आपके कंधों पर कांग्रेस को राज्य में पुनर्जीवित करने की बड़ी जवाबदेही है, आप किसे मुख्य प्रतिद्ंवद्वी मानती हैं ?
देखिए यहां पर हमारी पार्टी का सीधा मुकाबला भाजपा से है. आम आदमी पार्टी अभी जगह बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन जमीन पर वह कहीं नहीं है. लोग भाजपा से नाराज हैं. वे बदलाव चाहते हैं. उन्होंने कई वादे किए थे, लेकिन उसे पूरा नहीं किया. युवाओं के लिए नौकरी नहीं है. महंगाई से लोग परेशान हैं. चारों ओर कहीं भी आपको विकास दिखाई नहीं देगा. कांग्रेस के शासनकाल से तुलना करेंगे, तो आप इसे महसूस करेंगे. हमें जनता को इसके बारे में याद दिलाना है.
हिमाचल कांग्रेस में आंतरिक विरोध है. इससे कैसे निपटेंगी ?
मैं इसे नहीं मानती हूं. राज्य इकाई में कोई भी आंतरिक मतभेद नहीं है. हां, कुछ नेताओं के बीच कुछ मुद्दे थे, लेकिन हम सबों ने आपस में बैठकर उसे सुलझा लिया है.
लेकिन यहां पर त्रि-मूर्ति की बात की जा रही है. इनमें कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री, प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखवीर सिंह सुक्खू और आपका नाम आता है ?
मैं सबको साथ लेकर चलने की कोशिश कर रही हूं. हम इस चुनाव में मिलकर लड़ रहे हैं. हमारा उद्देश्य पार्टी को फिर से सत्ता में लौटाना है.
आप पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की धरोहर का प्रतिनिधित्व करती हैं. यह कितना आपके लिए लाभदायक है ?
यह तो बहुत बड़ा फायदा है. लोग अभी भी विश्वास करते हैं कि वीरभद्र जी जिंदा हैं. वह लोगों के दिलों और दिमाग में बसे हुए हैं. हमें उनके बारे में लोगों को याद दिलाने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने जो कुछ किया है, जनता को याद है. हमारी नई टीम ने पार्टी कार्यकर्ताओं को पुनर्जीवित किया है. वे अब जीत की राह सुनिश्चित करेंगे. अगर वीरभद्र जी जिंदा होते, तो जाहिर है यह काम आसान हो जाता. वो सबको साथ लेकर चलते थे. उनके बाद अब हम उनकी जवाबदेही को निभा रहे हैं.
हिमाचल के पड़ोसी राज्य पंजाब में आप की जीत हुई है, अब आप इसका फायदा हिमाचल में उठाना चाहती है. आप इसे किस तरह से देखती हैं ?
यह उनका आकलन हो सकता है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. दोनों राज्यों की परिस्थितियां अलग-अलग हैं. पहले तो देखिए कि आप पंजाब में पिछले आठ सालों से काम कर रही है. इसके अलावा भी कई मुद्दे हैं. इसका उन्हें फायदा मिला. लेकिन हिमाचल में तो उनका प्रतिनिधित्व करने वाला ही कोई नहीं है. मंडी में केजरीवाल की रैली फीकी रही. वो जो दावे कर रहे हैं, वह हकीकत से कोसों दूर हैं. न तो कांग्रेस और न ही भाजपा के नेताओं ने आप ज्वाइन की है, जैसा कि वे बार-बार दावा कर रहे थे.
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद आपका निष्कर्ष क्या है ?
हमने उदयपुर घोषणा को लागू करने पर विस्तार से चर्चा की.
क्या समय से पहले टिकट देने की घोषणा हो सकती है, या फिर प्रचार को लेकर कोई निर्णय ?
हमें इन मुद्दों पर अभी बात करनी बाकी है. हम जल्द ही इसके लिए सबकी सलाह लेंगे. उसके बाद आपको भी बताएंगे.