल्तान हुआ करता था. उसने अपने साम्राज्य को बढ़ाते हुए भोपाल, मंडीदीप, भोपाल के बड़े तालाब को नुकसान पहुंचाकर होशंगाबाद की सीमाओं में प्रवेश किया अपने नाम की पहचान के लिए इसका नाम होशंगाबाद रखता. इस की पुष्टि उस समय के साहित्य के संदर्भ से होती है. मध्यकालीन इतिहास के पन्नों को जब खोलते हैं तो इसकी पहचान होशंगाबाद से होती है.

कौन थे माखनलाल चतुर्वेदी ?
भारत के प्रमुख कवि, लेखक एवं पत्रकार के रूप में अपनी छवि बनाने वाले कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की तहसील बाबई में हुआ. उनके पिताजी का नाम नंदलाल चतुर्वेदी और माता का नाम सुंदरीबाई था. इनके पिताजी अपने ग्राम सभा में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे. चतुर्वेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा बाबई में हुई तथा प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, गुजराती अथवा अंग्रेजी जैसी कई भाषाओं का ज्ञान घर पर ही प्राप्त किया था. माखनलाल चतुर्वेदी जब 16 वर्ष के थे तब ही स्कूल में अध्यापक बन गए थे. उन्होंने 1906 से 1910 तक एक विद्यालय में अध्यापन का कार्य किया. कुछ दिनों तक अध्यापन करने के बाद चतुर्वेदी जी राष्ट्रीय पत्रिकाओं में सम्पादक का काम देखने लगे थे. इन्होंने 1913 ई. में प्रभा और कर्मवीर नामक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका का संपादन करना शुरु किया. कानपुर से गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से ये राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लेने लगे थे. इसी बीच इनको कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी.

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हबीबगंज से रानी कमलापति में तब्दील होने के बाद कितना बदल गया देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन, देखिए Exclusive photos

वीडियो में देखें World Class Railway Station रानी कमलापति की खासियत, एयरपोर्ट जैसी सारी सुविधाएं हैं उपलब्ध

(Hoshangabad will now be known as Narmadapuram ) (Shivpuri as Kundeshwar) ( Babai as Makhanpur)

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