नई दिल्ली: अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) को लेकर गृह मंत्रालय में मंगलवार को बैठक आयोजित की गई. अंतिम सुरक्षा समीक्षा बैठक में सुरक्षा बलों की तैनाती की रणनीति तैयार की गई.
62 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगी. मंगलवार की बैठक की अध्यक्षता गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने की और इसमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुखों ने भाग लिया. बैठक में खुफिया विभाग, सेना, जम्मू और कश्मीर प्रशासन और अमरनाथ श्राइन बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.
बैठक से जुड़े अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि इस साल पहली बार भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को गुफा मंदिर की सुरक्षा का काम सौंपा गया है और सीढ़ियों के ठीक नीचे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) तैनात किया जाएगा.
बैठक में स्थानवार बलों की तैनाती को अंतिम रूप दिया गया. अधिकारियों ने कहा कि 'आईटीबीपी को तैनात करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर पुलिस और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सुझावों के बाद लिया गया.'
2022 में, 3.45 लाख लोगों ने गुफा मंदिर का दौरा किया और इस साल आने वालों की संख्या 5 लाख से अधिक होने की उम्मीद है. पिछले साल जब अमरनाथ यात्रा के दौरान अचानक आई बाढ़ ने तबाही मचाई थी, तब आईटीबीपी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अचानक आई बाढ़ के बाद, ITBP पहला बल था, जो तैनात हुआ और कई लोगों की जान बचाई.
पिछले साल अमरनाथ यात्रा के दौरान अचानक आई बाढ़ के कारण कम से कम 16 लोगों की जान चली गई. वास्तव में, इस तरह की दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए, भारतीय वायु सेना और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहले से ही हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (जीएलओएफ) की जांच के लिए पवित्र गुफा की ऊपरी पहुंच पर हवाई उड़ानें शुरू कर दी हैं.
सूत्रों का कहना है कि बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आईटीबीपी और बीएसएफ को उन छह अलग-अलग स्थानों पर तैनात किया जाएगा, जिनकी सुरक्षा पहले सीआरपीएफ द्वारा की जाती थी.