अलीगढ़ : प्रख्यात इतिहासविद् इरफान हबीब ने सरकार की ओर से शहरों के नाम बदलने पर आपत्ति जताई है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में गुरुवार को एक सेमीनार में पहुंचे हबीब ने आरोप लगाया कि नाम बदलने के लिए सरकार झूठ बोल रही है. उन्होंने कहा कि ताजमहल जिस इमारत को तोड़कर बनाया गया, वह राजा मान सिंह की हवेली थी. वहां एक मंदिर भी था. उस मंदिर की तलाश के लिए ताजमहल को तोड़ना होगा.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के नाम बदलने के सवाल पर इरफान हबीब ने अपने तर्क रखे. उन्होंने कहा कि औरंगाबाद को मलिक अंबर ने 1610 में बसाया था. बाद में औरंगजेब के नाम पर इसका नाम औरंगाबाद पड़ा. उन्होंने कहा कि नाम बदलने की आड़ में इतिहास नहीं बनाया जा रहा है बल्कि गलत बयानी की जा रही है. इरफान हबीब ने कहा कि मुगलसराय का नाम क्यों बदला गया. क्या मुगल नाम पसंद नहीं है. मुगलसराय नाम में क्या खराबी थी. पुराने समय में सराय नाम से जानी जाती थी. सिर्फ मुगल नाम गलत लगा, इसलिए इसे बदल दिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में ताजमहल का नाम बदलने को लेकर पहले भी आर्टिकल छापे जाते थे. 60 के दशक में ही ताजमहल को मानसिंह पैलेस नाम बताने का सिलसिला शुरू हुआ था, क्योंकि इसे मानसिंह ने बनाया था. इतिहासविद् इरफान हबीब ने माना कि कि यह सही है कि ताजमहल बनने से पहले उस जगह पर राजा मान सिंह की हवेली थी. यह तथ्य भी फारसी तारीख से पता चलता है. शाहजहां ने बाद में ताजमहल बनवा दिया.
ताजमहल बनाने के लिए शाहजहां ने मान सिंह के पोते जय सिंह को रुपये देने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने हवेली बादशाह को गिफ्ट में दे दी. फिर बाद में शाहजहां ने इसके बदले मानसिंह को एक हवेली तोहफे में दी थी, इसके बाद अलग ही कहानी बना दी गई. मानसिंह जिस मंदिर में पूजा करते थे, वह भी उनकी हवेली में था. इरफान हबीब कहते हैं कि अगर मान सिंह के मंदिर की तलाश करनी है तो अब ताजमहल को तोड़ो.
बता दें कि इरफान हबीब अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. इससे पहले इरफान हबीब काशी ने ज्ञानवापी विवाद को लेकर जो बयान दिया था, उस पर भी विवाद हुआ था. तब हबीब ने कहा था कि औरंगजेब ने काशी, मथुरा के मंदिर तोड़े थे. तो क्या सरकार भी ऐसा करेगी?
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