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गृह मंत्री शाह का खुलासा, 'यूपीए काल में मोदी को फ्रेम करने के लिए सीबीआई मुझ पर दबाव बना रही थी'

यूपीए शासनकाल को याद करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उस समय सीबीआई नरेंद्र मोदी को किसी भी तरीके से 'फंसाना' चाहती थी और इसके लिए सीबीआई उन पर दबाव बना रही थी. शाह ने कहा कि इतना सबकुछ हो रहा था, फिर भी हमने इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया.

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अमित शाह, गृह मंत्री
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Published : Mar 30, 2023, 1:02 PM IST

नई दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह ने मनमोहन सिंह सरकार के समय सीबीआई किस तरह के काम करती थी, इसको लेकर खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि यूपीए शासन काल में सीबीआई ने उन्हें नरेंद्र मोदी के खिलाफ फर्जी मुठभेड़ मामले में गवाही देने को कहा था, ताकि मोदी फंस जाएं. उन्होंने यह जानकारी एक टीवी चैनल के प्रोग्राम के दौरान दी. शाह ने कहा कि उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

शाह ने कहा कि सीबीआई उन पर दबाव बना रही थी ताकि किसी भी तरीके से मोदी को फर्जी मुठभेड़ केस में फ्रेम किया जा सके. गृह मंत्री ने कहा इतना सबकुछ हो रहा था, फिर भी हमने इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया. शाह ने कहा कि हम कानून का पालन करने वालों में से हैं, और ऐसे मुद्दों पर राजनीति नहीं करते हैं.

राहुल गांधी के मामले पर शाह ने कहा कि वह पहले नेता नहीं हैं, जिसे कोर्ट ने सजा सुनाई है और उनकी सदस्यता चली गई. शाह ने कहा कि ऊपरी अदालत में अपील करने के बजाए राहुल गांधी इस मुद्दे पर हाय-तौबा मचा रहे हैं और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहरा रहे हैं. शाह ने कहा कि बेहतर होता कि पीएम को बदनाम करने की जगह वह अदालत का दरवाजा खटखटाते. शाह ने कहा कि कांग्रेस इस पूरे मामले पर भ्रम फैला रही है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस इस मुद्दे पर कानूनी रास्ता अपनाती, तो बेहतर होता, लेकिन उन्हें तो राजनीति करनी है, वह कर रहे हैं, यह और कुछ नहीं, बल्कि उनका अहंकार है. उन्होंने आगे कहा कि राहुल चाहते हैं कि वह सांसद बने रहें, लेकिन इसके लिए अदालत नहीं जाएंगे, तो आप बताइए यह कैसे संभव हो पाएगा.

शाह ने कहा कि राहुल से पहले लालू प्रसाद, जे जयललिता और राशिद मसूद समेत 17 बड़े नेताओं की सदस्यता चली गई. और यह सब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुआ, कोर्ट ने 2013 में यह फैसला सुनाया था. लेकिन तब किसी ने काले कपड़े पहनकर विरोध नहीं किया, क्योंकि यह कानून के अधीन हुआ. राहुल के भाषण का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि आप उसे गौर से सुनिए, वह न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बल्कि पूरे मोदी समुदाय और ओबीसी समाज को 'गाली' दे रहे हैं. इसलिए राहुल के खिलाफ जो कार्रवाई हुई है, यह बदले की भावना से नहीं की गई है, बल्कि कोर्ट के फैसले के बाद हुआ है. गृह मंत्री ने कहा कि राहुल ने तो खुद उस अध्यादेश को फाड़ दिया, जिसमें ऐसे फैसलों से बचने के लिए कदम उठाने पर विचार किया गया था. शाह ने कहा कि तब राहुल को पीएम को बदनाम करते हुए 'शर्म' नहीं आई.

बंगला खाली कराने के मुद्दे पर भी शाह ने कहा कि किसी के साथ भी पक्षपात नहीं होना चाहिए. नियम और कानून सबके लिए बराबर है. शाह ने कहा कि सबकुछ राहुल गांधी ने जानबूझकर किया. अगर वह अपील नहीं करना चाहते थे, तो उन्होंने बेल के लिए अप्लाई क्यों किया. गृह मंत्री ने कहा कि जब लालू की सदस्यता चली गई, तब प्रजातंत्र पर खतरा नहीं था, लेकिन गांधी परिवार का कोई व्यक्ति सजायाफ्ता हो गया, तो प्रजातंत्र खतरे में है. शाह ने कहा कि उनके नेता कह रहे हैं कि राहुल गांधी के लिए अलग कानून होना चाहिए. शाह ने कहा कि मैं पूरे देश से पूछना चाहता हूं कि क्या किसी परिवार के लिए अलग कानून होना चाहिए, यह किस प्रकार की मानसिकता है. कुछ भी होता है तो राहुल मोदी को कटघरे में खड़ा कर देते हैं, और अब तो लोकसभा अध्यक्ष पर भी निशाना साध रहे हैं.

अमित शाह ने कहा कि राज्यभा में कई वरिष्ठ वकील राहुल के सहयोगी हैं, उन्हें उनको समझाना चाहिए कि इस पूरी प्रक्रिया में लोकसभा स्पीकर की कोई भूमिका नहीं होती है. यह कानून है कि जिस वक्त आपको सजा सुनाई गई, आपकी सदस्यता स्वतः चली जाएगी, चाहे इसकी सूचना लोकसभा सचिवालय को देरी से ही क्यों न दी जाए.

