नई दिल्ली: आरएसएस के संयुक्त सचिव कृष्ण गोपाल ने कहा कि हिंदुत्व समावेशी है क्योंकि यह मानवता को बांटता नहीं है और हजारों वर्षों से इस मौलिक विचार और दर्शन के साथ जीने वाले हिंदू हैं. जबकि जो विभाजित या बहिष्कृत करता है वह हिंदुत्व नहीं है, जो स्वयं की तलाश कर रहे हैं और विभाजनकारी विचार रखते हैं, वे संकीर्ण सोच वाले हैं, उन्होंने 'हिंदुत्व अर्थ भारतीय एकात्मता, मुस्लिम विद्वेश नहीं' नामक पुस्तक का अनावरण करते हुए यह कहा.
गोपाल ने कहा कि भारत उन लोगों की भूमि है जिन्होंने अपने धर्म और राजनीतिक विचारों के बावजूद सभी को गले लगाया है. इस देश में, इस तरह की विभाजनकारी सोच मेरी है और आपकी नहीं है. जो कोई भी इस तरह सोचता है वह संकीर्ण सोच वाला है. धृतराष्ट्र (महाभारत महाकाव्य में दुर्योधन के पिता) के पास यह विचार था और उन्होंने अपना सबक लिया था." पुस्तक के शीर्षक पर विचार करते हुए जिसका अंग्रेजी में अर्थ है 'हिंदुत्व का अर्थ है भारतीय एकजुटता, मुसलमानों के खिलाफ दुश्मनी नहीं', उन्होंने कहा कि हिंदुत्व केवल भारतीय एकजुटता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है क्योंकि देश के लोग इस मौलिक सिद्धांत का पालन करते हैं. दर्शन अपने कर्मों, कार्यों और व्यवहार में दुनिया के कल्याण को रखता है.
उन्होंने कहा, "हिंदुत्व समावेशी है, यह मानवता को विभाजित नहीं करता है. हमारे दुश्मन को भी हमारी दृष्टि और विचारों से बाहर करने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि हम मानते हैं कि हम सबके बिना अधूरे हैं. हिंदू एक परंपरा, विचार और दर्शन है." जो इस देश में हजारों वर्षों से है. आरएसएस नेता ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, न केवल गरीबों और जरूरतमंदों के लिए बल्कि जानवरों और पक्षियों के लिए भी पूरे देश में लोग मदद और भोजन परोसने लगे.
उन्होंने कहा, कि आत्मा में निहित यह संवेदनशीलता और भावनाएं हजारों सालों से जारी हैं. लोगों के अलग-अलग धार्मिक और राजनीतिक विचार हो सकते हैं. कोई बात नहीं. वे सभी हम में से एक हैं, ऐसा हम सोचते हैं. भारत उस देश का नाम है जो सभी को, सभी धर्मों को साथ लेकर चल सकता है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत के विभाजन के साथ लोगों की पहचान और उनकी प्रतिबद्धता बदल गई है.
कुमार ने कहा कि डीएनए टेस्ट हमें हमारे पूर्वजों के बारे में बता सकता है लेकिन यह हमारा देश है जो हमें पहचान देता है. इसलिए, जाति और धर्म के आधार पर कोई विभाजन नहीं होना चाहिए. हमारा डीएनए वही था और हमेशा रहेगा. साथ ही लोगों से नेशन फर्स्ट अप्रोच के साथ काम करने और जीने की अपील की. लोग अपने धर्म और धार्मिक प्रथाओं का पालन करे परंतु दूसरों के धर्मों की आलोचना न करें. धर्म परिवर्तन नहीं होना चाहिए. उन्होंने सामाजिक सद्भाव और शांति का आह्वान करते हुए कहा कि अगर देश में आपसी समझ और सांप्रदायिक सद्भाव है तो कोई भी हमें एक-दूसरे के खिलाफ नहीं खड़ा कर सकता है.
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पीटीआई