वाशिंगटन: आईएमएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत में मुद्रास्फीति बढ़ी है. इसके लिए मौद्रिक सख्ती और विकास क्षमता में सुधार के लिए संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करने की आवश्यकता है. आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग के कार्यवाहक निदेशक ऐनी-मैरी गुल्डे-वुल्फ ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.2 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है, जबकि 9 प्रतिशत अनुमानित थी अर्थात बजट अनुमान से 0.8 प्रतिशत की कमी की संभावना है.
आईएमएफ के कार्यवाहक निदेशक ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि "भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती के बावजूद यह एक महत्वपूर्ण गिरावट है. हम वास्तव में दुनिया भर में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का समर्थन करते हैं. इसको (मुद्रास्फीति) नियंत्रित करने के लिए नीति निर्माताओं को कठोर व नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है. मुद्रास्फीति बढ़ने का कारण रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार है, क्योंकि भारत विशेष रूप से कच्चे तेल और वस्तुओं के आयात पर निर्भर है.
आईएमएफ अधिकारी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि निकट अवधि में हमें लगता है कि कमजोर परिवारों का समर्थन करने और बुनियादी ढांचे में सुधार के क्षेत्र में निवेश पर ध्यान देने के लिए एक कमोडिटी राजकोषीय रुख उपयुक्त होगा. साथ ही उन्होंने मौद्रिक सख्ती और संरचनात्मक कमजोरियों में सुधार के उपायों की सिफारिश की. इसके अलावे मौद्रिक नीति में सुधार की सख्त जरूरत है. भारत की विकास क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करना जरूरी है क्योंकि ये कमजोरियां दीर्घकालिक विकास में अवरोध पैदा करती है. इसका असर श्रम बाजार, भूमि बाजार, बेहतर शैक्षिक परिणामों में दिखता है. कुल मिलाकर भारत में विकास की क्षमता है लेकिन इसके लिए नीतिगत कार्रवाई आवश्यक होगी.
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पीटीआई