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Hijab case: जज को धमकाने वाले आरोपियों को सशर्त जमानत - कर्नाटक के स्‍कूलों में हिजाब बैन

कर्नाटक के स्‍कूलों में हिजाब बैन (Hijab Ban in School) का फैसला सुनाने वाले जजों को धमकी मिली थी. मामले में गिरफ्तार आरोपियों को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है.

Hijab case
हाईकोर्ट
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Published : Oct 25, 2022, 10:59 PM IST

बेंगलुरु: हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के दो आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी है, जिन्होंने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देने वाली कर्नाटक उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ के न्यायाधीशों को धमकाया था.

इस संबंध में रहमतुल्लाह और जमाल मोहम्मद उस्मानी के आवेदन पर न्यायाधीश के ए सोमशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने याचिकाकर्ता रहमतुल्लाह और जमाल मोहम्मद उस्मानी को व्यक्तिगत रूप से एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर सशर्त जमानत दी है. शर्तों के मुताबिक अभियुक्त को मुकदमे के सभी दिनों में अदालत में उपस्थित होना होगा. जांच में सहयोग करना होगा. किसी भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने या सबूत नष्ट करने पर जमानत रद होगी.

15 मार्च को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित और जेएम काज़ी की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला दिया था कि मुस्लिम छात्राएं स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब नहीं पहन सकतीं.

फैसले का कई धार्मिक संगठनों ने विरोध किया था. इस बीच, तमिलनाडु तौहीद जमात (टीएनटीजे) ऑडिटिंग कमेटी के सदस्य रहमतुल्लाह ने कहा था कि जिस जज ने फैसला सुनाया है, उसे उसी तरह मार दिया जाना चाहिए जैसे झारखंड में जज उत्तम आनंद की हत्या कर दी गई थी. ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जमाल मोहम्मद उस्मानी को तंजापुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

पढ़ें- Hijab controversy : क्या है हिजाब विवाद, संक्षेप में समझें

बेंगलुरु: हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के दो आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी है, जिन्होंने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देने वाली कर्नाटक उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ के न्यायाधीशों को धमकाया था.

इस संबंध में रहमतुल्लाह और जमाल मोहम्मद उस्मानी के आवेदन पर न्यायाधीश के ए सोमशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने याचिकाकर्ता रहमतुल्लाह और जमाल मोहम्मद उस्मानी को व्यक्तिगत रूप से एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर सशर्त जमानत दी है. शर्तों के मुताबिक अभियुक्त को मुकदमे के सभी दिनों में अदालत में उपस्थित होना होगा. जांच में सहयोग करना होगा. किसी भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने या सबूत नष्ट करने पर जमानत रद होगी.

15 मार्च को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित और जेएम काज़ी की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला दिया था कि मुस्लिम छात्राएं स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब नहीं पहन सकतीं.

फैसले का कई धार्मिक संगठनों ने विरोध किया था. इस बीच, तमिलनाडु तौहीद जमात (टीएनटीजे) ऑडिटिंग कमेटी के सदस्य रहमतुल्लाह ने कहा था कि जिस जज ने फैसला सुनाया है, उसे उसी तरह मार दिया जाना चाहिए जैसे झारखंड में जज उत्तम आनंद की हत्या कर दी गई थी. ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जमाल मोहम्मद उस्मानी को तंजापुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

पढ़ें- Hijab controversy : क्या है हिजाब विवाद, संक्षेप में समझें

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