हमीरपुर: सरकारी स्कूल का नाम लेते ही सबसे पहले सबके जहन में टूटी बिल्डिंग, शिक्षकों की कमी, दो-चार कमरों में सैंकड़ों छात्र और गुणवत्ता विहीन शिक्षा की छवि दिमाग में आती है. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो हिमाचल प्रदेश के कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जो आपकी सोच को गलत साबित कर देंगे. इन स्कूलों में छात्रों को न सिर्फ प्राइवेट स्कूल से अच्छी शिक्षा मिल रही है, बल्कि यहां के विद्यार्थी रोबोट बनाना भी सीख रहे हैं. साथ ही आने वाले युग की मांग को देखते हुए यहां के छात्र-छात्राओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बारीकी भी सिखाई जा रही है.
सरकारी स्कूलों में रोबोट बनाना सीख रहे विद्यार्थी: हिमाचल में सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी रोबोट बनाना सीख रहे हैं. प्रथम चरण में प्रदेश के चार जिलों में 100 स्कूलों में यह पढ़ाई शुरू की गई है. प्रदेश के चार जिले कांगड़ा, मंडी, शिमला और हमीरपुर में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर 100 स्कूलों में यह लैब स्थापित की गई है. इन स्कूलों में विज्ञान विषय के अध्यापकों को बाकायदा रोबोटिक लैब में उपलब्ध उपकरणों को संचालित करने का प्रशिक्षण भी दिया गया है. इसके लिए बाकायदा लगभग 4 करोड़ की लागत से 100 रोबोटिक लैब स्थापित की गई है. इन लैब में विद्यार्थी रोबोट बनाना और इसे संचालित करना सीख रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई तकनीक पर आधारित यह लैब स्कूली विद्यार्थियों को साइंस को समझने के लिए और अधिक सरल साबित हो रही है.
हिमाचल के सरकारी स्कूलों में रोबोटिक लैब को स्थापित: नेट इंडिया नाम की कंपनी स्कूलों में रोबोटिक लैब को स्थापित कर रही है. यह कंपनी एक साल तक इन लैब का देखभाल भी करेगी. यानी रोबोट में किसी भी तरह की दिक्कत या खराबी आने पर इसकी मरम्मत भी कंपनी ही करेगी. सरकारी स्कूलों में अत्यधिक लैब स्थापित होने से विद्यार्थियों को भी विज्ञान को समझने में और अधिक आसानी हो रही है. खेल-खेल में विद्यार्थी रोबोट बनाना और इसे संचालित करना सीख रहे हैं.
रोबोट बनाना, प्रोग्रामिंग और सेंसर तकनीक सीख रहे विद्यार्थी: रोबोटिक्स लैब में विद्यार्थी रोबोट बनाना इसे संचालित करना प्रोग्रामिंग और सेंसर तकनीक भी सीख रहे हैं. प्रशिक्षित शिक्षक विद्यार्थियों को यह प्रशिक्षण दे रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल रोबोट के निर्माण में कितना महत्वपूर्ण है, यह भी प्रैक्टिकल के जरिए विद्यार्थियों को समझाया जा रहा है. रोबोटिक लैब के साथ ही विद्यार्थियों को एक पोर्टल भी उपलब्ध करवाया जाएगा, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेंसर तकनीक से जुड़े तमाम सवालों का जवाब मिलेगा.
हर दिन लग रही रोबोटिक्स लैब में छात्रों की कक्षाएं: हमीरपुर जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ताल में हर दिन रोबोटिक्स लैब में विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है. छठी से लेकर 12वीं कक्षा तक विद्यार्थी टाइम टेबल के मुताबिक लैब में पढ़ाई करने आते हैं. हर दिन अलग कक्षा के विद्यार्थियों को लैब में पढ़ाई करने का मौका मिलता है. लैब में फिलहाल बच्चे ड्रोन उड़ना, रोबोटिक टैंक्स बनाना और चलाना सीख रहे हैं. इसके अलावा सेंसर तकनीक को लेकर भी विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. लैब में 3D प्रिंटर उपकरण भी उपलब्ध करवाए गए हैं. हालांकि 3D प्रिंटर को संचालित करने के लिए शिक्षकों को द्वितीय चरण की ट्रेनिंग दिया जाना बाकी है.
रोबोटिक लैब में प्रैक्टिकल से समझने में आसानी: छात्र अपूर्वा, दीक्षा और तुषार और आकांक्षा का कहना है कि वह लैब में पिछले दो माह से पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें लैब में रोबोट बनाना और इन्हें संचालित करना बेहद पसंद है. रोबोटिक लैब में अधिक स्पष्टता से वह विषय को समझ पाते हैं. सरल तरीके से शिक्षक उन्हें समझाते हैं और वह प्रैक्टिकल करते हुए हर बारीकी को समझ रहे हैं. किताब में पढ़ने के मुकाबले लैब में अपने हाथों से प्रयोग करने पर उन्हें अधिक समझ आ रहा है.
विद्यार्थी को रहता रोबोटिक लैब में पढ़ाई का इंतजार: स्कूल के साइंस टीचर अजय चंदेल का कहना है कि विद्यार्थी रोबोटिक लैब में पढ़ाई का इंतजार करते हैं. हर दिन अलग-अलग कक्षा के विद्यार्थियों को समय सारणी के मुताबिक लैब में पढ़ाया जाता है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को फिलहाल रोबोट प्रोग्रामिंग और इसके संचालन पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जल्द ही 3D प्रिंटर के विषय पर भी विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दौर में मॉडर्न साइंस समझना जरूरी: स्कूल के प्रधानाचार्य सुभाष चंद का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में यह पढ़ाई बेहद जरूरी है. स्कूली स्तर पर विद्यार्थी इस तकनीक से रूबरू हो रहे हैं. इंडस्ट्री में रोबोट के डिमांड पिछले कुछ समय में दोगुना हो गई है. अधिकतर कार्य इंडस्ट्री में अब रोबोट के जरिए लिए जा रहे हैं. किस तरह से मशीनों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से संचालित करना है. इसका विद्यार्थियों को ज्ञान होना जरूरी है. रोबोटिक्स लैब के स्थापित होने से विद्यार्थियों को विज्ञान को समझने में अधिक आसानी हो रही है. मॉडर्न साइंस में प्रतिस्पर्धा का दौर है. ऐसे में इस तकनीक से रूबरू होकर विद्यार्थी आने वाले समय में अपना उज्जवल भविष्य बना सकते हैं.
रोबोटिक लैब मील का पत्थर साबित होगा: उच्च शिक्षा उपनिदेशक हमीरपुर अनिल कौशल का कहना है कि विद्यार्थियों को मॉडर्न साइंस के संभावनाओं से रूबरू करवाने के लिए यह लैब मील का पत्थर साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कैरियर बनाकर अपना भविष्य संवार सकते हैं. ऐसे में यह लैब बच्चों के करियर को दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है.