गुवाहाटी : असम के सबसे चर्चित राजनेता हिमंत बिस्वा सरमा नहीं चाहते हैं कि उनके बेटे राजनीति के क्षेत्र में आएं. सरमा ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के मंत्रिमंडल में वित्त, स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी आदि विभागों को संभाला है. इसके बावजूद वह नहीं चाहते कि उनके बेटे नंदिल बिस्वा सरमा राजनीति के क्षेत्र में कदम रखे. सरमा ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए यह बात कही.
सरमा ने 2016 में असम में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके अलावा उन्होंने मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा आदि जैसे अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भगवा पार्टी की पकड़ को मजबूत करने में अहम किरदार निभाया है.
नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) के संयोजक ने कहा, 'हालांकि वह अपने बेटे द्वारा चुने गए विकल्प में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन एक पिता होने के नाते वह अपने बेटे को दूसरे क्षेत्र में देखना चाहते हैं.
भाजपा नेता का यह बयान उस समय आया है, जब वह नगांव में महा मृत्युंजय मंदिर का दौरा पर हैं.
हालांकि सरमा द्वारा दिए गए बयान से सवाल उठता है कि आखिर उनके जैसा शक्तिशाली मंत्री अपने बेटे को राजनीति के क्षेत्र में देखने की इच्छा क्यों नहीं रखता.
गौरतलब है कि डॉ सरमा ने स्पष्ट कर दिया है कि ये सभी पूरी तरह से उनके बेटे की पसंद पर निर्भर करेगा और वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
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सरमा ने अपने बयान के पीछे का कारण बताते हुए कहा, 'राजनीति करना चुनौतियों से भरा है और मुझे नहीं लगता कि वे उन चुनौतियों को संभाल पाएंगे, जिनका समाना मैने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान किया.
उन्होंने कहा, 'वह काफी सालों से हॉस्टल था. अब वह पिछले दो-तीन महीनों से घर में है. वर्तमान में वह कानून की पढ़ाई के लिए तैयारी कर रहा है और हो सकता है कि वह भविष्य में कानून की पढ़ाई करें.