शिमला: इस बार मानसून ने हिमाचल प्रदेश में जमकर कहर बरपाया है. बाढ़, भारी बारिश और लैंडस्लाइड से प्रदेश को करीब ₹8000 करोड़ का नुकसान हुआ है. जबकि 330 लोगों की आपदा में जान चली गई. ऐसे में हिमाचल में जनजीवन को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार केंद्र से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रही है, लेकिन केंद्र की ओर से अभी तक इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया गया है. वहीं, राज्य में मची तबाही को देखते हुए सुक्खू सरकार ने इसे राज्य आपदा घोषित करने का फैसला किया है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा इस संबंध में अधिसूचना जारी की जायेगी. उन्होंने कहा केंद्र सरकार की ओर से हम हिमाचल में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का इंतजार कर रहे हैं. प्रदेश में राहत एवं बचाव अभियान लगातार जारी है. राज्य सरकार प्रभावितों को अपने संसाधनों से हरसंभव मदद करने की कोशिश में जुटी है. खासकर उन लोगों को सरकार विशेष रूप से मदद कर रही है, जो आपदा में बेघर हुए हैं. सुक्खू ने कहा पिछले दिनों केंद्रीय टीम ने हिमाचल आपदा में हुए नुकसान का आकलन करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया था. हमें केंद्र से वक्त पर सहायता की जरूरत है. इस आपदा में राज्य को करीब 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
पहाड़ी राज्य में बादल फटने और भारी बारिश से लैंडस्लाइड के मामले सामने आ रहे हैं. जिससे शिमला सहित कई जिलों में भूस्खलन हुआ है. शिमला के समरहिल स्थित शिव बाड़ी मंदिर ढहने से मलबे से एक साथ कई लोग दब गए. अब तक 15 शव बरामद हुए है. वहीं, कई लोग अभी भी लापता है. बीते एक सप्ताह में भारी बारिश से मरने वालों की संख्या 75 हो गई है. इनमें से अकेले 22 लोगों की मौत शिमला जिले में हुई है. शिमला के समरहिल शिव मंदिर, फागली और कृष्णानगर में हुए लैंडस्लाइड में 22 लोगों की जान जा चुकी है. अभी भी शिव मंदिर के मलबे में करीब 6 लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है.