ये भी पढ़ें : राहुल गांधी की सदस्यता खत्म होने पर कुमार विश्वास ने कहा, निष्कासित आदमी ही क्रांति लाता है

नई दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह ने मनमोहन सिंह सरकार के समय सीबीआई किस तरह के काम करती थी, इसको लेकर खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि यूपीए शासन काल में सीबीआई ने उन्हें नरेंद्र मोदी के खिलाफ फर्जी मुठभेड़ मामले में गवाही देने को कहा था, ताकि मोदी फंस जाएं. उन्होंने यह जानकारी एक टीवी चैनल के प्रोग्राम के दौरान दी. शाह ने कहा कि उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

शाह ने कहा कि सीबीआई उन पर दबाव बना रही थी ताकि किसी भी तरीके से मोदी को फर्जी मुठभेड़ केस में फ्रेम किया जा सके. गृह मंत्री ने कहा इतना सबकुछ हो रहा था, फिर भी हमने इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया. शाह ने कहा कि हम कानून का पालन करने वालों में से हैं, और ऐसे मुद्दों पर राजनीति नहीं करते हैं.

राहुल गांधी के मामले पर शाह ने कहा कि वह पहले नेता नहीं हैं, जिसे कोर्ट ने सजा सुनाई है और उनकी सदस्यता चली गई. शाह ने कहा कि ऊपरी अदालत में अपील करने के बजाए राहुल गांधी इस मुद्दे पर हाय-तौबा मचा रहे हैं और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहरा रहे हैं. शाह ने कहा कि बेहतर होता कि पीएम को बदनाम करने की जगह वह अदालत का दरवाजा खटखटाते. शाह ने कहा कि कांग्रेस इस पूरे मामले पर भ्रम फैला रही है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस इस मुद्दे पर कानूनी रास्ता अपनाती, तो बेहतर होता, लेकिन उन्हें तो राजनीति करनी है, वह कर रहे हैं, यह और कुछ नहीं, बल्कि उनका अहंकार है. उन्होंने आगे कहा कि राहुल चाहते हैं कि वह सांसद बने रहें, लेकिन इसके लिए अदालत नहीं जाएंगे, तो आप बताइए यह कैसे संभव हो पाएगा.

शाह ने कहा कि राहुल से पहले लालू प्रसाद, जे जयललिता और राशिद मसूद समेत 17 बड़े नेताओं की सदस्यता चली गई. और यह सब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुआ, कोर्ट ने 2013 में यह फैसला सुनाया था. लेकिन तब किसी ने काले कपड़े पहनकर विरोध नहीं किया, क्योंकि यह कानून के अधीन हुआ. राहुल के भाषण का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि आप उसे गौर से सुनिए, वह न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बल्कि पूरे मोदी समुदाय और ओबीसी समाज को 'गाली' दे रहे हैं. इसलिए राहुल के खिलाफ जो कार्रवाई हुई है, यह बदले की भावना से नहीं की गई है, बल्कि कोर्ट के फैसले के बाद हुआ है. गृह मंत्री ने कहा कि राहुल ने तो खुद उस अध्यादेश को फाड़ दिया, जिसमें ऐसे फैसलों से बचने के लिए कदम उठाने पर विचार किया गया था. शाह ने कहा कि तब राहुल को पीएम को बदनाम करते हुए 'शर्म' नहीं आई.

बंगला खाली कराने के मुद्दे पर भी शाह ने कहा कि किसी के साथ भी पक्षपात नहीं होना चाहिए. नियम और कानून सबके लिए बराबर है. शाह ने कहा कि सबकुछ राहुल गांधी ने जानबूझकर किया. अगर वह अपील नहीं करना चाहते थे, तो उन्होंने बेल के लिए अप्लाई क्यों किया. गृह मंत्री ने कहा कि जब लालू की सदस्यता चली गई, तब प्रजातंत्र पर खतरा नहीं था, लेकिन गांधी परिवार का कोई व्यक्ति सजायाफ्ता हो गया, तो प्रजातंत्र खतरे में है. शाह ने कहा कि उनके नेता कह रहे हैं कि राहुल गांधी के लिए अलग कानून होना चाहिए. शाह ने कहा कि मैं पूरे देश से पूछना चाहता हूं कि क्या किसी परिवार के लिए अलग कानून होना चाहिए, यह किस प्रकार की मानसिकता है. कुछ भी होता है तो राहुल मोदी को कटघरे में खड़ा कर देते हैं, और अब तो लोकसभा अध्यक्ष पर भी निशाना साध रहे हैं.

अमित शाह ने कहा कि राज्यभा में कई वरिष्ठ वकील राहुल के सहयोगी हैं, उन्हें उनको समझाना चाहिए कि इस पूरी प्रक्रिया में लोकसभा स्पीकर की कोई भूमिका नहीं होती है. यह कानून है कि जिस वक्त आपको सजा सुनाई गई, आपकी सदस्यता स्वतः चली जाएगी, चाहे इसकी सूचना लोकसभा सचिवालय को देरी से ही क्यों न दी जाए.

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