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Bihar News: पिछले 8 साल से बिहार का हिंदू युवक अमरदीप रखता है रोजा, बोला- 'हर धर्म में मेरी आस्था' - Hindu keeps fasting in Ramadan

इन दिनों पवित्र रमजान का महीना चल रहा है. इस रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय रोजा रखते हैं. वहीं बिहार के गया का एक हिंदू युवक भी पिछले 8 सालों से रोजा रखता आ रहा है. सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बने इस युवक की चर्चा आज हर किसी के जुबान पर है. आखिर क्यों एक हिंदू युवक पूरी अकीदत के साथ रोजा रखता है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर..

Hindu youth fasting in Ramadan for eight years
Hindu youth fasting in Ramadan for eight years
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Published : Apr 13, 2023, 1:17 PM IST

गया: हिंदू समुदाय के युवक अमरदीप कुमार सिन्हा भी रोजा रखते हैं, इफ्तार पार्टी भी करते हैं और शब-ए-कदर की रात जगते भी हैं. अमरदीप बताते हैं कि वह संकट में था तो अपने मुस्लिम दोस्त की सलाह पर उसने 8 साल पहले रोजा रखा था. उसका परिवार बीमारी व अन्य कारणों से कष्ट में थे. रोजा रखा तो मन्नत पूरी हुई. इसके बाद से उसने नियम पूर्वक रोजा रखना शुरू कर दिया और 8 साल से इस परंपरा को निभा रहा है. अमरदीप कुमार सिन्हा गया शहर के बंगलास्थान मोहल्ले के रहने वाला हैं.

पढ़ें- Ramadan 2023: रमजान को लेकर सजा बाजार, सऊदी अरब की मिस्वाक और इराकी खजूर की मांग

गया का हिंदू युवक रखता है रोजा:अमरदीप सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं. वह हर धर्म का सम्मान करते हैं. सभी धर्मों को एक नजर से देखते हैं. नवरात्रि के दिनों में पूरी आस्था से मां दुर्गा की पूजा करते हैं. वहीं रमजान में रोजा रखते हैं, इस दौरान तमाम नियमों का पालन करते हैं.अमरदीप कुमार सिन्हा ने कहा कि मेरी हर धर्म में आस्था है. ऐसे कई मुस्लिम परिवार भी हैं, जो हिंदू से जुड़े त्योहारों का हिस्सा बनते हैं, तो ऐसे में हम रोजा क्यों नहीं रख सकते हैं. अमरदीप कहते हैं कि वैसे रोजा हमारी आस्था से पूरी तरह से जुड़ गया है. अमरजीत कुमार सिन्हा बताते हैं, कि वह पूरे नियमों के साथ रोजा रखते हैं.

"परिवार संकट में थे. ऐसे संकट के समय रोजा रखा था जो अल्लाह ने उसे कुबूल किया था और मेरी मन्नत पूरी हुई थी. तब से पिछले 8 सालों से लगातार रोजा रख रहे हैं. रोजा के हर नियमों का विधिपूर्वक पालन करते हैं. जंकात और फितरा भी करते हैं. आज शब-ए-कदर की रात है, तो जगते भी हैं. मुस्लिम दोस्तों के और हिंदू दोस्तों के साथ इफ्तार पार्टी भी रखते हैं."- अमरदीप कुमार सिन्हा, रोजेदार

पूरे समाज को दिया बड़ा संदेश: एक तरफ लोग धर्म के नाम पर हिंसा करते हैं. बिहार में रामनवमी के बाद हुई हिंसा उसी की तस्दीक करता है. वहीं अमरदीप जैसे युवक सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख तो देते ही हैं साथ ही आपसी भाईचारे को बढ़ाने और बरकरार रखने का संदेश भी देते हैं. वाकई अमरदीप ने पूरे समाज के सामने मिसाल पेश की है, इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है.

गया: हिंदू समुदाय के युवक अमरदीप कुमार सिन्हा भी रोजा रखते हैं, इफ्तार पार्टी भी करते हैं और शब-ए-कदर की रात जगते भी हैं. अमरदीप बताते हैं कि वह संकट में था तो अपने मुस्लिम दोस्त की सलाह पर उसने 8 साल पहले रोजा रखा था. उसका परिवार बीमारी व अन्य कारणों से कष्ट में थे. रोजा रखा तो मन्नत पूरी हुई. इसके बाद से उसने नियम पूर्वक रोजा रखना शुरू कर दिया और 8 साल से इस परंपरा को निभा रहा है. अमरदीप कुमार सिन्हा गया शहर के बंगलास्थान मोहल्ले के रहने वाला हैं.

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गया का हिंदू युवक रखता है रोजा:अमरदीप सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं. वह हर धर्म का सम्मान करते हैं. सभी धर्मों को एक नजर से देखते हैं. नवरात्रि के दिनों में पूरी आस्था से मां दुर्गा की पूजा करते हैं. वहीं रमजान में रोजा रखते हैं, इस दौरान तमाम नियमों का पालन करते हैं.अमरदीप कुमार सिन्हा ने कहा कि मेरी हर धर्म में आस्था है. ऐसे कई मुस्लिम परिवार भी हैं, जो हिंदू से जुड़े त्योहारों का हिस्सा बनते हैं, तो ऐसे में हम रोजा क्यों नहीं रख सकते हैं. अमरदीप कहते हैं कि वैसे रोजा हमारी आस्था से पूरी तरह से जुड़ गया है. अमरजीत कुमार सिन्हा बताते हैं, कि वह पूरे नियमों के साथ रोजा रखते हैं.

"परिवार संकट में थे. ऐसे संकट के समय रोजा रखा था जो अल्लाह ने उसे कुबूल किया था और मेरी मन्नत पूरी हुई थी. तब से पिछले 8 सालों से लगातार रोजा रख रहे हैं. रोजा के हर नियमों का विधिपूर्वक पालन करते हैं. जंकात और फितरा भी करते हैं. आज शब-ए-कदर की रात है, तो जगते भी हैं. मुस्लिम दोस्तों के और हिंदू दोस्तों के साथ इफ्तार पार्टी भी रखते हैं."- अमरदीप कुमार सिन्हा, रोजेदार

पूरे समाज को दिया बड़ा संदेश: एक तरफ लोग धर्म के नाम पर हिंसा करते हैं. बिहार में रामनवमी के बाद हुई हिंसा उसी की तस्दीक करता है. वहीं अमरदीप जैसे युवक सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख तो देते ही हैं साथ ही आपसी भाईचारे को बढ़ाने और बरकरार रखने का संदेश भी देते हैं. वाकई अमरदीप ने पूरे समाज के सामने मिसाल पेश की है, इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है.

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