नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने उच्चतम न्यायालय की ओर से कथित पेगासस जासूसी मामले में केंद्र को नोटिस जारी किये जाने के बाद मंगलवार को कहा कि वह आशा करते हैं कि सर्वोच्च अदालत सरकार से इस सवाल का जवाब मांगेगी कि क्या यह स्पाईवेयर किसी सरकारी एजेंसी ने खरीदा और इसका इस्तेमाल किया.
पूर्व गृह मंत्री ने ट्वीट किया, 'एनएसओ समूह (इजरायली कंपनी) ने स्वीकार किया और कहा कि पेगासस स्पाईवेयर है, जिसका उपयोग फोन हैक करने में होता है. सरकार इस सवाल का जवाब देने की इच्छुक क्यों नहीं है कि क्या किसी एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर खरीदा और इसका इस्तेमाल किया? हम इसका सीधा जवाब चाहते हैं.'
उन्होंने कहा, 'अगर यह बिंदु आज की सुनवाई में नहीं आया तो फिर आने वाले दिन में निश्चित तौर पर आएगा. उच्चतम न्यायालय को इस सवाल का जवाब सरकार से मांगना चाहिए. मैं आशा करता है कि न्यायालय ऐसा करेगा.'
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग से संबंधित याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और यह स्पष्ट किया कि वह नहीं चाहता कि सरकार ऐसी किसी बात का खुलासा करे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने यह टिप्पणी सरकार के यह कहने के बाद की कि हलफनामे में सूचना की जानकारी देने से राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा जुड़ा है.
बता दें कि संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.
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क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.
संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.
क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?
कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .