शिमला: हिमाचल में भांग की खेती को वैध बनाने के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट आज विधानसभा के सदन में रखी गई. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में इसकी रिपोर्ट रखी. सरकार ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अगुवाई में इसको लेकर एक कमेटी गठित की थी, जिसने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर का दौरा किया, जहां पर भांग की खेती की जा रही है. कमेटी के मुताबिक हिमाचल में औद्योगिक और औषधीय इस्तेमाल के लिए भांग की नियंत्रित खेती की जा सकती है.
भांग की खेती करने वाला पहला राज्य उत्तराखंड: कमेटी के अध्यक्ष जगत सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है, जिसने भांग की खेती की है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में यह पौधा सभी जिलों में उगता है, मौजूदा समय में नशीली दवाओं के संभावित उपयोग के कारण विभिन्न एजेंसियों द्वारा इस पौधे को नष्ट किया जा रहा है. हालांकि औद्योगिक भांग की खेती पर्यावरण के लिए खतरनाक नहीं है, क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा कम है. यही नहीं इस पौधे को आवारा पशु, जंगली जानवर भी नष्ट नहीं कर सकते.
भांग से बनी दवा कई बीमारियों में कारगर साबित: औद्योगिक भांग के पौधे को बड़े स्तर पर हिमाचल में उगाया जा सकता है. उन्होंने कहा इसके बीज, पत्तियों का इस्तेमाल कई चीजों में किया जा सकता है. यही नहीं इस पौधे का सीबीडी कैंसर, मिर्गी, पुराने दर्द में भी प्रभावी है. राज्य इस पर अनुसंधान कर सकता है. सरकार कानूनी गतिविधियों को बढावा इसके गैर कानूनी इस्तेमाल को रोक सकती है. भांग की खेती से प्रदेश की ग्रामीण आर्थिकी को बढावा मिलेगा और इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
'एनडीपीएस में एक्ट में बदलाव की जरुरत': जगत सिंह नेगी ने कहा एनडीपीएस एक्ट की धारा 10 के तहत औषधीय और दवाइयों में भांग पौधे की खेती की जा सकती है. इसके लिए एनडीपीएस में एक्ट में बदलाव किया जा सकता है. यही नहीं हिमाचल में भांग के पौधों की खेती के लिए एसओपी बनाई जा सकती है. भांग की खेती के लिए कृषि विभाग और बागवानी विभाग की मदद से बीज बैंक स्थापित किए जा सकते हैं, जिसके लिए बागवानी विश्वविद्यालय नौणी व कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की सेवाएं ली जा सकती है.
प्रदेश के लोगों ने भांग की खेती का किया समर्थन: जगत सिंह नेगी ने कहा कि कमेटी ने हिमाचल के तकरीबन सभी जिलों का दौरा किया है. कमेटी ने इन जिलों में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ इसको लेकर गहन विचार विमर्श किया है. प्रदेश के सभी लोगों ने औषधीय और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए भांग की खेती का समर्थन किया है. लोगों में अब इसको लेकर किसी भी तरह की आशंका नहीं है.
'हिमाचल में भांग की खेती की ओर बढ़ना चाहिए': उन्होंने कहा कि औद्योगिक इस्तेमाल होने वाली भांग में नशे की मात्रा न के बराबर है. उन्होंने कहा हिमाचल में भांग की खेती की ओर आगे बढ़ना चाहिए. जिस तरह से अफीम की खेती के लिए केंद्र सरकार लाइसेंस देती है उसी तरह से हिमाचल में भी सर्विलेंस और क्लोज एनवायरमेंट में इसकी खेती हो सकती है. उन्होंने कहा कि कमेटी ने सिफारिश की है कि उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू भी आगे हैं, ऐसे में हिमाचल को भांग की खेती की ओर आगे बढ़ना चाहिए.
हिमाचल में भांग की खेती को वैध बनाने की मांग: उल्लेखनीय है कि बजट सत्र में हिमाचल में भांग की खेती का मामला उठा था. सदस्यों ने हिमाचल में भांग की खेती को वैध बनाने की मांग की थी. इसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी, जिसमें सता पक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्य शामिल हैं. कमेटी ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू का दौरा किया है, जहां भांग की खेती की जा रही है. कमेटी ने प्रदेश में भी कई जगह दौरा किया और पंचायती राज संस्थाओं के लोगों से इस बारे में बात की है. इसके बाद कमेटी ने यह रिपोर्ट तैयार की है.
भांग की खेती का आर्थिक और कानूनी पहलू: हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को होने से शुरुआत में प्रदेश को सालाना 400 से 500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है. जो समय के साथ और बढ़ने की उम्मीद है. भांग की खेती को अनुमति देने के लिए नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोटोपिक सबस्टेंस (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 की धारा 10 और 14 के तहत प्रदेश को शक्तियां प्रदान की गई है. एनडीपीएस एक्ट की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को शक्तियां दी गई है कि किसी भी भाग में भांग की खेती, उत्पादन, निर्माण, परिवहन और खरीद-बिक्री के लिए एचपी एनडीपीएस नियम 189 में संसोधन किया जाएगा.
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