नई दिल्ली: प्रसिद्ध वैश्विक चिकित्सा पत्रिका द लैंसेट ( journal The Lancet) में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि एचआईवी (HIV) से पीड़ित लोगों में एचआईवी-नकारात्मक लोगों की तुलना में कोरोना की अधिक गंभीर नैदानिक जटिलताएं हो सकती हैं.
एचआईवी से पीड़ित लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा 24 प्रतिशत ज्यादा है.
अध्ययन में कहा गया है कि 'कोविड -19 महामारी ने दुनिया भर में एचआईवी की रोकथाम और उपचार सेवाओं को बाधित कर दिया है, जिससे आवश्यक गतिविधियों की निरंतरता के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा हो गई हैं. हमने एचआईवी (HIV) से पीड़ित लोगों में कोविड -19 की सबसे प्रासंगिक विशेषताओं की समीक्षा की है और उन विषयों पर प्रकाश डाला है जहां आगे के शोध की आवश्यकता है.'
अध्ययन भारत से संदर्भ में महत्वपूर्ण
यह अध्ययन भारतीय संदर्भ में इसलिए महत्व रखता है क्योंकि भारत में एचआईवी का प्रसार लगभग 0.22 प्रतिशत है. एचआईवी और एड्स के साथ रहने वाले लोगों की कुल संख्या 21.40 लाख है. एडस दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी महामारी है.
एचआईवी संक्रमितों को ज्यादा खतरा
एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष ( president of the Asian Society of Emergency Medicine) डॉ. तामोरिश कोले (Dr. Tamorish Kole) का कहना है कि 'शुरुआत में यह सोचा गया था कि एचआईवी संक्रमण कोविड -19 या अधिक गंभीर बीमारी के लिए जोखिम कारक नहीं था, लेकिन हाल के बड़े अध्ययनों से पता चलता है कि सामान्य व्यक्तियों की तुलना में एचआईवी रोग वाले लोग (विशेषकर कम सीडी 4 सेल की संख्या या अनुपचारित एचआईवी संक्रमण के साथ) अधिक गंभीर हो सकते हैं.'
मौत का जोखिम 78 प्रतिशत ज्यादा
पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि एचआईवी रोग वाले लोगों में कोविड -19 संक्रमण का 24 प्रतिशत अधिक जोखिम और एचआईवी के बिना लोगों की तुलना में मृत्यु का 78 प्रतिशत अधिक जोखिम था.
डॉ. कोले ने कहा, 'इस महीने दक्षिण अफ्रीका ने 36 वर्षीय महिला को उन्नत एचआईवी रोग और COVID19 के मामले की सूचना दी. महिला 216 दिनों तक संक्रमित रही, और उसमें वायरस के 30 से अधिक उत्परिवर्तन मिले.'
अफ्रीकी महाद्वीप कम प्रभावित
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी टूल के अनुमानों के अनुसार, अब तक कोविड -19 के 110 मिलियन से अधिक पुष्ट मामले हैं, जिनमें सबसे अधिक प्रभावित देश संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और ब्राजील हैं, इसके बाद यूरोप के कई देश हैं. सबसे ज्यादा मौतें अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको में हुई हैं. दक्षिण अफ्रीका अपवाद के साथ, अफ्रीकी महाद्वीप कम गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है.
38 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे
वर्तमान में दुनिया भर में 38 मिलियन से अधिक लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं, इनमें से अफ्रीका में लगभग 25 मिलियन लोग हैं. हालांकि एचआईवी के साथ रहने वाले 26 मिलियन लोगों को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) प्राप्त करने का अनुमान है, उनमें से अधिकांश एआरटी प्राप्त नहीं कर रहे हैं.
जनसंख्या स्तर पर भी विचार जरूरी
द लैंसेट के अध्ययन में कहा गया है कि 'अभी तक कोविड -19 और एचआईवी महामारी का स्पष्ट भौगोलिक ओवरलैप नहीं हुआ है. ये सौभाग्य की बात है क्योंकि साक्ष्य बताते हैं कि एचआईवी संक्रमितों को ज्यादा खतरा है. वह SARS-CoV-2 से संक्रमित हो जाते हैं, विशेष रूप से उन लोगों में जो इम्यूनोसप्रेस्ड हैं या एआरटी प्राप्त नहीं कर रहे हैं. हालांकि COVID-19 के प्रत्यक्ष नैदानिक प्रभावों पर न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि जनसंख्या स्तर पर भी विचार किया जाना चाहिए.'
2020 में चार लाख से ज्यादा की गई जान
अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि एचआईवी की रोकथाम और उपचार सेवाओं में व्यवधान के कारण 2020 में लगभग चार लाख लोगों से अधिक की मौत एचआईवी और एड्स से हुई.'
आंकड़ों में समझिए कितना खतरनाक
वर्तमान साक्ष्य दिखाते हैं कि एचआईवी से संक्रमित करीब 1.0 प्रतिशत लोग कोरोना के कारण अस्पतालों में भर्ती हैं. जबकि एचआईवी संक्रमितों में SARS-CoV-2 संक्रमण का प्रसार 0·68–1·8 प्रतिशत के बीच है. SARS-CoV-2 का प्रसार सामान्य जनसंख्या में (0·6–0·8 प्रतिशत) पाया गया है.
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अध्ययन के मुताबिक 'एचआईवी और SARS-CoV-2 के बाद के लक्षणों वाले लोगों में 66·5 प्रतिशत में हल्के लक्षण थे. जबकि 21·7 प्रतिशत में गंभीर लक्षण पाए गए. 11·8 प्रतिशत को गंभीर देखभाल की आवश्यकता थी.'