शिमला: हिमाचल प्रदेश में सेब की सबसे बड़ी खरीददार कंपनी अडानी एग्रोफ्रेश ने मंडियों से सेब खरीदना शुरू कर दिया है. अडानी एग्रोफ्रेश सीए स्टोर के पास की लोकल मंडियों में बोली लगाकर सेब खरीद रही है. यह पहली दफा है कि अडानी की कंपनी खुली मार्केट से सेब खरीद रही है. अभी तक अडानी की कंपनी सीए स्टोर में ही सेब बागवानों से सेब लेती थी, लेकिन इस बार सेब की फसल कम होने के कारण अडानी की कंपनी को मजबूरन मंडियों से ही सेब की खरीद करनी पड़ रही है.
मंडियों से अडानी कंपनी खरीद रही सेब: हिमाचल प्रदेश में सीए स्टोर चलाने वाली सबसे बड़ी अडानी एग्रोफ्रेश ने रामपुर, सैंज और रोहड़ू में अपने सीए स्टोर की लोकल मंडियों से सेब खरीदने शुरू कर दिए हैं. कंपनी के कर्मचारी मंडियों में लग रही बोलियों में शामिल हो रहे हैं और सेब की खरीद कर सीए स्टोर पहुंचा रहे हैं. हालाकि कंपनी सीए स्टोर के साथ की मंडियों से ही सेब खरीद रही है. क्योंकि दूर मंडियों से सीए स्टोर तक सेब पहुंचाने में कंपनी को ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. इसलिए कंपनी ने लोकल मंडियों पर ही फोकस कर दिया है. कंपनी के प्रतिनिधि बाहर से आने वाले खरीदारों यानी लदानियों की तरह बोलियों में शामिल हो रहे हैं. मार्केट में खुली बोलियां लगाकर कंपनी सेब की खरीदा जा रहा है.
अडानी कंपनी ने खरीदी 4500 मीट्रिक टन सेब: अडानी एग्रोफ्रेश के सीए स्टोर खाली पड़े हुए हैं. कंपनी के तीन स्टोरों की कुल कैपिसटी 25 हजार मीट्रिक टन की है, मगर अडानी के सीए स्टोर तक सेब कम पहुंच रहा है. ऐसे में कंपनी को खुली बोलियों से मंडियों से सेब खरीदना पड़ रहा है. कंपनी ने अभी तक 4500 मिट्रिक टन सेब सीए स्टोर के लिए खरीदा है. इस तरह अभी भी 20 हजार मीट्रिक टन सेब की जरूरत सीए स्टोर भरने के लिए है. यह तब है जबकि निचले इलाकों सेब सीजन पूरी तरह के खत्म हो चुका है और अधिकांश मध्यम इलाकों में भी सेब सीजन खत्म होने की कगार पर है. अब केवल ऊंचाई वाले इलाकों में ही सेब रह गया है.
अडानी एग्रोफ्रेश ने 110 रुपए किलो तय किए रेट: अडानी एग्रोफ्रेश ने अपने सीए स्टोर में सेब खरीदने के लिए 110 रुपए किलो के हिसाब से प्रिमियम (यानी बेहतर क्वालिटी) के सेब के रेट तय किए हैं. हालांकि, बाजार में इससे अधिक रेट बागवानों को मिल रहे हैं. यही वजह है कि बागवान अबकी बार सीए स्टोर नहीं जा रहे. हालांकि, कंपनी ने इस बार सेब की क्वालिटी से भी कुछ कंप्रोमाइज किया है, जिसमें हल्की रस्टिंग वाला सेब और कलर में कमी वाले सेब को भी खरीदने की बात कंपनी कर रही है.
इस बार मंडियों में भी किलो के हिसाब से बिक रहा सेब: प्रदेश की मंडियों में भी सरकार ने इस बार किलो के हिसाब से सेब खरीदने की व्यव्स्था शुरू की है. हालांकि इससे पहले तक मंडियों में पेटियों के हिसाब से ही सेब की खरीद की जाती थी, लेकिन इस बार मंडियों में भी किलो के हिसाब से बागवानों के सेब के रेट मिल रहे हैं. जबकि इससे पहले अडानी एग्रोफ्रेश और अन्य कंपनियां ही किलो के हिसाब सेब की खरीद करती थीं. यह भी एक वजह है कि मार्केट में इस बार बागवानों को किलो के हिसाब से सेब के बेहतर दाम मिल रहे हैं जिससे बागवानों का प्राफिट भी बढ़ा है.
पहले अडानी की कंपनी के बाहर लगती थी लाइनें: प्रदेश में अडानी की एग्रोफ्रश और अन्य सीए कंपनियों की सीए स्टोर के बाहर लाइनें लगी रहती थीं. यह इसलिए भी था क्योंकि यहां मंडियों से ज्यादा रेट बागवानों को मिलता था, वहीं सेब की पेटियों को भरने का खर्च भी बागवानों का बच जाता था. यही वजह है कि बागवानों में इन कंपनियों के सीए स्टोर के लिए होड़ लगी रहती थी. सीए स्टोर के बाहर लाइनें लगी रहती थीं. भारी संख्या में बागवानों के आने की वजह से पिछली बार तो कंपनी ने कई बार अपने स्टोर बीच बीच में बंद किए. लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल विपरीत है. सीए स्टोर में किसान कम ही जा रहे हैं और अधिकतर सेब मंडियों में ही बिक रहा है. ऐसे में अडानी की कंपनी ने भी मंडियों से खुली बोलियों से सेब खरीदना शुरू कर दिया है.
कंपनी मंडियों में खुली बोली से खरीद रही है सेब: अडानी एग्रोफ्रेश के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी खुली बोली के माध्यम से मंडियों से सेब खरीद रही है. इस बार सेब कम होने की वजह से यह फैसला लिया गया है. हालांकि, प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी के दाम मंडियों से बेहतर हैं और कंपनी किसानों को क्रेट भी सेब लाने के लिए उपलब्ध करवा रही है. इसके अलावा कई अन्य सुविधाएं भी कंपनी किसानों को देती रही है.
बात दें कि इस बार मौसम के साथ नहीं देने से हिमाचल में सेब का उत्पादन कम हुआ है. वहीं, सेब सीजन की शुरुआत में अडानी कंपनी ने सेब के दाम मार्केट रेट से कम तय किए थे, जिसका बागवानों ने विरोध किया था. जिसके बाद अडानी एग्रोफ्रेश सीए स्टोर में सेब की कीमत 10 रुपये प्रति किलो तक बढ़ाया गया था. उसके बावजूद भी सीए स्टोर में सेब नहीं पहुंच रही थी. ऐसे में सेब की अच्छी क्वालिटी और सीए स्टोर को भरने के लिए अडानी कंपनी ओपन मार्केट का रुख कर रही है.