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उच्च न्यायालय ने सजा संबंधी लेखों को हटाने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र, गूगल, ट्विटर से जवाब मांगा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की याचिका पर केंद्र, गूगल, ट्विटर और दो मीडिया घरानों से जवाब मांगा है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 11, 2021, 4:39 PM IST

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नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक व्यक्ति की याचिका पर केंद्र, गूगल, ट्विटर और दो मीडिया घरानों से जवाब मांगा, जिसमें विदेश में धोखाधड़ी और धमकाने के मामले में उसकी सजा से संबंधित कुछ लेखों को इंटरनेट से हटाने का अनुरोध किया गया है. याचिकाकर्ता ने निजता के आधार पर इन लेखों को हटाने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने इस याचिका पर सूचना और संचार मंत्रालय, गूगल एलएलसी, ट्विटर और दो मीडिया घरानों को नोटिस जारी किए. अदालत ने इन सभी को 13 दिसंबर से पहले नोटिस का जवाब देना है. इस मामले में अब 13 दिसंबर को सुनवाई होगी जब इसी तरह की अन्य याचिकाएं भी सूचीबद्ध हैं.

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे लीसेस्टर क्राउन अदालत द्वारा धोखाधड़ी और धमकाने के मामले में दोषी ठहराया गया था और उसे नौ साल कारावास की सजा सुनाई गई थी. याचिका के मुताबिक, सजा काटने के बाद उसे इस साल जुलाई में भारत लाया गया और बाद में उसे 2015 के मामले के बारे में इंटरनेट पर उपलब्ध लेखों के बारे में पता चला.

पढ़ें :- ट्विटर अकाउंट सस्पेंड करने के खिलाफ वकील संजय हेगड़े की याचिका पर जल्द सुनवाई करेगा हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इन लेखों ने उसकी सजा के दौरान उनके बच्चों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और वे अभी भी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं और इससे उन्हें सार्वजनिक जीवन में रोजाना यह पीड़ा झेलनी पड़ रही है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक व्यक्ति की याचिका पर केंद्र, गूगल, ट्विटर और दो मीडिया घरानों से जवाब मांगा, जिसमें विदेश में धोखाधड़ी और धमकाने के मामले में उसकी सजा से संबंधित कुछ लेखों को इंटरनेट से हटाने का अनुरोध किया गया है. याचिकाकर्ता ने निजता के आधार पर इन लेखों को हटाने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने इस याचिका पर सूचना और संचार मंत्रालय, गूगल एलएलसी, ट्विटर और दो मीडिया घरानों को नोटिस जारी किए. अदालत ने इन सभी को 13 दिसंबर से पहले नोटिस का जवाब देना है. इस मामले में अब 13 दिसंबर को सुनवाई होगी जब इसी तरह की अन्य याचिकाएं भी सूचीबद्ध हैं.

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे लीसेस्टर क्राउन अदालत द्वारा धोखाधड़ी और धमकाने के मामले में दोषी ठहराया गया था और उसे नौ साल कारावास की सजा सुनाई गई थी. याचिका के मुताबिक, सजा काटने के बाद उसे इस साल जुलाई में भारत लाया गया और बाद में उसे 2015 के मामले के बारे में इंटरनेट पर उपलब्ध लेखों के बारे में पता चला.

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याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इन लेखों ने उसकी सजा के दौरान उनके बच्चों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और वे अभी भी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं और इससे उन्हें सार्वजनिक जीवन में रोजाना यह पीड़ा झेलनी पड़ रही है.

(पीटीआई-भाषा)

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